नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने कथित तौर पर लाभ के पद पर आरुढ होने के कारण सत्तारुढ आम आदमी पार्टी (आप) के 27 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाले आवेदन पर उन्हें फिर से कारण बताओ नोटिस जारी किया है. याचिका जून में दायर की गयी और राष्ट्रपति भवन ने इसे पिछले महीने आयोग के पास भेजा था. इसमें लाभ के पद को लेकर आप के 27 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है.
27 विधायकों में वे सात विधायक भी शामिल हैं जिनके खिलाफ चुनाव आयोग संसदीय सचिव पद पर काबिज होने के कारण इसी तरह की याचिका पर पहले से विचार कर रहा है. सूची में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल, उपाध्यक्ष राखी बिडला, पूर्व उपाध्यक्ष बंदना कुमारी और आप से अलग हो चुके विधायक तथा स्वराज अभियान के नेता पंकज पुष्कर शामिल हैं.
आयोग के सूत्रों ने पुष्टि की कि नोटिस जारी कर दिये गये हैं. विधायकों से 11 नवम्बर तक अपने जवाब देने को कहा गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि ये विधायक दिल्ली में विभिन्न सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समितियों के अध्यक्ष पद पर बिना कानूनी मंजूरी के काबिज हैं.
शिकायत में कहा गया है, ‘‘ दिल्ली सरकार ने 2009 में अपने कार्यकारी आदेशों के जरिए सभी अस्पतालों में रोगी कल्याण समितियों के गठन को मंजूरी दी थी और इनका गठन स्थानीय विधायक की अध्यक्षता में किया गया था जो कि योजना के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन था.” इसमें कहा गया था, ‘‘ मौजूदा सरकार या पूर्व की सरकार द्वारा रोगी कल्याण समितियों के अध्यक्ष पद पर विधायकों की नियुक्ति का आदेश पूरी तरह गैर कानूनी और किसी भी विधिक मंजूरी के बिना था.”
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि रोगी कल्याण समितियों का गठन पांच अक्तूबर 2009 को शीला दीक्षित सरकार ने किया था और शिकायत समय के साथ खत्म हो जाएगी. जुलाई 2014 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने संसद में कहा था कि सांसद और विधायक समितियों के अध्यक्ष होंगे. दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की वेबसाइट साफ तौर पर यह कहती है कि सांसद विधायक अध्यक्ष या सदस्य हो सकता है.