मधेपुरा.
राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के स्थापना दिवस पर बुधवार को विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र विभाग में स्थापनोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता- सह-मुख्य अतिथि कुलपति प्रो बीएस झा ने बताया कि एनएसएस राष्ट्र की सेवा का एक सशक्त माध्यम है. यह युवाओं में मानवीय मूल्यों, नैतिक संस्कारों व सामाजिक सरोकारों को बढ़ावा देता है. इससे अधिकाधिक युवाओं को जोड़ने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि आजादी के बाद डॉ राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने शैक्षिक संस्थानों में स्वैच्छिक राष्ट्रीय सेवा शुरू करने की सिफारिश की थी. इस पर केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने जनवरी, 1950 में बैठक में विचार किया. उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने विचार-विमर्श के बाद तत्कालीन शिक्षामंत्री डॉ वीके आरबी राव के विशेष प्रयास से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सौंवें जयंती वर्ष (1969) में एनएसएस की शुरुआत की. शुरू में यह योजना देश के 37 विश्वविद्यालयों में लागू थी और इसमें 40 हजार स्वयंसेवकों थे. अब 6 सौ 57 विश्वविद्यालयों व 51 अन्य शैक्षणिक संस्थानों में फैल चुका है और इसमें कुल 39 लाख 87 हजार 7 सौ 81 स्वयंसेवक पंजीकृत हैं. उन्होंने बताया कि एनएसएस का आदर्श वाक्य ””मैं नहीं, बल्कि आप”” है. यह वाक्य निस्वार्थ सेवा और सामुदायिक जुड़ाव को दर्शाता है. एनएसएस दिवस समारोह सामुदायिक विकास व राष्ट्र-निर्माण के मूल्यों की याद दिलाता है. इन्हीं मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए एनएसएस प्रतिबद्ध है.युवाओं पर है नवनिर्माण की जिम्मेदारी
विशिष्ट अतिथि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि आज हमारे देश में करीब 65 फीसदी जनसंख्या युवा है. युवाओं के कंधों पर ही देश के नवनिर्माण की जिम्मेदारी है. संप्रति डिजिटल भारत, कौशल भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में भी इसकी महती भूमिका है. यह भारत को विकसित बनाने की योजना को भी जन-जन तक पहुंचाने में लगा है.
राष्ट्र के नवनिर्माण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है एनएसएस
सम्मानित अतिथि परिसंपदा प्रभारी शंभू नारायण यादव ने कहा कि एनएसएस समाज व राष्ट्र के नवनिर्माण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. इसका कार्यक्षेत्र समाज व राष्ट्र के सभी आयामों तक फैला हुआ. इसकी मुख्य गतिविधियों वाले क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सेवा, आपदा राहत तथा पुनर्वास संबंधी कार्यक्रम, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान आदि शामिल हैं.
एनएसएस को किया जा रहा है गतिशील
कार्यक्रम का संचालन करते हुए समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि विश्वविद्यालय एनएसएस को गतिशील बनाया गया है. आने वाले दिनों में कई अभिनव प्रयोग सामने आयेंगे. इसी कड़ी में गत पांच वर्षों में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले कार्यक्रम पदाधिकारियों व स्वयंसेवकों को सम्मानित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया है. प्राप्त आवेदनों के मूल्यांकन के उपरांत एक कार्यक्रम आयोजित कर संबंधित कार्यक्रम पदाधिकारियों व स्वयंसेवकों को सम्मानित किया जायेगा. अतिथियों का स्वागत एमएड विभागाध्यक्ष डॉ एसपी सिंह ने की. धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज मंसूरी ने किया.
मौके पर डॉ सीडी यादव, डॉ राबिंस कुमार, प्रिया पूजा, सुषमा कुमारी, नेहा कुमारी, आरती कुमारी, प्रियांशु कुमारी, सौम्या कुमारी, निशा कुमारी, अंजली कुमारी, अनुभवी कुमारी, शिल्पा कुमारी, अतुल अनुराग, अनिमेष कुमार, नंदन कुमार, विजय कुमार, मंडल नरेंद्र कुमार चौधरी, गुरु कृष्णा, एमडी हसन आलम, पवन कुमार, अजय कुमार, पिंकी कुमारी, रूपेश कुमार, अमरितेश कुमार, सुबोध कुमार, सौरभ कुमार, वकील कुमार, अवधेश कुमार, निशा कुमारी, स्वीटी कुमारी आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

