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जाधव मामले में पिटा पाकिस्तान अब इंटरनेशनल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को देगा चुनौती

इसलामाबाद : बात-बात पर अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत की शरण लेनेवाला पाकिस्तान अब उसी कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने जा रहा है. खबर है कि भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव (46) की फांसी पर इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस की ओर से लगायी गयी रोक को वह मानने से इनकार करेगा. पाकिस्तान की […]

इसलामाबाद : बात-बात पर अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत की शरण लेनेवाला पाकिस्तान अब उसी कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने जा रहा है. खबर है कि भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव (46) की फांसी पर इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस की ओर से लगायी गयी रोक को वह मानने से इनकार करेगा.

पाकिस्तान की मीडिया में इस आशय की खबर आ रही है. खबरों में कहा गया है कि पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले को स्वीकार नहीं करता.

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भारत ने पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कुलभूषण की फांसी पर रोक लगाने की अपील इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस में की थी. इसमें कहा गया कि भारत के बार-बार अनुरोध के बावजूद पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को जाधव से मिलने की इजाजत नहीं दी.

भारत ने कोर्ट में कहा कि कुलभूषण जाधव (46) को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. भारत ने कहा था कि रिटायर्ड अफसर को ईरान से किडनैप किया गया, जहां वह सेना से रिटायर होने के बाद व्यापारिक गतिविधियों में व्यस्त थे. भारत ने अपील में यह भी कहा था कि जाधव की गिरफ्तारी के काफी समय बाद तक पाकिसस्तान ने कोई सूचना नहीं दी.

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दूसरी तरफ पाकिस्तान का दावा है कि जाधव भारतीय नौसेना से अभी रिटायर नहीं हुए हैं. उसका दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को कथित तौर पर ईरान से प्रवेश करने के बाद तीन मार्च को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था.

जाधव को ‘जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों’ के लिए पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनायी है. भारत ने माना कि जाधव पूर्व नौसेना अधिकारी है, लेकिन सरकार के साथ उसके किसी भी तरह के संबंध को खारिज कर दिया.

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कई बार इंटरनेशनल कोर्ट की शरण में गया है पाकिस्तान

संयुक्त राष्ट्र में बार-बार कश्मीर राग अलापनेवाला पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत वर्ष 1945 में स्थापित इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस की शरण में भी जा चुका है.

  1. पहली बार वर्ष 1971 में पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस की शरण ली, जब भारत के एक विमान का अगवा कर लाहौर ले गया था. अपने विमान के अपहरण के बाद भारत ने पाकिस्तानी विमानों को अपने हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने से रोक दिया. पाकिस्तान इस कोर्ट की शरण ली. कोर्ट से अपील की कि वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुुए भारत पर अपना फैसला बदलने का दबाव बनाये. पाकिस्तान ने कहा कि भारत न तो अपने वायु क्षेत्र में उसके विमानों को उड़ान भरने से रोक सकता है, न ही भारत में कहीं उसके विमान को लैंडिंग से रोकसकता है.
  2. 1973 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस का रुख किया. तब पाकिस्तान ने कहा था कि भारत 1971 युुद्ध में बंदी बनाये गये उन 195 पाकिस्तानी नागरिकों को बांग्लादेश के हवाले न करे, जिनके खिलाफ जनसंहार के मामले में मुकदमा चलाया जाना था. हालांकि, एक साल बाद पाकिस्तान ने अपना यह मुकदमा वापस ले लिया. ज्ञात हो कि 1971 युद्ध के बाद ही बांग्लादेश का गठन हुआ था.
  3. 1999 में पाकिस्तान फिर इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस पहुंचा. इस बार गुजरात के कच्छ के रन में भारतीय वायु सीमा में पाकिस्तानी सैन्य विमान को मार गिराया गया था. भारत ने मजबूती के साथ इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस में अपना पक्ष रखा. कोर्ट ने भारत की कार्रवाई को जायज ठहराया और पाकिस्तान को यहां मुंह की खानी पड़ी.

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