Advertisement
दवाओं का विकल्प बन सकती है सुजोक चिकित्सा
वर्तमान में अंगरेजी चिकित्सा पद्धति अधिक प्रचलित है, मगर महंगी व विशेष परिस्थितियों में रोगी को समुचित लाभ नहीं मिल पाने से लोग अन्य विकल्पों को तलाशते हैं. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए आज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियाें पर बहुत कुछ किया जा रहा है. इसमें सुजोक पद्धति बेहद कारगर मानी जा रही है, […]
वर्तमान में अंगरेजी चिकित्सा पद्धति अधिक प्रचलित है, मगर महंगी व विशेष परिस्थितियों में रोगी को समुचित लाभ नहीं मिल पाने से लोग अन्य विकल्पों को तलाशते हैं. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए आज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियाें पर बहुत कुछ किया जा रहा है. इसमें सुजोक पद्धति बेहद कारगर मानी जा रही है, जिसे एिशयाई देशों में प्रचलित कई प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को मिला कर तैयार किया गया है. यह कई रोगों में दवाओं का विकल्प बनने की क्षमता रखती है और अंगरेजी पद्धति के साथ भी इसे प्रयोग कर सकते हैं. इसके बारे में बता रही हैं हमारी सुजोक थेरेपी विशेषज्ञ.
अंतरा चौधरी
सुजोक थेरेपिस्ट, क्लब हाउस सेल सिटी, न्यू पुनदाग, रांची
‘सुजोक’ एक प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें बिना दवाई के साधारण सर्दी-खांसी से लेकर कैंसर तक का इलाज किया जाता है. यह विभिन्न एशियाई देशों जैसे-भारत, चीन, कोरिया, इजिप्ट आदि देशों में प्रचलित प्राकृतिक चिकित्साओं का सम्मिलित रूप है. इसके निर्माता कोरियन प्रोफेसर पार्क जे वु हैं.
इन्होंने भारत व अन्य एशियाई देशों की प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली का अध्ययन किया और इनमें समानता पायी. उन्होंने इन सभी को एक अत्यंत सहज तरीके से सुजोक चिकित्सा प्रणाली में प्रयोग किया. इसमें इस्तेमाल होनेवाले सामान रसोई में उपलब्ध दाल, मसाले (बीज के रूप में) आदि हैं. कुछ सामान बगीचे में और कुछ स्टेशनरी जैसे-रंगीन स्केच पेन आदि के रूप में उपलब्ध हैं. पुराणों में वर्णित चक्रों-सहस्त्रार, ज्ञान, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मूलाधार को चिकित्सा में अत्यंत सरल रूप में प्रयोग किया गया है. शरीर में 72 लाख नाड़ियों का जाल है. इन नाड़ियों या एनर्जी पथ से ऊर्जा शरीर के विभिन्न हिस्सों में प्रवाहित होती है. ‘सोलर या मणिपुर चक्र’ वायुमंडल से ‘ऊर्जा’ का अवशोषण करता है और दूसरे चक्रों को समय-समय पर ऊर्जा स्थानांतरित करता है.
सुजोक की विशेषताएं
सुजोक की विशेषताएं इस प्रकार हैं-
– ‘सुजोक’ में हम शरीर के किसी भी हिस्से के रोगों का इलाज सिर्फ हाथ और पैर में करते हैं.
– इसका कोई ‘साइड इफेक्ट’ नहीं हैं क्योंकि यह पॉजिटिव एनर्जी देता है. यह एनर्जी पथ की बाधा दूर करता है या एनर्जी में सामंजस्य लाता है. अत: इसका नकारात्मक परिणाम नहीं है.
– ‘सुजोक’ चिकित्सा को अन्य चिकित्सा के साथ भी करा सकते हैं. इससे इलाज का लाभ और तेजी से मिलने लगेगा. परंतु बिना डॉक्टर के परामर्श से अपनी दवाई बंद न करें.
