मुंबई: सरकारी स्कूलों के छात्रों को दी गई चिक्की में मिट्टी के कण पाए जाने के आरोपों से इंकार करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने आज बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि प्रयोगशाला में इसके नमूनों की जांच से ऐसे किसी नहीं खाने योग्य पदार्थ की मौजूदगी का खुलासा नहीं हुआ है.
राज्य सरकार के वकील श्रीहरि अनी ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘गाजियाबाद में एक प्रतिष्ठित सरकारी प्रयोगशाला में भेजे गए नमूनों में मिट्टी का कोई कण नहीं मिला है.” इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को घटिया किस्म की चिक्की प्रदान की जा रही है.न्यायमूर्ति वी एम कनाडे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की पीठ संदीप अहीर तथा कुछ अन्य लोगों की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है.
याचिकाकर्ताओं ने 206 करोड रुपये के कथित चिक्की घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की मांग की है. इस मामले में राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे आरोपों के घेरे में आई थीं. पीठ ने स्कूली बच्चों को चिक्की वितरित करने पर लगाई गई रोक का अंतरिम आदेश 17 नवंबर तक के लिए बढा दिया है.
सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि फिलहाल छात्रों को वितरण के लिए चिक्की का कोई भंडार नहीं बचा है तथा जब्त की चिक्की के इस्तेमाल करने की मियाद पूरी हो गई है, ऐसे में इसका इस्तेमाल अब नहीं हो सकता.सरकार ने जनहित याचिका के जवाब में हलफनामा दायर किया है. उच्च न्यायालय ने पिछले महीने सरकार से कहा था कि उन ठेकेदारों को भुगतान नहीं कया जाए जिन्होंने आंगनवाडियों के छात्रों को मुफ्त में चिक्की बांटने के लिए की आपूर्ति की थी.
