गुमला. पति की मौत के बाद पत्नी अपनी मासूम बेटी को गोद में लेकर मृत्यु/दुर्घटना सहायता योजना का लाभ लेने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है. यह मामला गुमला सदर प्रखंड की बसुआ पंचायत अंतर्गत संवारिया गांव का है. इस गांव के शंकर उरांव बीते वर्ष मजदूरी करने के लिए हैदराबाद गया हुआ था, जहां उनका निधन हो गया. अब स्व उरांव की पत्नी शीला उरांव अपने पति की मृत्यु का मृत्यु/दुर्घटना सहायता योजना का लाभ लेने के लिए परेशान है. शीला उरांव के चार बच्चे हैं. शीला उरांव ने बताया कि उसके पति हैदराबाद में एक कंपनी में काम करता था, जहां 25 जुलाई 2024 को उनकी मौत हो गयी. उनकी मौत के बाद कंपनी के लोगों ने उनके शव को एंबुलेंस से घर तक लाकर पहुंचा दिया. इसके कुछ महीनों के बाद कंपनी द्वारा उनके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र दिया गया. शीला ने बताया कि इसके बाद उन्होंने उपायुक्त गुमला को आवेदन देकर जीवन-यापन और चारों बच्चों के पालन-पोषण में सहयोग करने की गुहार लगायी. जहां मेरी गुहार सुनी गयी और उनके द्वारा मेरे आवेदन को श्रम अधीक्षक कार्यालय भेज दिया गया. इसके कुछ दिनों बाद मेरे घर एक महिला आयी. उस महिला ने खुद को पंचायत सेवक बताया और मुझसे मेरे पति की मौत के संबंध में पूछताछ करने के बाद बोली कि खर्चा मिलेगा, तो अच्छी रिपोर्ट बना देंगे, नहीं तो जैसे-तैसे बना कर दे देंगे. शीला ने बताया कि महिला ने हजारों रुपये की मांग की थी. लेकिन वह पहले से ही गरीबी में जी रही है. घर में खाने को अनाज तक नहीं रहता है. ऐसे में उसे मैं कहां से पैसा देती. शीला ने बताया कि उन्होंने पैसे देने से इंकार कर दिया, जिससे उस महिला ने गलत रिपोर्ट बना कर दे दिया और अब उसे सहायता नहीं मिल रही है. शीला ने बताया कि कार्यालय में बताया जा रहा है कि मेरे पति की मौत की तिथि में अंतर है. जांच में मृत्यु की तिथि अलग व मेरे द्वारा दिये गये आवेदन में मृत्यु की तिथि अलग है. इसके साथ ही पंचायत सचिव के जांच प्रतिवेदन व मेरे पति के आधार कार्ड में उम्र का भी अंतर है, जिससे मुझे योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. शीला उरांव ने कहा कि उसे चार बच्चों के पालन-पोषण की चिंता है. बच्चे भी छोटे-छोटे हैं. मजदूरी कर किसी प्रकार घर चल रहा है. लेकिन जांच करने आयी महिला को पैसे नहीं देने के कारण मुझ गरीब को प्रशासन मदद नहीं कर रहा है.
मां व पिता की बीमारी से मौत, अनाथ बच्चों को नहीं मिल रही सरकारी मदद
गुमला. रायडीह प्रखंड के कांसीर पंचायत में जादी गांव निवासी चेतन लाल मुंडा की पांच साल पहले टीबी बीमारी से मौत हो गयी. पति की मौत के बाद पत्नी सरिता देवी सदमे में रहने लगी. इधर 2022 में सरिता देवी की भी बीमारी से जान चली गयी. दंपती की मौत के बाद उसके चार बच्चे अनाथ हो गये. इनमें सूर्य नारायण मुंडा, चंद्रदेव मुंडा, जगपाल मुंडा व अंजनी कुमारी शामिल हैं. इसमें सिर्फ जगपाल मुंडा स्कूल जाता है. बाकी भाई बहन मजदूरी करते हैं, ताकि उनका छोटा भाई मजदूरी कर सके. गांव में कोई काम नहीं है. इसलिए मुश्किल से घर की रोजी-रोटी चल रही है. सूर्यनारायण मुंडा ने कहा है कि गांव में काम नहीं है. मजबूरी में दूसरे राज्य काम करने जाने का प्लान बनाये हैं, ताकि कुछ पैसा कमा कर घर भेज सकूं. उन्होंने बताया कि माता-पिता की मौत के बाद किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. उन्होंने प्रशासन से छोटे भाई जगपाल मुंडा को स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ते हुए मदद करने की गुहार लगायी है, ताकि उनका जीविका चल सके. घर भी बारिश में गिर गया है. समाजसेवी सोनामति कुमारी ने कहा है कि अगर प्रशासन समय रहते इन बच्चों की मदद नहीं की, तो ये बच्चे मानव तस्करी का शिकार हो सकते हैं. क्योंकि, ऐसे अनाथ बच्चों को मानव तस्कर खोजते रहते हैं, ताकि उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच सकें. उन्होंने प्रशासन से इन बच्चों की मदद करने की मांग की है.
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