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Bhadrapada Purnima 2022 Live Updates: भाद्रपद पूर्णिमा आज, नोट कर लें विधि, सामग्री की पूरी लिस्ट, नियम

Bhadrapada Purnima 2022 Live Updates: आज भाद्रपद पूर्णिमा है. आज भाद्रपद मास का अंतिम दिन है. इसके अगले दिन से यानी 11 सितंबर, रविवार को आश्विन मास आरंभ हो जाएगा. भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है.

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Bhadrapada Purnima 2022: भाद्रपद व्रत विधि

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत भी रखा जाता है. इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद पूजा के लिए पंचामृत और प्रसाद के लिए चूरमा बना लें. इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुनिए. कथा के बाद भगवान सत्यनारायण, माता लक्ष्मी, भगवान शिव, माता पार्वती की आरती होती है. इसके बाद प्रसाद बांटे जाते हैं. इस तरह पूजा संपन्न होता है.

Bhadrapada Purnima 2022: कितने प्रकार के होते हैं तर्पण

  • 1- पितृतर्पण

  • 2- मनुष्यतर्पण

  • 3- देवतर्पण

  • 4- भीष्मतर्पण

  • 5- मनुष्यपितृतर्पण

  • 6- यमतर्पण

Bhadrapada Purnima 2022: शुभ मुहूर्त

  • भाद्रपद मास की पूर्णिमा 10 सितंबर दिन शनिवार को है.

  • भाद्रपद पूर्णिमा का शुभ समय- 10 सितंबर दिन शनिवार को 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक

  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक

  • अमृत काल- रात 12 बजकर 34 मिनट से देर रात 02 बजकर 03 मिनट तक

  • भाद्रपद पूर्णिमा का चंद्रोदय का समय- 10 सितंबर को चंद्रमा का उदय शाम 06 बजकर 49 मिनट से होगा

Bhadrapada Purnima 2022: भाद्रपद पूर्णिमा तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 सितंबर को शाम 06 बजकर 07 मिनट से शुरू हुई और अगले दिन यानि 10 सितंबर दिन शनिवार को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर होगाी इसलिए इस साल भाद्रपद पूर्णिमा 10 सितंबर को है. इस दिन से पितृपक्ष श्राद्ध कार्य शुरू हो रहे हैं.

Bhadrapada Purnima 2022: हनुमान जी की पूजा करने से मिलता है विशेष लाभ

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन हनुमान जी की पूजा करने पर विशेष लाभ मिलेगा. पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो गयी है. सुबह भगवान सूर्य को जल अर्पित करें. इसके बाद हुनमान चलिसा का पाठ करें.

Bhadrapada Purnima 2022: श्राद्ध पूजा सामग्री

रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना.

भाद्रपद पूर्णिमा: आज के अशुभ मुहूर्त

  • राहुकाल- 09:11 am से 10:44 am

  • यमगण्ड- 01:52 pm से 03:25 am

  • आडल योग- 09:37 am से 06:04 am, सितम्बर 11

  • दुर्मुहूर्त- 06:03 am से 06:53 ma

  • गुलिक काल- 06:03 am से 07:37 am, 06:53 am से 07:43 am

  • पञ्चक- पूरे दिन

भाद्रपद पूर्णिमा 2022: आज के शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:31 am से 05:17 am

  • अभिजित मुहूर्त- 11:53 am से 12:43 pm

  • विजय मुहूर्त- 02:23 pm से 03:13 pm

  • गोधूलि मुहूर्त- 06:20 pm से 06:44 pm

  • अमृत काल- 12:34 am, सितम्बर 11 से 02:03 am, सितम्बर 11

  • निशिता मुहूर्त- 11:55 pm से 12:41 am, सितम्बर 11

भाद्रपद पूर्णिमा की व्रत विधि (Bhadrapada Purnima 2022 Vrat Vidhi)

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत भी रखा जाता है. इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद पूजा के लिए पंचामृत और प्रसाद के लिए चूरमा बना लें. इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुनिए. कथा के बाद भगवान सत्यनारायण, माता लक्ष्मी, भगवान शिव, माता पार्वती की आरती होती है. इसके बाद प्रसाद बांटे जाते हैं. इस तरह पूजा संपन्न होता है.

भाद्रपद पूर्णिमा को श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा 10 सितंबर 2022 को है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधाना है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे श्राद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है.

श्राद्ध पूजा की सामग्री

रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना.

भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध का मुहूर्त (Shradh Purnima 2022 Time)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृपक्ष का भाग नहीं होता है. जिनकी मृत्यु तिथि पूर्णिमा होती है उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है. कोई इस दिन श्राद्ध कर्म करना चाहे तो इमुहूर्त के अनुसार सुबह 11:59 से शाम 04:08 तक कर सकता है.

भाद्रपद पूर्णिमा महत्व (Bhadrapad Purnima Shradh significance)

पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण की पूजा करना उत्तम फलदायी मान गया है. कलयुग में सत्यनारायण देव की उपासना से व्यक्ति को धन प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. पूर्णिमा पर व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने या सुनने से इंसान मोक्ष को प्राप्त करता है. उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. सारे कष्ट दूर होते हैं. भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर का व्रत भी किया जाता है. इसमें शंकर पार्वती की पूजा करने से पिछले जन्म के पाप और दोष खत्म हो जाते हैं.

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