रालेगणसिद्धि (महाराष्ट्र) : विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने में ‘‘विफलता’’ के लिए मोदी सरकार की आलोचना करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बुधवार को कहा कि वह लोकपाल के मुद्दे पर नए सिरे से आंदोलन छेडेंगे. नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लोग इस सरकार को धोखाधड़ी के लिए सबक सिखाएंगे.
यदि अन्ना लोकपाल के मुद्दे को लेकर आंदोलन करते हैं तो सोचने वाली बात यह होगी कि उनको इस बार सफलता मिलेगी या नहीं. यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि लोकपाल के मुद्दे पर पिछले आंदोलन में उनका साथ देने वाले लगभग सभी बड़े नामों ने किसी न किसी पार्टी से नाता जोड़ लिया है.वहीं आंदोलन से जुडे बी के सिंह भी भाजपा में शामिल होकर सरकार में मंत्री पद ले चुके हैं.
जहां लोकपाल आंदोलन के बाद उभरा मुख्य चेहरा अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी बनाकर ली है जिसके समर्थन में अन्ना हजारे नहीं थे वहीं किरण बेदी ने भाजपा का दामन थाम कर अन्ना को जोरदार झटका दिया है. किरण के भाजपा में शामिल होने के बाद अन्ना ने कहा भी था कि इस मामले में उनकी किरण से कोई बातचीत नहीं हुई.
केजरीवाल की पार्टी में आंदोलन से लोगों को जोड़कर रखने वाले कुमार विश्वास ,मनिष सिसोदिया, शांति भूषण जैसे दिग्गज अब आम आदमी पार्टी के साथ जुड़कर अन्य पार्टियों के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. सवाल यह उठता है कि यदि अन्ना इस बार लोकपाल के लिए आंदोलन करते हैं तो क्या वे अपने पुराने दिग्गजों का साथ लेंगे या फिर इस आंदोलन में कुछ नये चेहरे देखने को मिलेंगे. हालांकि हजारे ने अपने पुराने साथियों अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के बारे में बात करने से इनकार कर दिया. केजरीवाल और बेदी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.
हजारे ने कहा, लोगों के साथ जो धोखाधड़ी हुई है उससे वे उन्हें (भाजपा नीत सरकार को) उसी तरह का सबक सिखाएंगे जो उन्होंने कांग्रेस को सिखाया था. साल 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद जनता जाग गयी. यह पूछे जाने पर कि क्या वह केजरीवाल और बेदी के राजनीति में जाने से नाराज हैं तो हजारे ने कहा, नहीं. नाराज होने का सवाल तब उठता है जब आपके पास ऐसी अकांक्षाएं हैं जो पूरी नहीं हो सकती.