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आस्था के मसले पर लक्ष्मण रेखा पार ना करें कोर्ट : शिव सेना

मुंबई : उच्च्तम न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र में दही-हांडी उत्सव पर प्रतिंबध लगाये जाने पर शिव सेना ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आज कहा कि लोग हिन्दू उत्सवों के संबंध में इस प्रकार की बाधाएं लगाने के प्रयासों विफल कर देंगे. सेना ने कहा, ‘‘गणेशोत्सव, दही-हांडी और नवरात्रि त्योहार सभी हमारी मान्यताओं का हिस्सा हैं. […]

मुंबई : उच्च्तम न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र में दही-हांडी उत्सव पर प्रतिंबध लगाये जाने पर शिव सेना ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आज कहा कि लोग हिन्दू उत्सवों के संबंध में इस प्रकार की बाधाएं लगाने के प्रयासों विफल कर देंगे. सेना ने कहा, ‘‘गणेशोत्सव, दही-हांडी और नवरात्रि त्योहार सभी हमारी मान्यताओं का हिस्सा हैं. हमें निर्देश देने वाले न्यायालयों को कम से कम इस मुद्दे पर लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए.’

सेना ने कहा, ‘‘लोगों ने लोकतांत्रित तरीके से अपनी सरकार चुनी है. यह काम सरकार को करने दीजिये. सरकार के शीर्ष लोग इस बात को जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है. यदि सरकार को नकारने और लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया जाएगा, तो सभी मोर्चो पर राष्ट्रीय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी.’ सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘हिन्दुओं के त्योहार और रीति रिवाज जारी रहेंगे. लोग इनमें बाधा डालने के प्रयासों को विफल कर देंगे और इस काम में शिव सेना अगुवाई करेगी.’

सेना ने कहा, ‘‘जब अदालतें सरकार का काम करने लगेगी, तो उन्हें बदनामी सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए’ संपादकीय में कहा गया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अदालतें वे फैसले करने की कोशिश कर रही हैं जिन्हें करने की सरकार से उम्मीद की जाती है. सेना ने कहा कि उत्सवों के बारे में अदालतों के इस तरह के फतवों (निर्देशों) से जनता में गुस्सा है.

उल्लेखनीय है कि न्यायालय के फैसले के संबंध में शिवसेना की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है, जब एक दिन पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा था कि महाराष्ट्र के महाधिवक्ता उच्चतम न्यायालय में इस मामले पर होने वाली अगली सुनवाई में दही-हांडी उत्सव को लेकर सरकार की पैरवी करेंगे. दही-हांडी उत्सव समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल ने उच्चतम न्यायालय के बुधवार के निर्णय पर कल मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस से मुलाकात की थी. उच्च्तम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि दही-हांडी की ऊंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और इसमें मानव पिरामिड बनाने वाले प्रतिभागियों की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए.

उच्चतम न्यायालय के निर्णय से दही-हांडी समूहों में नाराजगी छा गयी थी, जिनका मानना था कि परंपरागत त्योहार दही-हांडी के लिए उंचाई की सीमा तय करने से इस खेल में रोमांच और साहस समाप्त हो जाएगा. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस तर्क को अदालत में जोरदार तरीके से नहीं रखने पर बृहस्पतिवार को सरकार की आलोचना की थी. फडनवीस ने दही-हांडी प्रतिनिधि मंडल से सभी मानकों के अनुसार यह उत्सव मनाने को कहा था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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