नयी दिल्ली : लोकसभा में आज कांग्रेस ने जाने माने उद्योगपति विजय माल्या द्वारा बैंकों से लिये गए भारी कर्ज को नहीं चुकाने का मुद्दा जोर-शोर से उठा. सरकार की ओर से मामले पर कहा गया कि माल्या को यह राशि साल 2004 से 2010 के दौरान मंजूर की गई जब केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार थी. यूपीए सरकार उनपर मेहरबान थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विजय माल्या द्वारा बैंकों से लिये गए कर्ज की राशि ब्याज सहित 13 नवंबर 2015 तक 9091.40 करोड रुपये हो गई थी. यह राशि उनसे वसूलने के लिए हर कदम उठाये जा रहे हैं.
इस मामले पर भाजपा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने सदन के बाहर आज सुबह कहा कि देश का पैसा लेकर कोई भाग नहीं सकता है. कानूनी कार्रवाई में वक्त लग सकता है. उन्होंने कहा कि माल्या को भारत लाया जाएगा. भाजपा सांसद किरिट सौम्या ने कहा कि जीरो आवर में आज वे विजय मामला का मुद्दा उठायेंगे.
जेटली ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि माल्या को इन बैंकों से पहले सितंबर 2004, फिर फरवरी 2008 में रिण दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2009 में उसके खाते को गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित किया गया और 2010 में उसके रिण का पुनर्गठन किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘ये तारीखें अपनी कहानी स्वयं बयां कर रही हैं.’ उनका इशारा था कि यह सब कांग्रेस के शासनकाल में हुआ. इससे पहले इस मामले को उठाते हुए खडगे ने कहा कि नरेंद्र मोदी 100 दिन में कालाधन वापस लाने के वायदे के साथ सत्ता में आए थे. लेकिन उनकी नाक के नीचे से माल्या देश से भाग गए. सात महीने पहले माल्या से इस घपले के बारे में पूछताछ की गई लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ‘फेयर एंड लवली’ की टिप्पणी करती सुनी गई. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति अभिभाषण धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि काला धन वापस लाने के वादे को पूरा करने की बजाय मोदी सरकार ‘फेयर एंड लवली’ योजना लाई है जिसके तहत कालाधन रखने वालों को उसे ‘‘गोरा करने’ का मौका दिया जाएगा.