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साइबर हमलावरों ने 40,000 कंप्यूटरों में किया रैनसमवेयर का अटैक, दुनिया के 150 देशों में भारत तीसरा सबसे बड़ा शिकार

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भले ही रैनसमवेयर के हमले से भारत को सुरक्षित रहने का दावा कर रहे हों, लेकिन यह भी सच है कि बीते दो दिनों के दौरान साइबर हमलावरों ने यहां के करीब 40,000 से अधिक कंप्यूटरों को अपना निशाना बनाया है. रैनसमवेयर के हमलों से सचेत और इस […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भले ही रैनसमवेयर के हमले से भारत को सुरक्षित रहने का दावा कर रहे हों, लेकिन यह भी सच है कि बीते दो दिनों के दौरान साइबर हमलावरों ने यहां के करीब 40,000 से अधिक कंप्यूटरों को अपना निशाना बनाया है. रैनसमवेयर के हमलों से सचेत और इस पैनी नजर रखने वाले साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों की मानें, तो दुनिया के 150 देशों में कंप्यूटरों पर वार करने वाले रैनसमवेयर वानाक्राई के चलते भारत में करीब 40,000 से अधिक कंप्यूटर साइबर हमलों की चपेट में आये हैं. इस हमले के साथ रैनसमवेयर के हमलों के शिकार देशों में भारत तीसरा सबसे बड़ा देश रहा है.

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हालांकि, इस बीच न तो किसी बड़ी कंपनी और न ही किसी बैंक ने अपने कामकाज में किसी प्रकार की बाधा आने की शिकायत की है, लेकिन मंगलवार को देश के कई हिस्सों में पुराने विडों वाले एटीएम बंद रहे और आगामी कई दिनों तक इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है.

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साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि दुनियाभर में इस वायरस की चपेट में 2 लाख से ज्यादा कंप्यूटरों के आने के बाद कॉरपोरेट क्षेत्र का कामकाज पटरी पर लौट आया है. उन्होंने कहा कि साइबर हमलावरों का एक और हमला का डर सच साबित नहीं हुआ. डीएसके लीगल के पार्टनर तुषार अजिंक्य ने कहा कि भारत में पारदर्शिता नहीं है.

बैंकों और सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अनिवार्य नियम है कि वे किसी भी साइबर हमले का खुलासा करें, लेकिन कुछ ही बैंक और कंपनियां इस नियम का पालन करती हैं. उन्होंने कहा कि हमने पहले देखा है कि ऐसे हमलावर भारतीय वेबसाइट्स को मुख्य तौर पर डीफेस कर देते थे, लेकिन अब पैसे के लिए उनका मकसद भी बदल गया है.

गौरतलब है कि वानाक्राई रैनसमवेयर की वजह से ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाएं और फ्रांस की कार कंपनी रेनॉ का कामकाज प्रभावित हुआ. वहीं लग रहा है कि भारत में कंपनियों के कामकाज पर इसका कम असर हुआ है. हालांकि, किसी बड़ी घटना के सामने न आने का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में किसी हमले के लिहाज से देश के सारे कंप्यूटर सुरक्षित हैं.

विशेषज्ञों ने कहा कि अपने शोध में हमने पाया कि वानाक्राई के वैश्विक स्तर पर हुए हमलों में भारत तीसरा सबसे बड़ा शिकार बना है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर भारतीय संस्थाओं पर ऐसे हमलों का खतरा बना हुआ है, क्योंकि ऐसे साइबर हमलों में चतुराई बढ़ती जा रही है और कई सरकारी और निजी भारतीय संगठन अब भी आउटडेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम्स का उपयोग कर रहे हैं.

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