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मगही भाषा के इतिहास में खास है अप्रैल की पहली तिथि

हिसुआ : मगही भाषा के इतिहास में अप्रैल की पहली तिथि का खास महत्व है. इसी दिन मगही के पहले उपन्यासकार मोख्तार जयनाथपति ने मगही का पहला उपन्यास फूल बहादूर को पूरा किया था और प्रकाशन के बाद वह जनमानस के बीच आया था. उपन्यास का कथानक भी पहली अप्रैल से जुड़ा हुआ है. इसी […]

हिसुआ : मगही भाषा के इतिहास में अप्रैल की पहली तिथि का खास महत्व है. इसी दिन मगही के पहले उपन्यासकार मोख्तार जयनाथपति ने मगही का पहला उपन्यास फूल बहादूर को पूरा किया था और प्रकाशन के बाद वह जनमानस के बीच आया था.
उपन्यास का कथानक भी पहली अप्रैल से जुड़ा हुआ है. इसी दिन उपन्यास के प्रमुख पात्र जो अंगरेजों के नजदीक थे, उनकोरायबहादूर के खिताब की जगह फूल बहादूर का खिताब मिलता है. यहां के साहित्यकारों को खुशी इस बात की है कि जयनाथपति इसी नवादा जिले के रहने वाले थे.
पहली अप्रैल के दिन इस पर साहित्याकारों ने जयनाथ पति को याद किया और उनके उपन्यास के पात्रों की चर्चा की. जयनाथपति के उपन्यास में खासा व्यंग्य है. उन्होंने साहित्य लेखन और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अंगरेज व उनके संपोषण करने वाले अपने लोगों पर करारा व्यंग्य किया है.
फूल बहादुर उपन्यास में पदलोलुप व्यक्ति के मक्कारी व फरेब को रेखांकित किया गया है. अखिल भारतीय मगही मंडप, वारिसलीगंज के संरक्षक और सारथी पत्रिका के संपादक मिथिलेश, नागेंद्र शर्मा बंधु, नवलेश, श्रीकांत सहित अन्य और हिंदी मगही साहित्यिक मंच शब्द साधक के दीनबंधु, शफीक जानी नांदा, यूके भारती आदि ने इस खास दिवस पर उन्हें याद कर इस तरह की रचनाएं करने का संकल्प लिया. मगध विश्वविद्यालय के मगही विभागाध्यक्ष डॉ भरत सिंह ने भी दूरभाष पर इसके बारे में चर्चा की.

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