हम बीमार क्यों पड़ते हैं
एनर्जी पथ में रुकावट आने या वायुमंडलीय ऊर्जा की मात्रा शरीर में कम या अधिक हो जाये, तब हम बीमार पड़ जाते हैं. ऐसा अनियमित जीवनशैली के कारण होता है. विभिन्न चिकित्सा प्रणाली को सम्मिलित रूप से प्रयोग कर इलाज करने पर बहुत ही कारगर परिणाम मिलते हैं. कुछ उदाहरण :
35 वर्षीया महिला को सांस लेने में तकलीफ थी और आॅक्सीजन सिलेंडर पर 24 घंटे निर्भर थी. सुजोक थेरेपिस्ट द्वारा 20 दिन की चिकित्सा के बाद सिलेंडर हटा लिया गया. दो महीने में उसने सामान्य जीवन जीना शुरू कर दिया और छह महीने बाद भी अब कोई समस्या नहीं है.
21 वर्ष की कॉलेज की छात्रा को ‘साइनस’ था. छह वर्षों से ‘नेजल ड्रॉप’ लेकर सोती थी, फिर भी मध्यरात्रि में नाक बंद होने से उठ बैठती थी. सर्दी, खांसी, गले में इन्फेक्शन और तेज सिरदर्द से परेशान थी. दो सप्ताह की चिकित्सा की गयी और आज तक उसे नेजल ड्रॉप की जरूरत नहीं पड़ी.
40 वर्षीय व्यक्ति को 15 साल से पसीना नहीं आता था, जिससे उसके शरीर का तापमान काफी बढ़ जा रहा था और उसे रोज बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द की शिकायत थी. कोई दवाई काम नहीं कर रही थी. कई अस्पतालों में उसने जांच करायी, जिसमें पता चला कि उनके स्वेद ग्लैंड डेड हो चुके हैं, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं है. गत वर्ष दो दिनों की चिकित्सा से बुखार, सिरदर्द या बदन दर्द की समस्या समाप्त हुई. वे अब नियमित चिकित्सा कराते हैं.
हर किसी के लिए सरल चिकित्सा
सुजोक :
एक परिचय
सुजोक एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें बिना दवाई के हर रोग का इलाज किया जाता है. सुजोक एक कोरियन नाम है. इसके निर्माता प्रोफेसर पार्क जे वु एक कोरियन प्रोफेसर थे. ‘सु’ का अर्थ है हाथ, ‘जोक’ का अर्थ पैर अर्थात ‘सुजोक’ में सिर्फ हाथ और पैर में चिकित्सा होती है.
सुजोक कई प्राकृतिक चिकित्साओं का सम्मिलित रूप है. इसके अंतर्गत एक्यूप्रेशर, हर्बल एक्यूपंक्चर, कलर थेरेपी, सीड थेरेपी, मैग्नेट थेरेपी, मुद्रा मंत्र आदि सभी पद्धतियों का प्रयोग होता है. इसमें व्यवहार किये जानेवाले एक्यूप्रेशर टूल्स अत्यंत सरल, इस्तेमाल में आसान व सस्ते हैं. बीज आपकी रसोई में दाल और मसाले हैं. आपके बगान के पौधों के पत्ते मैग्नेट के रूप में एवं कांटे से एक्यूपंक्चर किया जाता है. कलर थेरेपी में स्केच पेन का प्रयोग होता है. इसमें वायुमंडलीय ऊर्जा एवं सृष्टि की चार शक्तियों को चिकित्सा में हार्मोनाइज्ड किया जाता है. सुजोक से शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार के रोगों का इलाज होता है.
इन समस्याओं में है कारगर
मानसिक चिकित्सा : हमारी मनोदशा की भी अपनी एनर्जी होती है और इन्हीं एनर्जी को ट्रीट कर सुजोक में विभिन्न मनोरोगों की चिकित्सा की जाती है जैसे-चिंता, भय, आत्महत्या की कोशिश, डिप्रेशन, नशा, स्ट्रेस इत्यादि.
