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जुल्फिकार अली भुट्टो से बिलावल भुट्टो तक, सबने भारत के खिलाफ उगला जहर, बेनजीर से थी उम्मीद लेकिन…

पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार का हिस्सा हैं. उनका संबंध पाकिस्तान के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों से है. वे जुल्फिकार अली भुट्टो के नाती और बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं. साथ ही वे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे भी हैं.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक चार और पांच मई को गोवा में आयोजित की गई है. इस बैठक पर सबकी नजरें इसलिए भी टिकी हैं, क्योंकि इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी शिरकत करने के लिए गोवा पहुंच गए हैं. भारत- पाकिस्तान का द्विपक्षीय संबंध पिछले एक दशक से बहुत ही खराब दौर से गुजर रहा है. भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को चेतावनी दी है और यह कहा कि जब तक सीमापार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों को पाकिस्तान नहीं रोकेगा, उसके साथ किसी भी मसले पर कोई बातचीत नहीं होगी.

जुल्फिकार अली भुट्टो के नाती हैं बिलावल

गौरतलब है कि पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार का हिस्सा हैं. उनका संबंध पाकिस्तान के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों से है. वे जुल्फिकार अली भुट्टो के नाती और बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं. साथ ही वे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे भी हैं.

भारत को टक्कर देने के लिए घास खाने की थी बात

बिलावल भुट्टो उसी खानदान से हैं, जहां यह कहा गया था कि हम घास खा लेंगे लेकिन भारत को टक्कर देने के लिए परमाणु बम जरूर बनायेंगे. जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत के साथ एक हजार साल तक युद्ध करने का बयान दिया था. बेनजीर भुट्टो की राजनीति भी भारत केंद्रित ही रही. भारत विरोधी बयान देकर खासकर कश्मीर को केंद्र में रखकर उन्होंने राजनीति की और सत्ता भी उसी वजह से मिली. बिलावल भुट्टो भी उसी रास्ते पर हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमर्यादित टिप्पणी की थी और यह भी कहा था कि भारत से कश्मीर का एक-एक इंज वापस लेंगे. ऐसे में उनकी भारत यात्रा पर सबकी नजर है.

पाकिस्तान ने हर युद्ध में मुंह की खाई

भारत पाकिस्तान के संबंध आजादी के बाद से सवालों के घेरे में रहा है. पाकिस्तान ने अबतक भारत के साथ चार प्रत्यक्ष युद्ध किये हैं और हर युद्ध में उसे मुंह की खानी पड़ी है. 1948, 1965 में पाकिस्तान को युद्ध में शिकस्त मिली, लेकिन 1971 के युद्ध में तो पाकिस्तान के सरेंडर के बाद पूर्वी पाकिस्तान उससे टूटकर अलग हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ. बावजूद इसके पाकिस्तान ने सबक नहीं ली. 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, जिसमें भी उसे मुंह की खानी पड़ी. प्रत्यक्ष युद्ध के बाद भी पाकिस्तान हमेशा अपनी नापाक हरकतों के जरिये भारत में आतंकवादी गतिविधि को हवा देता रहा है. मुंबई अटैक, पुलवामा, उरी इसके उदाहरण हैं.

2011 के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री भारत आ रहे हैं

बिलावल भुट्टो 2011 के बाद से भारत की यात्रा करने वाले पाकिस्तान के पहले विदेश मंत्री होंगे. वे पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को एससीओ-सीएफएम बैठक में शामिल होने का न्योता भेजा था. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधरेंगे?

भारत के साथ हमेशा धोखा हुआ

क्या एक बार फिर दोनों देश द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार होंगे. भारत हमेशा से शांति का पक्षधर देश रहा है, लेकिन पाकिस्तान के रवैये से दोनों देशों के संबंध नहीं सुधर सके. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था कि हम भूगोल नहीं बदल सकते, इसलिए पड़ोसियों से संबंध मधुर बनाने चाहिए. लाहौर बस यात्रा इसी का उदाहरण थी, लेकिन लाहौर यात्रा के बदले भारत को कारगिल युद्ध मिला.

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राजीव गांधी के कार्यकाल में भारत आयी थीं बेनजीर भुट्टो

बिलावल भुट्टो से पहले उनकी मां बेनजीर भुट्टो भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान भारत आयीं थीं. उस वक्त विश्व को ऐसा महसूस हुआ था कि दोनों देशों के संबंध सुधरेंगे, क्योंकि उस दोनों देशों की बागडोर युवा हाथों में थी जो नये सोच के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध था. 2018 में बेनजीर के पति और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी यह कहा था कि राजीव गांधी और बेनजरी भुट्टो कश्मीर समस्या का समाधान करना चाहते थे, लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गयी और मामला एक बार फिर अटक गया.

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