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अफगान वार्ता से सरकार की वैधता नहीं होनी चाहिए कमजोर

नयी दिल्ली : भारत ने तालिबान के साथ अफगानिस्तान की सुलह समाधान प्रक्रिया का आज समर्थन किया लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि इससे अफगान सरकार की वैधता कमजोर नहीं होनी चाहिए तथा यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य ‘‘मानक’’ के दायरे में होनी चाहिए. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज यहां 20वें आसियान क्षेत्रीय फोरम […]

नयी दिल्ली : भारत ने तालिबान के साथ अफगानिस्तान की सुलह समाधान प्रक्रिया का आज समर्थन किया लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि इससे अफगान सरकार की वैधता कमजोर नहीं होनी चाहिए तथा यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य ‘‘मानक’’ के दायरे में होनी चाहिए. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज यहां 20वें आसियान क्षेत्रीय फोरम (एआरएफ) की बैठक में कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य सरकार द्वारा सभी विपक्षी सशस्त्र समूहों के साथ शांति वार्ता शुरु करने के लिए किये गए प्रयासों का समर्थन करते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह एक अफगान के नेतृत्व वाली अफगान के स्वामित्व वाली सुलह समाधान प्रक्रिया होनी चाहिए जो कि अफगान संविधान और अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार्य मानक के दायरे में हो. इस वार्ता प्रक्रिया में अफगान समाज के सभी वर्ग और तालिबान सहित विपक्षी सशस्त्र समूह सम्मिलित होने चाहिए.’’

अफगान तालिबान ने गत महीने कतर की राजधानी दोहा में एक राजनीतिक कार्यालय खोला था और अफगान सरकार और अन्य हितधारकों के साथ शांतिवार्ता की इच्छा जतायी थी. वार्ता की संभावना तब फीकी हो गई जब तालिबान ने ‘‘इस्लामिक अमीरात आफ अफगानिस्तान’’ के नाम से कार्यालय खोलने के साथ ही उस पर उस झंडे का इस्तेमाल किया जो वह अफगानिसतान में वर्ष 2001 के अमेरिका नीत हमले से पहले देश पर शासन करने के लिए करता था.

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