जीवन चिकित्सा : हम सभी के चार जीवन होते हैं-पारिवारिक, व्यक्तिगत, सामाजिक और आत्मिक जीवन. सुजोक के माध्यम से जीवन में आयी इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. संपत्ति, विवाद, रोजगार समस्या पारिवारिक संबंधों में तनाव की समस्या आदि. इसके द्वारा डिस्टेंट हीलिंग भी की जाती है.
टाइम एक्यूपंक्चर : इसमें भूत, वर्तमान और भविष्य में होनेवाली समस्याओं व रोगों का इलाज कर सकते हैं. जैसे-तीन साल पहले हुए एक्सीडेंट के कारण आज का कोई दर्द, सीजनल प्रॉब्लम, अक्तूबर और मार्च में होनेवाले अस्थमा अटैक आदि का समय पूर्व इलाज.
स्माइल मेडिटेशन : स्माइल मेडिटेशन को भी विकसित किया गया. लोगों को स्ट्रेन फ्री रह कर अपने अंदर की खुशी को पहचानना, परोपकार आदि को महत्व देने के बारे में बताया जाता है. स्माइल मेडिटेशन में मौन साधना के साथ गान और नृत्य द्वारा भी मेडिटेशन किया जाता है. मन अत्यंत आनंदित हो जाता है और आधी बिमारी तो वहीं दूर हो जाती है.
सुजोक और व्यायाम
कुछ व्यायाम भी विकसित किये गये हैं. इसकी मुद्राएं इतनी नाजुक और सरल हैं कि 80 वर्षीय व्यक्ति भी इसे कर सकते हैं. इसकी विशेषता है कि यह बॉडी मेडिटेशन है अर्थात् शांत भाव से किये गये ये व्यायाम बॉडी माइंड और सोल को कॉस्मिक एनर्जी के साथ जोड़ते हैं.
ट्रीटमेंट टिप्स :
माइग्रेन पेन : सबसे पहले सुजोक रिंग से हथेली के आगे-पीछे व उंगलियों को अच्छी तरह एक्यूप्रेशर करें. इतना करें कि त्वचा हल्की गरम और लाल हो जाये. उंगली के छोर को दबाएं. अब निर्देशानुसार कलर करें. अब निर्देशानुसार बीज लगाएं.
ध्यान रखें : बीज स्वस्थ हो. कलर करने के बाद दो घंटे तक पानी न लगे. अगर गलती से लग जाये, तो दुबारा कलर न करें. बीज आठ घंटा लगा रहने दें. हर बार नया बीज लें. हर वक्त बीज न लगाये रखें. त्वचा को सांस लेने दें.
ट्राइआॅरिजिन
प्रोफेसर पार्क ने बिग बैंग थ्योरी को आधार बना कर ट्राइआॅरिजिन थ्योरी दी है. इसमें सूर्य की आवाज ‘ओम’ में विद्यमान चार शक्तियां हेटरो, होमो, न्यूट्रो, न्यूटो इन चार शक्तियों को भी ट्रीटमेंट में प्रयोग किया गया है. यह हमारे हिंदु धर्म की ट्रिनिटी फोर्स हैं ब्रह्मा, विष्णु और शिव. चौथी शक्ति रीजेनरेटर शिव हैं. ब्रह्मा-सृजनकर्ता, विष्णु-पालनकर्ता, शिवा-संहारकर्ता, रीजेनरेटर शिव वापस सारे तत्वों को यथास्थान भेजनेवाले हैं. इन शक्तियों का इस्तेमाल भी हम कलर थेरेपी द्वारा करते हैं, जिससे कई रोगों के उपचार में मदद मिलती है.
विशेषज्ञ का परिचय
लेखिका इंटरनेशनल सुजोक एसोसिएशन द्वारा सर्टिफाइड सुजोक थेरेपिस्ट हैं और उपचार के दौरान बेहद अच्छे परिणाम पाये हैं. इन्होंने इस पद्धति की ट्रेनिंग गोल्ड मेडलिस्ट भूपिंदर कौर से ली, जिन्होंने इसे सीधे सुजोक के निर्माता व जापानी प्रोफेसर पार्क जे वु से सीखा है. श्रीमति भूपिंदर कौर, दिल्ली कैंट के अर्जन बिहार में सुजोक क्लिनिक चलाती हैं, जो एक वेलफेयर वेंचर है.
