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गुजरात चुनाव 2022: 8 हजार परिवार हर बार मतदान करने से रह जाते है वंचित! कौन सुनेगा ‘अगरिया’ की पुकार?

लिटल रण ऑफ कच्छ एक 5000 वर्ग किमी चौड़ा मिट्टी से भरा हुआ फ्लैट है. यह क्षेत्र कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी, बनासकांठा और पाटन जिले के बीच में स्थित है. यहां के हजारों लोग चुनाव में मतदान नहीं कर पाते है. बता दें कि यह परेशानी कई वर्षों से चल रही है. वोट न डाल पाने का बड़ा कारण बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र है.

गुजरात चुनाव 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान किया जा चुका है. 1 दिसंबर को पहले चरण के चुनाव और 5 दिसंबर को दूसरे चरण के चुनाव होने है. निर्वाचन आयोग ने प्रेस वार्ता कर गुजरात विधानसभा चुनाव से संबंधित तमाम जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि इस बार के चुनाव में करीब 4.9 करोड़ लोग मतदान करेंगे. मतदाताओं में करीब 3.4 लाख लोग ऐसे होंगे जो पहली बार चुनाव में हिस्सा लेंगे. लेकिन गुजरात में एक ऐसी जगह है कि जहां करीब 8 हजार परिवार हर बार मतदान करने से वंचित रह जाती है.

क्या है लिटल रण ऑफ कच्छ?

इलाका है लिटल रण ऑफ कच्छ का, यह एक 5000 वर्ग किमी चौड़ा मिट्टी से भरा हुआ फ्लैट है. यह क्षेत्र कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी, बनासकांठा और पाटन जिले के बीच में स्थित है. यहां के हजारों लोग चुनाव में मतदान नहीं कर पाते है. बता दें कि यह परेशानी कई वर्षों से चल रही है. वोट न डाल पाने का बड़ा कारण बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र है. चुनाव का ऐलान हर बार नवंबर दिसंबर में ही होता है, जब कच्छ के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के लोग दूसरी जगह शरण ले लेते हैं. वहां से पोलिंग बूथ 50 से 80 किमी तक दूर पड़ता है. इस कारण वे वोट डालने नहीं आ पाते है.

5 जिलों के लगभग 8,000 परिवार करते है प्रवास

5 जिलों के लगभग 8000 परिवार पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके नमक की खेती करने के लिए लिटल रण ऑफ कच्छ में प्रवास करते हैं. बता दें कि ये सभी प्रवासी समुदाय खानाबदोश और गैर-अधिसूचित जनजातियों से संबंधित है और इसे “अगरिया” के रूप में जाना जाता है. अगरिया समुदाय को मतदान के दिन रेगिस्तान से अपने पैतृक गांव जाना पड़ता है. बता दें कि ऐसे में उन्हें करीब 70 से 80 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है. जिस कारण बड़े पैमाने पर लोग मतदान कर ही नहीं पाते है.

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मतदान प्रतिशत पर पड़ता है असर

इस प्रकार मतदान प्रतिशत कम हो जाता है क्योंकि मतदाता (विशेषकर महिलाएं) मतदान करने के लिए दूर की यात्रा नहीं कर सकते हैं. यह मुद्दा लंबे समय से लंबित रहा है. हालांकि अब कई लोगों और संस्थाओं की ओर से यह प्रयास जारी है कि एलआरके के लिए एक सहायक या मोबाइल बूथ की व्यवस्था करना ताकि प्रत्येक मतदाता मतदान कर सके, या फिर रण से मतदान केंद्र और वापस जाने के लिए परिवहन सुविधा की व्यवस्था करना ताकि अगरिया मतदान कर सकें.

Aditya kumar
Aditya kumar
I adore to the field of mass communication and journalism. From 2021, I have worked exclusively in Digital Media. Along with this, there is also experience of ground work for video section as a Reporter.

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