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चौथी लहर की आशंका नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि व्यक्तिगत, सामुदायिक और प्रशासनिक स्तर पर हमें लापरवाह हो जाएं.

देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी चिंताजनक है. बीते 24 घंटों में 2067 नये मामले आये हैं, जबकि इसके एक दिन पहले यह संख्या 1247 थी. इसी अवधि में संक्रमण से 40 लोगों की मौत भी हुई है. ऐसे में केंद्र सरकार ने पांच राज्यों- दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और मिजोरम- को निर्देश दिया है कि संक्रमण में बढ़त पर निगरानी रखी जाये तथा महामारी को नियंत्रित रखने के लिए समुचित कदम उठाये जायें.

इससे पहले भी कुछ राज्यों से हर दिन आंकड़े जारी करने को भी कहा गया है ताकि भ्रामक स्थिति न उत्पन्न हो. उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह भी अनेक राज्यों से सतर्क रहने को कहा गया था. भले ही अभी कुछ राज्यों से ही अधिक मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन सभी सरकारों को मुस्तैद होने की सलाह भी दी गयी है.

अभी भी संख्या कोई बहुत अधिक नहीं है और विशेषज्ञ भी चौथी लहर की आशंका को खारिज कर रहे हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि व्यक्तिगत, सामुदायिक और प्रशासनिक स्तर पर हमें लापरवाह हो जाना चाहिए. दिल्ली में फिर से मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है. राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ जिलों में यह आदेश पहले से ही लागू है. दिल्ली समेत कई राज्यों में कुछ अन्य उपायों की घोषणा जल्दी होने की संभावना है.

आधिकारिक रूप से मास्क न पहनने की छूट नहीं दी गयी है, पर देश के बड़े हिस्से में लोगों ने मास्क लगाना लगभग बंद ही कर दिया है. यह ठीक रवैया नहीं है. हमने पूर्ववर्ती तीन लहरों में देखा है कि कैसे अचानक संक्रमण बड़ी तेजी से फैलता गया था. इसमें हमारी असावधानी की भूमिका भी थी. तीन माह में पहली बार संक्रमण में वृद्धि के संकेत हैं. अगर स्थिति बिगड़ती है, तो वायरस के विरुद्ध अब तक हासिल हुई उपलब्धियों पर पानी फिर सकता है.

इससे आर्थिक गतिविधियों और सामान्य जन-जीवन पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा. केंद्र सरकार के निर्देश में उन जगहों की निगरानी करने के लिए कहा गया है, जहां अधिक लोग संक्रमित हुए हैं या हो रहे हैं. साथ ही, वायरस के जीनोम का अध्ययन भी चलते रहना चाहिए ताकि किसी नये वैरिएंट और उसकी क्षमता का आकलन समय रहते किया जा सके.

जांच और निगरानी तथा कोविड निर्देशों के पालन से हम वर्तमान चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. पिछले अनुभवों को देखते हुए अस्पतालों में इंतजाम भी बेहतर हैं. व्यापक टीकाकरण के कारण संक्रमण से गंभीर बीमारी का खतरा तो बहुत कम हो गया है, पर जिन्होंने टीके नहीं लिये हैं या जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी बड़ी समस्याएं हैं, उन्हें वायरस अधिक परेशानी में डाल सकता है. इन सब चिंताओं के बावजूद हमें घबराने की जरूरत नहीं है. अभी देश में 12,340 लोग संक्रमित हैं और ठीक होने की दर 98.76 प्रतिशत है. सरकारों और लोगों को सतर्कता बरतने में कोई कोताही नहीं करनी चाहिए.

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