नयी दिल्ली : देश के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और उसके सम्मान में खड़ा होने के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों में कार्यवाही शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाने की एक याचिका पर सुनवाईकरने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत में यह याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता की अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर की गयी थी. न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश अमिताव राय की पीठ ने कहा कि वह भाजपा प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी.
इससे पहले अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता को एक उचित आवेदन दाखिल करना चाहिए. पीठ ने कहा कि सही है या गलत, हमारा आदेश अधिक नहीं खींचा जाना चाहिए. बार (उपाध्याय का उल्लेख करते हुए) को थोड़ा संयम दिखाना चाहिए. इससे पहले सुबह में उपाध्याय ने पीठ के समक्ष इस बात का जिक्र किया कि उसने 30 नवंबर को सिनेमा हॉल के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि वे किसी फिल्म को दिखाने से पूर्व राष्ट्रगान बजायेंगे और दर्शकों को अनिवार्य रूप से इसके सम्मान में खड़े होना होगा.
पीठ ने इसके बाद उपाध्याय की याचिका पर एजी के विचार जानने के लिए उनकी मदद मांगी. अपने 30 नवंबर के आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब कोई राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान प्रदर्शित करता है, तो मातृभूमि के लिए सम्मान और प्यार झलकता है. इसके अलावा, इससे लोगों में देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना पैदा होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जब सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाया जाये, तो स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना चाहिए. इस आदेश की तामील एक सप्ताह के भीतर होनी चाहिए. पीठ ने यह भी कहा था कि सिनेमा हाल में राष्ट्रगान बजाए जाने से पहले हाल के प्रवेश और निकासी द्वार बंद रहने चाहिए, ताकि कोई किसी प्रकार की बाधा नहीं पैदा करे, क्योंकि ऐसा करना राष्ट्रगान के प्रति अपमान होगा और राष्ट्रगान समाप्त होने पर दरवाजे खोले जाने चाहिए.