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ए टू जेड पर नगर निगम ने ठोंका 163 करोड़ का दावा

धनबाद: नगर निगम व ए टू जेड का विवाद गहराता जा रहा है. ए टू जेड के 77 करोड़ के दावा के विरुद्ध शुक्रवार को नगर निगम ने 163 करोड़ का दावा ठोंका. इसमें कैपिटल मनी, कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने व बिडिंग में हुए खर्च आदि का हवाला दिया. आर्बिट्रेटर जज यूपी सिंह को दावा की प्रति […]

धनबाद: नगर निगम व ए टू जेड का विवाद गहराता जा रहा है. ए टू जेड के 77 करोड़ के दावा के विरुद्ध शुक्रवार को नगर निगम ने 163 करोड़ का दावा ठोंका. इसमें कैपिटल मनी, कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने व बिडिंग में हुए खर्च आदि का हवाला दिया. आर्बिट्रेटर जज यूपी सिंह को दावा की प्रति शनिवार को सौंपी जायेगी. ए टू जेड कंपनी को भी इसकी प्रति उसके मुख्यालय दिल्ली भेजी जायेगी. 17 सितंबर को पटना में हुई सुनवाई के दौरान नगर निगम ने अपना पक्ष रखने के लिए कुछ समय मांगा था. आर्बिट्रेटर ने दो अक्तूबर के पहले काउंटर फाइल करने का निर्देश दिया था.
क्या है मामला
फरवरी 2012 में नगर निगम ने ए टू जेड के साथ करार किया. 55 करोड़ ग्रांट मनी पर तीस साल के लिए करार हुआ. 2 अक्तूबर 2012 से ए टू जेड ने शहर में सफाई शुरू की. दिसंबर 2013 में कंपनी ने काम बंद कर दिया. वर्ष 2015 से मामला आर्बिट्रेटर में चल रहा है. 1 मई 2016 को ए टू जेड ने अपना पक्ष रखा. 2.25 करोड़ जब्त बैंक गारंटी, कर्मचारियों का पेमेंट व टर्म एंड कंडिशन के अनुसार सुविधा न देने अादि मामले का हवाला देते हुए 77 करोड़ का दावा ठोंका था.
15 अक्तूबर को ए टू जेड रखेगा अपना पक्ष
15 अक्तूबर को रांची में अगली सुनवाई होगी. निगम के दावे के विरुद्ध कंपनी अपना पक्ष रखेगी. आर्बिट्रेटर यूपी सिंह के समक्ष सुनवाई होगी.
कैसे हुआ विवाद
ठोस कचरा प्रबंधन के लिए ए टू जेड ने 2 अक्तूबर 2012 को काम शुरू किया. एग्रीमेंट के मुताबिक कचरा डिस्पोजल के लिए 20 दिनों के अंदर ए टू जेड को जमीन देनी थी. नगर निगम की पहल पर बीसीसीएल ने सियालगुदरी (पुटकी) में 33 एकड़ जमीन दी. हालांकि बीसीसीएल ने शर्त रखी कि एक माह के नोटिस पर जमीन खाली करनी होगी. इस शर्त पर ए टू जेड राजी नहीं हुई. इसके बाद सफाई को लेकर निगम व ए टू जेड में विवाद शुरू हो गया. दिसंबर 2013 को ए टू जेड ने अपना काम समेट लिया. इस पर नगर निगम ने ए टू जेड की 2.25 करोड़ की सिक्युरिटी मनी जब्त कर ली.
दावे का आधार
वर्ष 2013 में ए टू जेड को गाड़ी खरीदने के लिए कैपिटल मनी 4.75 करोड़ रुपये दिये गये. 15 प्रतिशत की दर से ब्याज की राशि मिला कर कुल 7 करोड़ 24 लाख रुपये होता है.
बिडिंग प्रोसेस में एक करोड़ रुपये खर्च किये गये.
यूजर चार्ज नहीं अाने पर निगम को 4.64 करोड़ का लॉस हुआ.
बिना सूचना कांट्रेक्ट तोड़ने के आलोक में सौ करोड़ की क्षतिपूर्ति मांगी गयी.
निगम की इमेज खराब करने के आलोक में पचास करोड़ का दावा किया गया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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