बदलते मौसम के कारण सरकार बदलेगी मॉनसून की दस्तक और वापसी की तारीख
गाडगिल समिति कर रही है पिछले दस साल के रिकॉर्ड का अध्ययन नयी दिल्ली : साल दर साल मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए मॉनसून की दस्तक और वापसी की तारीखों में सरकार बदलाव कर सकती है. फिलहाल एक जून को मॉनसून के दस्तक देने और एक सितंबर से इसकी वापसी तारीख तय है. […]
गाडगिल समिति कर रही है पिछले दस साल के रिकॉर्ड का अध्ययन
नयी दिल्ली : साल दर साल मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए मॉनसून की दस्तक और वापसी की तारीखों में सरकार बदलाव कर सकती है. फिलहाल एक जून को मॉनसून के दस्तक देने और एक सितंबर से इसकी वापसी तारीख तय है.
तारीखों की समीक्षा के लिए गठित गाडगिल समिति की रिपोर्ट के बाद मॉनसून के आगमन व प्रस्थान का नया कार्यक्रम तय होगा़ मौसम विभाग ने तारीखों में पांच से दस दिन के बदलाव की संभावना व्यक्त की है. समिति दस सालों का रिकॉर्ड देखेगी. यदि समिति मॉनसून के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव की सिफारिश करती है, तो अगले साल से मॉनसून के दस्तक व वापसी की तारीख में बदलाव तय है़
हर दस साल के अंतराल पर है बदलाव का नियम
आजादी के बाद से अब तक एक ही तारीख
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि आजादी के बाद मॉनसून की तारीख में बदलाव नहीं हुआ है़ नियनुसार हर दस साल के अंतराल पर मॉनसून के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की समीक्षा होती है.
फिलहाल देश में दक्षिण पश्चिम मॉनसून के सक्रिय होने की तारीख एक जून है. लगभग तीन महीने तक इसके सक्रिय रहने के दौरान पूरे देश में बारिश होती है. एक सितंबर से पश्चिमी राजस्थान होते हुए इसकी वापसी शुरू हो जाती है. 30 सितंबर तक मॉनसून की पूरी तरह से वापसी हो जाती है.
क्यों पड़ी जरूरत
दरअसल, जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम की अवधि में भी बदलाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है. पिछले कुछ सालों से सर्दी और गर्मी का असर आमतौर पर देर से महसूस होना शुरू हो रहा है.
यह असर अधिक समय तक रहता है. इसका सीधा प्रभाव मॉनसून की गतिविधियों पर भी पड़ा है. पिछले कुछ सालों से मॉनसून के आगमन में देरी के कारण, इसकी वापसी भी 20 दिन की देरी से हो रही है़ इस साल भी इसकी देर से वापसी का पूर्वानुमान है. इन्हीं कारण से मॉनसून के आगमन और वापसी की तारीखों में बदलाव की बात कही जा रही है.
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