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भ्रष्‍टाचार के आरोप में सीबीआई ने हाई कोर्ट के एक पूर्व जज के खिलाफ दर्ज किया मामला

नयी दिल्ली : सीबीआई ने बुधवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में ओडिशा हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत जज और पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की एवं आठ जगहों पर छापेमारी की. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि सेवानिवृत न्यायाधीश इशरत मसरुर कुद्दूसी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है. उनके […]

नयी दिल्ली : सीबीआई ने बुधवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में ओडिशा हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत जज और पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की एवं आठ जगहों पर छापेमारी की. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि सेवानिवृत न्यायाधीश इशरत मसरुर कुद्दूसी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है. उनके साथ प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट के बी. पी. यादव और पलाश यादव के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है.

प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट लखनऊ में एक मेडिकल कॉलेज का संचालन करता है. इनके अलावा, बिचौलिये विश्वनाथ अग्रवाल और दो अन्य – भावना पांडेय और सुधीर गिरि – के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. न्यायमूर्ति कुद्दूसी 2004 से 2010 तक ओडशिा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे. प्रवक्ता ने बताया कि एजेंसी ने यहां कुद्दूसी के आवास सहित आठ जगहों छापेमारी की. भुवनेश्वर और लखनऊ में भी छापेमारी की गयी.

सीबीआई के प्रवक्ता ने इन खबरों को खारिज कर दिया कि ओडिशा हाई कोर्ट के एक मौजूदा जज के आवास पर जांच एजेंसी ने छापेमारी की है. उन्होंने कहा कि ऐसी सारी खबरें बेबुनियाद और तथ्यात्मक तौर पर गलत हैं. सीबीआई की प्राथमिकी के मुताबिक, लखनऊ स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस उन 46 मेडिकल संस्थानों में शामिल है जिसे सरकार ने नये छात्रों का दाखिला लेने से रोक दिया था.आधारभूत संरचना में कमियों के कारण इस संस्थान को नये दाखिलों से रोका गया था. इस मुद्दे को संस्थान ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी.

शीर्ष न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया कि वह रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री पर फिर से विचार करे. शीर्ष न्यायालय के आदेश के मुताबिक, सरकार ने मामले की सुनवाई की और कॉलेज को 2017-18 और 2018-19 शैक्षणिक वर्षों के लिए दाखिला लेने से रोक दिया.सरकार ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को अधिकृत किया कि वह कॉलेज की बैंक गारंटी की रकम दो करोड़ रुपये को भुना ले. प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट ने इस मामले को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दे रखी है. ट्रस्ट ने रिट याचिका दाखिल की थी. बी. पी. यादव मेरठ स्थित वेंकटेश्वर मेडिकल कॉलेज के सुधीर गिरि के जरिए न्यायमूर्ति कुद्दूसी और पांडेय के संपर्क में आये.

यादव ने कुद्दूसी और पांडेय से अनुरोध किया कि वे अपने संपर्कों के जरिए उच्चतम न्यायालय में मामला निपटाने में उनकी मदद करें और उन्होंने फिर भुवनेश्वर के रहने वाले विश्वनाथ अग्रवाल से संपर्क साधा. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, विश्वनाथ अग्रवाल ने मामले से संबंधित वरिष्ठ लोक सेवकों से बेहद करीबी संबंध होने का दावा किया और आश्वासन दिया कि वह मामले को सकारात्मक तरीके से निपटा देंगे.

उन्होंने उक्त मदद की एवज में भ्रष्ट एवं अवैध तरीकों से लोक सेवकों को ललचाने के लिए रिश्वत के तौर पर बड़ी रकम की मांग की. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने जाल बिछाया और दिल्ली में अग्रवाल से एक करोड़ रुपये बरामद किये. यह रकम उन्हें कथित तौर पर हवाला ऑपरेटर राम देव सारस्वत से मिली थी. उन्होंने कहा कि छापों के दौरान हवाला ऑपरेटर से 85 लाख रुपये और पांडेय से पांच लाख रुपये बरामद किये गये.

Prabhat Khabar Digital Desk
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