रायपुर : देश के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले से आये दिन नक्सली हमले और मुठभेड़ की खबरें आती हैं लेकिन यहां पहली बार सीआरपीएफ बटालियन-80 में किसी महिला असिसटेंट कमांडेंट ने कार्यभार संभाला है जिससे स्थानीय लोगों की उम्मीदें बढ गयी है. उषा किरण नाम की महिला को इस पद पर नियुक्त किया गया है जिससे सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ गया है.
उषा किरण का कहना है कि आदिवासी और यहां की महिलाएं पुरुष जवानों से डरे-सहमे हुए रहते हैं लेकिन उनके साथ ये लोग ज्यादा सहज महसूस कर रहे हैं. बस्तर में अपना पद संभालने के बाद किये अपने पहले अभियान से मिले अनुभव के बारे में उषा ने बताया कि आंतरिक दुरूह अंचल में बसे ग्राम भडरीमऊ में वह अपने दल के साथ गई, जहां पहुंचने के लिए उन्हें 20 किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ा. यह उनके लिए थोड़ा दिक्कत भरा था लेकिन वहां पहुंचकर उन्हें काफी खुशी हुई.
उषा ने बताया कि जब वह गांव में पहुंचीं, तो गांव की आदिवासी महिलाएं उन्हें देखकर अपने-अपने घरों से बाहर निकल आईं. ऐसा अमुमन नहीं देखा जाता है. उन महिलाओं के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी. उषा ने कहा कि वह बस्तर आना चाहती थीं क्योंकि उन्होंने सुना रखा था कि यहां के निवासी बहुत गरीब हैं और वे भोले भाले हैं.
इलाके के विकास की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां विकास नहीं हो पाया है इसी कारण मुझे यहां आने की प्रेरणा मिली और मैं यहां पहुंच गई. उन्होनें बताया कि वह 332 महिला बटालियन में थीं. उन्हें आगामी सेवा के लिए तीन विकल्प दिए गए थे जिसमें उन्होनें बस्तर में सेवा देने की इच्छा जतायी. उल्लेखनीय है कि उषा किरन मूल रुप से गुंड़गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय विजेता का खिताब अपने नाम किया था. उनकी नियुक्ति से आदिवासियों और महिलाओं में आशा कि किरण जगी है.