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बचें मच्छरों के कहर से
डॉ प्रकाश गिरा सीनियर फिजिसियन, पुष्पांजलि हेल्थ सेंटर, दिल्ली डेंगू बुखार मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं. ये मच्छर दिन में, खास कर सुबह शरीर के निचले हिस्सों पैरों आदि पर काटते हैं. यह जुलाई से अक्तूबर के बीच ज्यादा फैलता है. […]
डॉ प्रकाश गिरा
सीनियर फिजिसियन, पुष्पांजलि हेल्थ सेंटर, दिल्ली
डेंगू बुखार मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है. इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं. ये मच्छर दिन में, खास कर सुबह शरीर के निचले हिस्सों पैरों आदि पर काटते हैं. यह जुलाई से अक्तूबर के बीच ज्यादा फैलता है. मच्छर के काटे जाने के तीन-पांच दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. कभी-कभी तीन से 10 दिन भी लग सकते हैं.
डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है-साधारण डेंगू बुखार, हैमरेजिक व शॉक सिंड्रोम बुखार. हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम बुखार अधिक खतरनाक होते हैं. मरीज की जान भी जा सकती है. साधारण डेंगू बुखार यदि काबू न हो पाये, तो वह हैमरेजिक व शॉक सिंड्रोम बुखार में बदल जाता है. ऐसे में डेंगू को नियंत्रण में लाना मुश्किल हो जाता है.
डेंगू के लिए ट्रीटमेंट
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं. प्लेटलेट्स कम होने से शरीर के अन्य अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. बुखार होने पर प्लेटलेट्स को कंट्रोल करना ही सबसे अहम होता है. इसमें पैरासिटामोल दिया जाता है. जबकि हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाये जाते हैं. ठीक होने में 10 से 15 दिन का समय लग जाता है. गिलोय और गुड़ का काढ़ा, तुलसी व पपीते के पत्तों का रस भी प्लेटलेट्स व इम्युनिटी बढ़ाने में काफी अहम माने जाते हैं.
चिकनगुनिया का बुखार
यह एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है. इसमें भी मरीज को बुखार होता है. ये मच्छर दिन के समय काटते हैं. इसमें बुखार, सिरदर्द, शरीर पर लाल दाने उभरते हैं. मच्छर काटने के एक सप्ताह के अंदर चिकनगुनिया के लक्षण दिखते हैं. इसके कारण होनेवाले जोड़ों के दर्द को दूर होने में छह माह लग सकते हैं. इसके मरीज में ज्वाइंट पेन अधिक होता है. बुखार लगभग दो हफ्ते तक रहता है. रोग की पुष्टि संक्रमण के तीन दिन बाद होती है. इसमें आंखों में दर्द की शिकायत भी होती है और शरीर पर रैशेज नजर आने लगते हैं. हाथ-पैर में सूजन भी आ सकती है. सुबह में ज्वाइंट पेन अधिक होता है. बुखार खत्म होने के बाद भी लक्षण नजर आते रहते हैं.
कैसे होती है बुखार की पुष्टि
यदि आपको तेज बुखार है, तो सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं. डॉक्टर प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर आपको दवाइयां देंगे. इसके बाद बुखार की पुष्टि के लिए टेस्ट कराया जायेगा. चिकनगुनिया बुखार की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट और डेंगू के लिए एलिसा टेस्ट बेस्ट माना जा रहा है. हालांकि टेस्ट इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप टेस्ट कब करा रहे हैं, जैसे बुखार होने के एक दिन बाद या तीन-चार दिन बाद. चिकनगुनिया और डेंगू की पुष्टि के लिए ये टेस्ट जरूरी हैं.
चिकिनगुनिया में आराम जरूरी
मरीज का खास ख्याल रखना जरूरी है. मरीज के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. इस रोग के होने पर मरीज को भरपूर आराम करना चाहिए. डायट में लिक्विड अधिक देना चाहिए क्योंकि अकसर चिकिनगुनिया में डिहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है. यदि मरीज अन्य रोग, जैसे-अस्थमा, हाइ बीपी, डायबिटीज आदि से ग्रसित है, तो प्रति दिन डॉक्टर से दिखाएं.
