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झामुमाे पार्टी नहीं, बाप-बेटे की प्राइवेट कंपनी : कृष्णा मार्डी

जमशेदपुर: सिंहभूम के पूर्व सांसद रहे कृष्णा मार्डी ने कहा कि झामुमाे अब काेई पार्टी या विचारधारा नहीं रहा. यह बाप-बेटे (शिबू-हेमंत) की प्राइवेट कंपनी बन गया है. इसका काेई खाता-बही नहीं है. ये दोनों जो बाेल दे वही सही है. श्री मार्डी शनिवार को झामुमाे से निष्कासित किये जाने की खबर पर अपनी प्रतिक्रिया […]

जमशेदपुर: सिंहभूम के पूर्व सांसद रहे कृष्णा मार्डी ने कहा कि झामुमाे अब काेई पार्टी या विचारधारा नहीं रहा. यह बाप-बेटे (शिबू-हेमंत) की प्राइवेट कंपनी बन गया है. इसका काेई खाता-बही नहीं है. ये दोनों जो बाेल दे वही सही है.

श्री मार्डी शनिवार को झामुमाे से निष्कासित किये जाने की खबर पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे. उन्हाेंने कहा कि झामुमाे की जाे भूमिका झारखंड में हाेनी चाहिए थी, वह अब नहीं रही. झामुमाे की सरकार बनी, लेकिन आंदाेलनकािरयाें काे सम्मान नहीं मिला. स्थानीय नीति नहीं बनी. झामुमो के लोग सिर्फ सुर्खियां पाने के लिए विधानसभा में तख्तियां दिखा कर आंदाेलन करते हैं, बाद में मुख्यमंत्री के साथ बैठ कर चाय पीते हैं. श्री मार्डी ने कहा कि गरीब-आदिवासियाें काे गुमराह कर उनके नाम से राजनीतिक राेटियां सेंकनेवाले शिबू साेरेन-हेमंत ने खुद सीएनटी-एसपीटी की धज्जियां उड़ायी है.

झामुमाे के संगठन काे बांग्लादेशी आैर बाहरियाें ने हाइजैक कर लिया है. एक बाहरी जिसे झारखंड आंदाेलन का क ख ग मालूम नहीं, वह नाेटिस जारी कर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर देता है. श्री मार्डी ने कहा कि उन्होंने पहले ही झामुमाे मार्डी का गठन कर लिया है, फिर पार्टी से निकालने की बात बेतुकी है. श्री मार्डी ने कहा कि झामुमो के अंदर काफी असंताेष है. जल्द उसमें बड़ी टूट दिखायी देगी. पुराने आैर समर्पित कार्यकर्ताअाें की पूछ नहीं है. उन्हाेंने कहा कि पार्टी में कोई संवाद नहीं रह गया है. जब कुछ मामलाें काे उन्होंने हेमंत के सामने रखा, ताे वह बाेले कि बाबा (गुरुजी) से बात करें, जब शिबू साेरेन से मिलते ताे वे कहते कि देखते हैं बाद में बात हाेगी.

दुमका-संताल परगना ने पूरी तरह से झामुमो को नकार दिया
कृष्णा मार्डी ने कहा कि झामुमाे काे दुमका-संताल परगना ने पूरी तरह से नाकार दिया है. वे झामुमो के फाउंडर मेंबर रहे हैं, लेकिन उन्हें दागियाें से पीछे की लाइन में खड़ा हाेने काे कहा गया. आदिवासियाें की राजनीति करनेवालाें ने काेलकाता, दिल्ली, हैदराबाद आैर बेंगलुरु में काफी संपत्ति अर्जित कर रखी है. उन्हाेंने लाेगाें काे बसाने-बचाने का काम किया. टाटा कंपनी के साथ जब उन्हाेंने 2600 मजदूराें काे स्थायी कराने का समझाैता कराया, ताे शिबू साेरेन आैर सूरज मंडल मध्यस्थता करने पहुंच गये थे. पूर्वी सिंहभूम आैर चाईबासा में पैसा लेकर इन्हाेंने पार्टी का चैयरमैन नहीं बनने दिया. संगठन, कार्यकर्ता आैर आदिवासियाें के प्रति इनमें काेई सहानुभूति नहीं है. झामुमो पूरी तरह से कमर्शियल पार्टी बन गयी है. वास्तव में झारखंड की बर्बादी के लिए झामुमाे ही जिम्मेदार है. अब समय आ गया है कि अब आदिवासी-मूलवासी भी इनसे हिसाब मांगेंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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