नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि पर कार्य बल के ब्योरे को अंतिम रुप दे दिया है. इस कार्य बल का गठन एक हफ्ते के भीतर किया जाएगा, जिसका मकसद पाकिस्तान में प्रवाहित होकर बर्बाद होने वाले नदी के पानी को रोकना है.
एक सूत्र ने बताया, ‘‘सरकार सीमाई राज्य पंजाब और जम्मू-कश्मीर में किसानों के लिए उनकी जरुरत से ज्यादा पानी सुनिश्चित करना चाहती है. भारतीय नदियों से बहकर पाकिस्तान में जाने वाले और वहां बर्बाद हो जाने वाले पानी को रोक कर ऐसा आसानी से किया जा सकता है.” साल 1960 की सिंधु जल संधि के दायरे में छह नदियों – व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम – के जल वितरण और साझा करने के अधिकार आते हैं.
सूत्र ने कहा, ‘‘सिंधु जल संधि पर कार्य बल की रुपरेखा तैयार कर ली गई है. कार्य बल में छह-सात सदस्य होंगे और एक हफ्ते के भीतर इसका गठन किया जाएगा.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि सतलज, व्यास, रावी का पानी भारत का है और पाकिस्तान में उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा.
मोदी ने एक जनसभा में कहा था कि इस पानी की एक-एक बूंद रोक दी जाएगी और पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर के किसानों को दी जाएगी. इस बीच, 1960 में संधि के लिए मध्यस्थता कर चुके विश्व बैंक ने सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान की ओर से शुरु की गई अलग-अलग प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी है ताकि दोनों देश अपने मतभेद सुलझाने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार कर सकें.
