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राजद्रोह कानून पर SC की रोक के बाद बोले केंद्रीय कानून मंत्री, कहा- हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए

राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम रोक लगाने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि, हम अदालत और उसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. लेकिन एक 'लक्ष्मण रेखा' है जिसका राज्य के सभी अंगों को अक्षरशः सम्मान करना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह कानून पर अंतरिम रोक लगा दी है. वहीं, राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि हमने अपनी बातों को स्पष्ट कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इरादा भी बता दिया है. अब इसके बाद क्या होता है ये मुझे नहीं पता, लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए.

अदालत और उसकी स्वतंत्रता का सम्मान
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ये भी कहा कि, हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के बारे में भी अदालत को सूचित कर दिया है. हम अदालत और उसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. लेकिन एक ‘लक्ष्मण रेखा’ (पंक्ति) है जिसका राज्य के सभी अंगों को अक्षरशः सम्मान करना चाहिए.

न्यायालय ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर आज यानी बुधवार को रोक लगा दी है. इसके साथ ही केंद्र एवं राज्यों को निर्देश दिया कि जब तक सरकार औपनिवेशिक युग के कानून पर फिर से गौर नहीं कर लेती, तब तक राजद्रोह के आरोप में कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए. कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को सलाह दी है कि जब तक केंद्र अपनी समीक्षा पूरी नहीं कर लेता तब तक कानून के इस सेक्शन का उपयोग न करें.

जांच के बाद ही दर्ज किए जाएं मामले
वहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया है कि आईपीसी की धारा 124 ए के तहत भविष्य में एफआईआर एसपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी की जांच के बाद ही दर्ज की जाए. लंबित मामलों पर, अदालतों को जमानत पर जल्द विचार करने का निर्देश दिया जा सकता है.

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए. पीठ ने ये भी कहा कि अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी. कोर्ट ने कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी.

भाषा इनपुट के साथ

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