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जन्मदिन विशेष : राष्ट्रवाद, ईमानदारी तथा सामाजिक कल्याण के प्रतीक हैं नरेंद्र मोदी

Narendra Modi : नरेंद्र मोदी में किशोरावस्था से ही नेतृत्व, सेवा और दृढ़ता के गुण दिखाई देते थे. वे सार्वजनिक भाषणों में निपुण थे और गरीबों का जीवन सुधारने का संकल्प रखते थे. उनके लिए सत्ता और सफलता से अधिक मूल्यवान था अपने आदर्शों पर टिके रहना और संघर्ष करना.

Narendra Modi : 17 सितंबर को, यानी आज भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन मना रहा है. वर्ष 1950 में गुजरात के वडनगर में जन्मे मोदी की यात्रा एक छोटे कस्बे के चाय विक्रेता से लेकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनने तक, असाधारण और प्रेरणादायक रही है. यह जन्मदिन केवल व्यक्तिगत पड़ाव नहीं है, यह 25 वर्षों के सतत शासन का प्रतीक भी है- पहले गुजरात के मुख्यमंत्री (2001–2014) और फिर भारत के प्रधानमंत्री (2014 से अब तक) के रूप में. इन दशकों में मोदी ने शासन और राजनीति को नयी दिशा दी, और राष्ट्रवाद, ईमानदारी तथा सामाजिक कल्याण की प्रतिबद्धता का प्रतीक बने.


नरेंद्र मोदी में किशोरावस्था से ही नेतृत्व, सेवा और दृढ़ता के गुण दिखाई देते थे. वे सार्वजनिक भाषणों में निपुण थे और गरीबों का जीवन सुधारने का संकल्प रखते थे. उनके लिए सत्ता और सफलता से अधिक मूल्यवान था अपने आदर्शों पर टिके रहना और संघर्ष करना. बहुत कम पत्रकार होंगे जिन्होंने उनके आरंभिक वर्षों को निकट से देखा होगा. वर्ष 1973 से 1976 के बीच मैंने गुजरात छात्र आंदोलन, कांग्रेस अधिवेशन और आपातकाल की घटनाओं को रिपोर्ट किया है. आपातकाल के दौरान वे भूमिगत हो गये थे और आरएसएस तथा जनसंघ नेताओं के बीच संपर्क बनाये रखने, गुप्त सूचनाएं पहुंचाने और वेश बदलकर अभियानों का नेतृत्व करने का काम किया था. यहां तक कि समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस भी गिरफ्तारी से पहले वेश बदलकर गुजरात आये, तो मोदी से सहयोग मांगा.

नरेंद्र मोदी बचपन से ही सामाजिक सेवा और लेखन में निपुण रहे हैं. ‘साधना’ पत्रिका में उनके लेख छपते थे. उन्होंने कविताएं भी लिखीं. बाद में अपने अनुभवों और विचारों की पुस्तकें भी लिखीं. इस तरह लेखन और पत्रकारिता के प्रति लगाव और सम्मान उनके मन में सदैव रहा. हां, मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री रहते हुए पत्रकारों के साथ संबंधों को लेकर अलग-अलग राय बनती रही. पर शायद बहुत कम लोग इस ओर ध्यान देते हैं कि गुजरात के ही दो पुराने प्रमुख अखबारों ने लगातार उनके विरुद्ध समाचार व लेख प्रकाशित किये, पर उन्होंने कभी भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. उनका तरीका रहा कि पूर्वाग्रही आलोचकों से दूरी रखी जाये. जनता से सीधे संवाद और संचार साधनों का सही उपयोग कर अपनी बात करोड़ों लोगों को पहुंचायी जाये. उन्हें पढ़ने का भी काफी शौक है. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वे देर रात तक पढ़ते रहते हैं.


वर्ष 2001 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब गुजरात भूकंप से तबाह था. वे इस संकट को संभाल पायेंगे, इसे लेकर बहुत-से लोगों को शंका थी. पर कुछ ही वर्षों में गुजरात को आदर्श राज्य कहा जाने लगा. ज्योति ग्राम योजना से गांवों को 24 घंटे बिजली मिली. जल प्रबंधन से सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि पुनर्जीवित हुई. वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलनों से राज्य निवेश का केंद्र बन गया. बुनियादी ढांचा, उद्यमिता और सुशासन पर ध्यान देकर उन्होंने ‘गुजरात मॉडल’ खड़ा किया, जिसने उन्हें राष्ट्रीय नेता बनाया. वर्ष 2014 तक देश परिवर्तन की तलाश में था. मोदी का अभियान विकास और राष्ट्रवाद का संगम था. उनका नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ जन-जन तक पहुंचा. उस चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला और भारत ने नयी दिशा व नयी नेतृत्व शैली को स्वीकारा.

पचहत्तर वर्ष की आयु में भी मोदी का परिचय अटूट राष्ट्रवाद से है. अनुच्छेद 370 हटाना, सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदमों ने भारत की रणनीतिक स्थिति बदल दी. उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भी नयी पहचान दी- काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निर्माण, अयोध्या में राम मंदिर का नेतृत्व, और भारत की सभ्यतागत अस्मिता को सुदृढ़ करना उनके प्रयासों के उदाहरण हैं. मोदी सरकार की सबसे बड़ी विशेषता है योजनाओं की सीधी और पारदर्शी पहुंच. जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत, पीएम किसान जैसी योजनाओं ने करोड़ों परिवारों का जीवन बदला है.


मोदी ने भारत को उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है. वर्ष 2023 की जी-20 अध्यक्षता में उनका नेतृत्व सराहा गया. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आत्मनिर्भर भारत जैसे दृष्टिकोण ने भारत को वैश्विक एजेंडा तय करने वाली शक्ति बना दिया. कोविड-19 महामारी के दौरान भारत का प्रदर्शन कई विकसित देशों से बेहतर रहा. सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी मोदी की सादगी उनकी पहचान है. वे परिवारवाद से दूर हैं, लंबे समय तक काम करते हैं और अनुशासित जीवन जीते हैं.

‘मन की बात’, सोशल मीडिया और विशाल जनसभाएं उन्हें जनता से सीधे जोड़ती हैं. उनका लक्ष्य 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है. मोदी तब 97 वर्ष के होंगे, लेकिन उनके लिए उम्र केवल एक संख्या है. उनका मंत्र है- ‘जब हम ठान लेते हैं, तो मीलों आगे निकल जाते हैं.’ भारत जब नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन मना रहा है, तब वेद की यह वाणी स्मरणीय है : ‘जीवेम शरदः शतम्’- हम सौ शरद ऋतु तक जियें. राष्ट्र, समाज और सेवा को समर्पित इस नेता के लिए यह शुभकामना विशेष रूप से सार्थक है.

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