रांची : अरगोड़ा थाना क्षेत्र के हरमू हाउसिंग कॉलोनी मकान संख्या एलएस-100 निवासी व्यवसायी अशोक शर्मा और उनकी पत्नी यशोदा देवी की मौत के कारणों का अब तक पता नहीं लग पाया है. घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने कई सवाल उठाये हैं.
चर्चा इस बात की भी है कि अशोक शर्मा का सबसे अधिक विवाद अपने पुत्र से रहा था. इस कारण उनका पुत्र अपने परिवार के साथ दूसरे स्थान पर रहता था. मौत का राज सुसाइड नोट में छिपा है. इसलिए पुलिस ने सुसाइड नोट की जांच राइटिंग एक्सपर्ट से कराने का निर्णय लिया है. लेकिन इसकी जांच की सुविधा कोलकाता में है.
उल्लेखनीय है कि वृद्ध दंपत्ति का शव एक अक्तूबर की सुबह उनके कमरे में मिला था. पुलिस को घटना की सूचना पवन शर्मा ने दी थी. उसने ही पुलिस को सुसाइड नोट बरामद कर दिया था. उसने पुलिस को बताया कि उनका विवाद अपने रिश्तेदार व भाई से संपत्ति बंटवारे को लेकर चल रहा है.
संपत्ति के विवाद में ही रिश्तेदार उनके मां-पिता को प्रताड़ित करते थे. इसी प्रताड़ना से तंग आकर दोनों ने आत्महत्या कर ली. पुत्र पवन शर्मा ने दोनों की मौत को लेकर रिश्तेदारों पर आत्महत्या के लिए दबाव बनाने का केस भी दर्ज कराया है. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों की मौत जहर खाने से होने की पुष्टि हो चुकी है.
इन बिंदुओं पर उठ रहे सवाल
सुसाइड नोट में अशोक शर्मा का हस्ताक्षर दो तरह से है. दो तरह का हस्ताक्षर एक ही आदमी का होना संभव नहीं है.सुसाइड नोट अगर घटना से पहले अशोक शर्मा ने लिखा था, तब उसमें 22 सितंबर की तिथि क्यों दी गयी.
कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रताड़ना संबंधी बात अशोक शर्मा ने 22 सितंबर को लिखी हो और अन्य बातें जोड़ कर इसे सुसाइड नोट का रूप दिया गया.
कहीं ऐसा तो नहीं कि अशोक शर्मा से मिलती-जुलती राइटिंग लिखने वाले किसी व्यक्ति के सहयोग से सुसाइड नोट लिखवाया गया हो.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दोनों ने जहर खाकर जान दी, लेकिन कमरे में जहर की कोई बोतल नहीं मिली.
दंपती की मौत से उनके पुत्र को फायदा होनेवाला था.
