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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अन्ना का आंदोलन शुरू, कहा, अनशन नहीं करूंगा किसानों के लिए जिंदा रहूंगा

नयी दिल्ली :भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि यह अध्यादेश आम जनता के खिलाफ है. इसलिए एकजुटता के साथ हमें इसका विरोध करना है. उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश को लाने वाली केंद्र सरकार अपनी मनमानी कर […]

नयी दिल्ली :भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि यह अध्यादेश आम जनता के खिलाफ है. इसलिए एकजुटता के साथ हमें इसका विरोध करना है. उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश को लाने वाली केंद्र सरकार अपनी मनमानी कर रही है. उन्होंने केंद्र सरकार की निंदा करते हुए उसकी तुलना अंग्रेजों से कर डाली. अन्ना ने कहा कि मैं इस अध्यादेश के खिलाफ बड़ा आंदोलन करूंगा, लेकिन अनशन नहीं करूंगा, मुझे किसानों के लिए जिंदा रहना है. उन्होंने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि यह सरकार सोच रही है कि वह बहुमत के साथ चुनकर आयी है, इसलिए कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लेकिन वह इस बात को भूल गयी है कि जिस जनता ने उसे बहुमत दिया है, वह उसे सत्ता से आज नहीं तो कल हटा सकती है.अन्ना ने इस बात के संकेत दिये कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ जेल भरो आंदोलन भी चलाया जायेगा.

अन्ना बड़े आंदोलन के मूड में हैं और इसी सोच के साथ वे दिल्ली पहुंचे हैं. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपने प्रदर्शन से पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने इस बात के संकेत दिये थे कि अगर नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया जायेगा. हजारे ने यहां पहुंचने के तुरंत बाद कहा कि देश भर में तीन-चार महीने की पदयात्रा के बाद दो दिनों का प्रदर्शन किया जायेगा ताकि अध्यादेश में केंद्र द्वारा किये गये किसान विरोधी प्रावधानों से लोगों को अवगत कराया जा सके.

उन्होंने कहा, अगर सरकार ने अध्यादेश वापस नहीं लिया तो लोग अपना आंदोलन जारी रखेंगे. कार्यकर्ता किसानों को (संशोधन से) जागरूक करेंगे. देश भर के किसानों के अगले तीन-चार महीने में रामलीला मैदान में जुटने की संभावना है. 77 वर्षीय हजारे अध्यादेश के माध्यम से भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ बदलाव किये जाने को लेकर मोदी सरकार के घोर आलोचक रहे हैं.
पिछले वर्ष 29 दिसंबर को सरकार ने अध्यादेश लाकर भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए पांच क्षेत्रों में किसानों की सहमति प्राप्त करने की धारा को हटाना भी शामिल है. ये पांच क्षेत्र हैं औद्योगिक कोरीडोर, पीपीपी परियोजनाएं, ग्रामीण आधारभूत ढांचे, सस्ते आवास और रक्षा.

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