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क्‍या फड़णवीस सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पायेगी ?

मुम्बई : देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने इस हफ्ते एक वर्ष पूरा कर लिया लेकिन भाजपा और इसकी पुरानी सहयोगी शिवसेना के बीच गठबंधन में दरारें उभर आने से इसकी राजनीतिक स्थिरता को लेकर सवाल खडे होने लगे हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जो परिदृश्य उभर कर सामने आ रहे हैं उससे लोगों को […]

मुम्बई : देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने इस हफ्ते एक वर्ष पूरा कर लिया लेकिन भाजपा और इसकी पुरानी सहयोगी शिवसेना के बीच गठबंधन में दरारें उभर आने से इसकी राजनीतिक स्थिरता को लेकर सवाल खडे होने लगे हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जो परिदृश्य उभर कर सामने आ रहे हैं उससे लोगों को संदेह होने लगा है कि क्या सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी.

विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा से गठबंधन खत्म करने वाली शिवसेना पिछले वर्ष दिसम्बर में सरकार में शामिल हुई थी और तब से मंत्रालयों की नीतियों और उनके रुख पर अपने मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से प्रहार करती रही है.

शिवसेना ने हाल में महानगर में पाकिस्तानी गायक गुलाम अली का समारोह रद्द करवा दिया था और बाद में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन का भी विरोध किया था. शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने समारोह के आयोजक सुधीन्द्र कुलकर्णी का चेहरा काला कर दिया था जिससे भाजपा को काफी शर्मिंदगी उठानी पडी थी और पूरे देश में इसका विरोध हुआ था.

भाजपा भले ही गठबंधन सहयोगी के आक्रामक रुख का खुलेआम विरोध नहीं करती है लेकिन नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर राज्य पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि शिवसेना के हट जाने की सूरत में भी सरकार चलती रहेगी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिवसेना की ‘बार…बार अराजकता फैलाने’ की क्षमता को नियंत्रित करने में भाजपा विफल रही है.

गठबंधन में दरार और चौडी हो गई जब शिवसेना ने मुंबई में 11 अक्तूबर को प्रधानमंत्री के सारे कार्यक्रमों का ‘बहिष्कार’ किया. उन्होंने कहा, ‘शिवसेना भाजपा की नैसर्गिक सहयोगी है और भाजपा को इसको साथ लेकर चलने की जरुरत है ताकि सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे. अगर शिवसेना समर्थन वापस लेती है तो भाजपा राकांपा का समर्थन ले सकती है लेकिन इससे इसकी विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी.’

कांग्रेस नेता अनंत गाडगिल ने भाजपा…शिवसेना के बीच गठबंधन को ‘तलाक के बाद लिव…इन संबंध’ बताया. शिवसेना से निपटना, सामाजिक सौहार्द बनाए रखना और राज्य में सामाजिक ताने…बाने को मजबूत करना भाजपा के लिए चुनौती है. विश्लेषकों का मानना है कि हाल फिलहाल में सरकार छोडने की इसकी कोई संभावना नहीं है.

उन्होंने बताया, ‘अगर आगामी कल्याण…डोंबिवली निगम चुनावों में शिवसेना सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरती है तो उसे भाजपा पर दबाव बनाने का मौका मिल जाएगा. अगर सरकार की स्थिरता के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों (2017 में) के दौरान भाजपा समझौता कर लेती है तो यह शिवसेना की जीत होगी.’ उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविक मजबूती बीएमसी की है जिसका बजट 13 हजार करोड रुपये का है और महानगर में उसके जमीनी कैडर हैं.’

राज्य विधान परिषद् के सदस्य गाडगिल ने बताया कि सरकार को पारदर्शी तरीके से चलाने का दावा सत्य नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इसने शिक्षा मंत्री विनोद तावडे के आरोपों के खिलाफ कुछ नहीं किया जिनकी शैक्षणिक योग्यता पर संदेह उठा था और उनके विभाग द्वारा निविदा आमंत्रित किए बगैर खरीदारी करना तथा चिक्की घोटाला जिसमें महिला और बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे का नाम आया था, मामले में कुछ नहीं हुआ.’ भाजपा के एक नेता ने कहा कि यह सही मायने में गठबंधन की सरकार नहीं है क्योंकि शिवसेना चुनावों के बाद सरकार में शामिल हुई थी.

भाजपा नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘भाजपा ने सरकार बनाई और शिवसेना बाद में इसमें शामिल हुई. अगर यह गठबंधन छोड भी देती है तो भी सरकार को खतरा नहीं है. भाजपा शिवसेना को चुनौती नहीं बल्कि बाधा मानती है.’ कांग्रेस प्रवक्ता रत्नाकर महाजन ने कहा कि 45 वर्षीय मुख्यमंत्री की छवि खराब हो रही है और सरकार के उपलब्धियों के दावे को ‘बढा…चढाकर’ पेश किया जा रहा है.

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