विभिन्न पद्धतियों से होता है उपचार
एक्यूप्रेशर, हर्बल एक्यूपंक्चर, कलर थेरेपी, सीड थेरेपी, मैग्नेट थेरेपी, मुद्रा मंत्र आदि पद्धतियों से उपचार होता है.एक्यूप्रेशर : सुजोक के एक्यूप्रेशर टूल्स बहुत ही सरल और इस्तेमाल में आसान हैं. इसे स्वयं ही किया जा सकता है. साथ ही ये सस्ते भी हैं. चिकित्सा की शुरुआत एक्यूप्रेशर से की जाती है. जो एनर्जी पथ की रुकावट दूर करती है.
हर्बल एक्यूपंक्चर : एनर्जी को ज्यादा या कम यानी हार्मोनाइज करने के लिए हर्बल या किसी भी पौधे के कांटे का प्रयोग किया जाता है. वह भी केवल हाथ या पैर में. इससे हार्ट अटैक, मिरगी का दौरा आदि इमरजेंसी से भी निबटा जा सकता है.
सीड थेरेपी : सीड या बीज में बहुत अधिक एनर्जी होती है, जो अनुकूल परिस्थिति में एक पौधे को जन्म देती है और यह पौधा आनेवाले कितने पौधों के वंश को चलाता है. जब हम ऐसी एनर्जी से भरपूर स्वस्थ बीज को ‘बीमार’ अंग के हाथ या पैर से संबंधित बिंदुओं पर लगाते हैं, तो यह बीमारी की नकारात्मक ऊर्जा को लेकर अपनी सकारात्मक ऊर्जा उस अंग को प्रेषित करती हैं. दर्द के लिए यह अत्यंत उपयोगी है. सीड लगाने के लिए कागज के टेप में बीज रख कर, टेप फाड़ लेते हैं और उसे बैंड एड की तरह हांथ या पैर में लगाते हैं.
कलर थेरेपी : सुजोक में कलर थेरेपी काफी महत्वपूर्ण है. इसके द्वारा एनर्जी ट्रीटमेंट करते हैं. कलर थेरेपी में हम किसी भी कोशिका या अंग तक प्रवेश करते हैं. इसकी तुलना हम ‘रेकी’ से कर सकते हैं. ‘सुजोक’ में हम हाथ और पैर में कलर करते हैं और इसके कारण सुजोक द्वारा हर एक बीमारी का इलाज संभव है. इसके लिए हम ‘स्केच पेन’ का प्रयोग करते हैं, जो हर घर में बच्चों के पास होता है.
मैग्नेट थेरेपी : इसकी मदद से कहीं ऊर्जा खिंची चली आती है और ऊर्जा ज्यादा है, तो उसे मैग्नेट खींच कर बाहर निकाल देता है. इसका असर इतना जल्द होता है कि आधे-एक मिनट में ही असर पता चलने लगता है. पत्ता, लोहे का तार, तिनका आदि को भी मैग्नेट की तरह इस्तेमाल किया जाता है. बाजार में बार मैग्नेट, चक्र मैग्नेट, स्टार मैग्नेट जैसे अत्यंत छोटे मैग्नेट उपलब्ध हैं, जो उंगलियों, हाथ, पैर में लगाये जाते हैं.
मुद्रा मंत्र : हमारे हाथों से बनी मुद्राएं काफी महत्वपूर्ण होती हैं. सुजोक के मुद्रा मंत्र कई रोगों को ठीक कर सकते हैं. हर रोग के लिए एक मंत्र भी होता है, जिसके जाप से ट्रीटमेंट का असर बढ़ जाता है. इस प्रकार सुजोक में इन पद्धतियों को मिला कर इलाज किया जाता है, जिसके कारण परिणाम बहुत ही सकारात्मक होते हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement