15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

लोकसभा चुनाव : बैलेट की जगह इवीएम इस्तेमाल से घटा मतदान प्रतिशत

2004 में इवीएम व प्रचार के लिए नयी तकनीक के इस्तेमाल के बाद से मतदान प्रतिशत में गिरावट पटना : बिहार के लोकसभा चुनावों में बैलेट पेपर की जगह वर्ष 2004 में इवीएम और प्रचार के लिए नयी तकनीक के इस्तेमाल के बाद से मतदान प्रतिशत में गिरावट आयी है. हाल ही में हुए दो […]

2004 में इवीएम व प्रचार के लिए नयी तकनीक के इस्तेमाल के बाद से मतदान प्रतिशत में गिरावट
पटना : बिहार के लोकसभा चुनावों में बैलेट पेपर की जगह वर्ष 2004 में इवीएम और प्रचार के लिए नयी तकनीक के इस्तेमाल के बाद से मतदान प्रतिशत में गिरावट आयी है. हाल ही में हुए दो चरणों के चुनाव के आंकड़े भी इसे सही साबित करते हैं.
वर्ष 2019 में पहले चरण में लोकसभा की चार सीटों गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुइ में औसतन मतदान 53.06 प्रतिशत दर्ज किया गया. वर्ष 2009 में इन क्षेत्रों में औसतन 43.43 प्रतिशत वोट पड़े थे. वर्ष 2019 में दूसरे चरण में किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर और बांका में हुए चुनाव में औसतन 62.34 प्रतिशत वोट पड़े. पूरे बिहार में वर्ष 2009 में औसतन 44.27 प्रतिशत वोट पड़े थे. वहीं, वर्ष 2004 में बिहार में 59 प्रतिशत वोट पड़े थे.
मतदाताओं की जागरूकता के लिए नयी तकनीक का इस्तेमाल
वर्ष 2000 में झारखंड से बिहार अलग होने के बाद से मतदाताओं की जागरूकता के लिए नयी-नयी और उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके तहत रेडियाे, टेलीविजन, मोबाइल, इंटरनेट सहित प्रचार के अन्य माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, अब मतदाताओं को जागरूक करने के लिए डोर-टू-डोर अभियान में कमी आयी है. यह अभियान बहुत प्रभावी साबित हुआ था.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस संबंध में समाजशास्त्री प्रो डीएम दिवाकर कहते हैं कि जनता की अपेक्षाओं पर राजनीतिक दल और उनके उम्मीदवार खरे नहीं उतरते हैं. धनबल और बाहुबल का बोलबाला है, जिससे मतदाता उदासीन होने लगे हैं.
वहीं, लगभग सभी राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो और बाद में उस अनुसार काम नहीं होने से भी मतदाताओं की रुचि घटी है. मतदान करने वालों में मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या कम है. यह अवसरवादी संसदीय भटकाव का दौर है. जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि पिछले लोकसभा चुनाव में करीब दो करोड़ लोगों ने नोटा का प्रयोग किया. वहीं, ईवीएम मशीनों में भी गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं.
वर्ष 2004 से पहले वैलेट पेपर से चुनाव
बिहार से झारखंड वर्ष 2000 में अलग हुआ था. इसके बाद पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ और इसी साल से लोकसभा चुनावों में इवीएम का इस्तेमाल शुरू हुआ.
इससे पहले वैलेट पेपर से चुनाव होते थे. आंकड़ों की बात करें तो संयुक्त बिहार में (झारखंड सहित) वर्ष 1999 में और वर्ष 1998 में 64 प्रतिशत और वर्ष 1999 में 61.48 प्रतिशत वोट पड़े थे. ये आंकड़े बताते हैं कि वैलेट पेपर की जगह ईवीएम और अब वीवीपैट के इस्तेमाल के बाद से मतदान प्रतिशत में कमी आयी है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel