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ISRO: स्पेस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए कई देशों के साथ किया गया है समझौता

मौजूदा समय में इसरो का स्पेस क्षेत्र में 61 देशों और 5 अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ समझौता है. समझौते के तहत सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट नेविगेशन, उपग्रह संचार, सैटेलाइट विज्ञान और ग्रहों की खोज एवं क्षमता निर्माण शामिल है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहले से ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के साथ मिलकर एक संयुक्त उपग्रह मिशन पर काम कर रहा है.

ISRO: देश के स्पेस सेक्टर के विकास में इसरो का अहम योगदान रहा है. मौजूदा समय में इसरो दुनिया के प्रमुख स्पेस एजेंसी के तौर पर खुद को स्थापित करने में सफल रहा है. देश के कई सैटेलाइट का प्रक्षेपण करने के साथ ही संस्था दूसरे देशों की सैटेलाइट को भी कम कीमत पर लांच करने का काम कर रहा है. स्पेस क्षेत्र के और विस्तार के लिए केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी दी. मौजूदा समय में इसरो का स्पेस के क्षेत्र में 61 देशों और 5 अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ समझौता है. समझौते के तहत सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट नेविगेशन, उपग्रह संचार, सैटेलाइट विज्ञान और ग्रहों की खोज एवं क्षमता निर्माण शामिल है. 


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहले से ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के साथ मिलकर एक संयुक्त उपग्रह मिशन पर काम कर रहा है. ‘निसार (नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार)’ का निर्माण अंतिम चरण में है. इसके निर्माण से स्पेस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है. इसरो सीएनईएस (फ्रांसीसी राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी) के साथ मिलकर ‘तृष्णा (हाई रिजोल्यूशन प्राकृतिक संसाधन आकलन के लिए थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट)’ नामक एक संयुक्त उपग्रह मिशन पर काम कर रहा है. इसके अलावा इसरो और जेएक्सए (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) ने संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन पर मिलकर काम कर रहा है.

 
निजी क्षेत्र की भागीदारी से इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावा


स्पेस क्षेत्र में देश की क्षमता को विकसित करने के लिए सरकार की ओर से निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है. 
इसके तहत भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) का गठन अंतरिक्ष विभाग में गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) की अंतरिक्ष क्षेत्र में गतिविधियों को प्रोत्साहित, अधिकृत और निगरानी करने के लिए किया गया है. भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 को सरकार ने विभिन्न हितधारकों द्वारा अंतरिक्ष गतिविधियों को नियामक निश्चितता प्रदान करने के लिए तैयार किया है. इसका मकसद एक समृद्ध अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है. 
निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं भी इन-स्पेस द्वारा घोषित एवं लागू की गई है. 

सीड फंड योजना, मूल्य निर्धारण समर्थन नीति, मेंटरशिप समर्थन, तकनीकी केंद्र, एनजीई के लिए डिजाइन लैब, अंतरिक्ष क्षेत्र में कौशल विकास, इसरो सुविधा उपयोग समर्थन, एनजीई को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों से जुड़ने के लिए इन-स्पेस डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया गया है. भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक हजार करोड़ करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल बनाया गया है. इन-स्पेस ने गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) के साथ लगभग 78 समझौतों पर हस्ताक्षर किया है. यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दिया. 

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