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Indo-China face-off : लद्दाख में भारत ने तैनात किया वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम, चीन को मिलेगा करारा जवाब

Indo-China face-off , india china border dispute, GalwanValley, लद्दाख के गलवान घाटी में पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प की घटना के बीच भारत-चीन के बीच सीमा विवाद चरम पर है. इधर सीमा पर बढ़ते संकट को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल नरवणे दो दिन से लद्दाख में कैंप किये हुए थे. सेना प्रमुख को दौरा वैसे समय में हुआ जब चीन की ओर से सीमा पर सैन्‍य शक्‍ति बढ़ायी जा रही है.

नयी दिल्‍ली : लद्दाख के गलवान घाटी में पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प की घटना के बीच भारत-चीन के बीच सीमा विवाद चरम पर है. इधर सीमा पर बढ़ते संकट को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल नरवणे दो दिन से लद्दाख में कैंप किये हुए थे. सेना प्रमुख को दौरा वैसे समय में हुआ जब चीन की ओर से सीमा पर सैन्‍य शक्‍ति बढ़ायी जा रही है.

इधर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारतीय सेना ने भी वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम को सीमा पर तैनात कर दिया है. यह मिसाइल चीनी वायु सेना के लड़ाकू जेट या पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के किसी भी दुस्साहस को रोकने के लिए सक्षम है.

‘पूर्वी लद्दाख में सैन्य आक्रामकता की चीन को भारी कीमत चुकानी होगी’

इधर भारत-चीन विवाद पर रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत के प्रति आक्रामक सैन्य रवैया अपनाने के लिए चीन को दशकों तक भारी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि इससे वह देश वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ जायेगा.

विशेषज्ञों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख और दक्षिण चीन में पिछले कुछ महीनों में चीन के दुस्साहस की उसे व्यापक स्तर पर आर्थिक कीमत चुकानी होगी क्योंकि इसने बीजिंग के असली चेहरे को उस समय बेनकाब किया है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है.

विशेषज्ञों ने अमेरिका के साथ चीन के ‘टैरिफ वॉर’ और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ती तकरार और हांगकांग में तेजी से बिगड़ती स्थिति का भी जिक्र किया. सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा, चीन ने पूर्वी लद्दाख में आक्रामक सैन्य रवैया अपनाकर एक बड़ी गलती की है. यह गतिरोध तब शुरू हुआ जब पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहा है. चीन ने खुद को वैश्विक स्तर पर बेनकाब कर दिया है.

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उन्होंने कहा, चीन को यह काफी महंगा पड़ेगा. गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों के मारे जाने की उसे दशकों तक कीमत चुकानी होगी. चीन ने भारत और अन्य स्थानों पर अपनी साख को खो दिया है.

गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई ने इस दृष्टिकोण को मजबूत किया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सिर्फ एक राजनीतिक बल है और यह सैन्य मानकों के अनुरूप नहीं है. सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेट जनरल सुब्रत साहा ने कहा कि चीन ने अपनी अस्वीकार्य सैन्य आक्रामकता से खुद को अलग-थलग कर लिया है और इसके लिए इस देश को भारी कूटनीतिक और आर्थिक कीमत चुकानी होगी.

उन्होंने कहा, चीन ने इस आक्रामकता से खुद को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर अलग-थलग कर लिया है और इसकी उसे कीमत चुकानी होगी. उन्होंने हांगकांग, दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ पूर्वी चीन सागर को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का भी जिक्र किया. जनरल साहा ने चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के बारे में भी बात की.

उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन के बढ़ते व्यापार संकट का भी जिक्र किया. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले छह सप्ताह से गतिरोध बना हुआ है और गत 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया.

posted by – arbind kumar mishra

Prabhat Khabar Digital Desk
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