एक साथ दो रोगों की दवाइयां शरीर पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ सकती हैं. खाने में पौष्टिक और संतुलित आहार लें. ज्वाइंट पेन ज्यादा हो रहा हो, तो आइस पैक को तौलिये में लपेट कर जोड़ों पर लगाएं, इससे दर्द में राहत मिलेगी. मरीज को जरा भी परेशानी हो या बुखार कंट्रोल न हो, तो तुरंत अस्पताल ले जाएं.
डेंगू और चिकनगुनिया के बुखार का खतरा
चिकनगुनिया और डेंगू के मामले अधिक आ रहे हैं. ये रोग मच्छर के काटने से फैलते हैं और वायरस के कारण होते हैं. इस कारण इनके इलाज में भी काफी परेशानी आती है और ये दोनों रोग जानकारी के अभाव में जानलेवा भी साबित हो जाते हैं. पर सही उपचार व मच्छरों से बचाव कर रोग को रोका जा सकता है.
ज्यादा खतरनाक है डेंगू
डेंगू बुखार चिकनगुनिया से ज्यादा खतरनाक होता है. इस बुखार से ग्रस्त होने के बाद प्लेटलेट्स गिरने से मरीज को कमजोरी महसूस होती है. बुखार चार-पांच दिन रहता है लेकिन इसके बाद भी कमजोरी महसूस होती रहती है. कमर की मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द महसूस होता है. चेहरे और त्वचा पर रैशेज नजर आते हैं. गंभीर अवस्था में ब्लीडिंग होने और आॅर्गेन फेल होने का खतरा होता है. नॉर्मल बुखार में शरीर का तापमान कुछ समय में कंट्रोल हो जाता है. नॉर्मल बुखार पसीना आने के बाद उतर जाता है.
चिकनगुनिया
– बुखार एक से 12 दिन तक होता है.
– लक्षण कई दिनों तक रहते हैं.
– जोड़ों में कई दिनों तक दर्द रहता है.
– बुखार, जोड़ो में दर्द, सिर दर्द और आंखों में परेशानी होती है.
– जोड़ों में दर्द के साथ सूजन भी आ जाती है. इसमें दर्द सुबह के समय ज्यादा होता है.
– हथेलियों और पैरों के साथ-साथ पूरे शरीर पर रैशेज हो जाते हैं.
डेंगू
– बुखार तीन से सात दिन तक रहता है.
– कमजोरी बहुत ज्यादा होती है.
– प्लेटलेट्स लगातार गिरते रहते हैं.
– शरीर पर रैशेज कम होते हैं और आखों पर कम असर पड़ता है.
– डेंगू में कमर की मांसपेशियों में दर्द होता है और कंधे-घुटने में भी दर्द बना रहता है.
– चेहरे व त्वचा पर रैशेज होते हैं. काला शौच होता है. उल्टी में खून आता है.
सामान्य बुखार
– बुखार तीन से चार दिन तक रहता है.
– इस बुखार में तापमान कुछ समय बाद कंट्रोल हो जाता है.
– इसमें जोड़ो में दर्द नहीं होता है.
– सामान्य बुखार में सिर्फ शरीर का तापमान बढ़ता है और खांसी हो सकती है.
– इसमें विशेष समय दर्द नहीं होता.
– छींकें आती हैं और पसीना आने पर बुखार उतर जाता है.
ये प्रोडक्ट दूर भगाते हैं मच्छर
लिक्विड मशीन : इसका प्रयोग बेहद आम है. यह मशीन कीटनाशी लिक्विड को गैस में बदलती है, जिससे मच्छर या तो मर जाते हैं या भाग जाते हैं. हालांकि यह मशीन उन जगहों पर कारगर नहीं है, जहां बिजली कम आती है. उन जगहों पर मच्छर भगाने के लिए कॉयल का प्रयोग किया जाता है.
क्रीम : इस क्रीम को त्वचा पर लगाने से मच्छर दूर भागते हैं. रात में सोने के समय इस क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं.केमिकल स्प्रे : यह भी काफी कारगर है पर इसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यह इम्युनिटी सिस्टम को प्रभावित करता है. नाक और चेहरे को अच्छे से ढंक कर बंद कमरे में इसका प्रयोग करें और वहां से बाहर आ जाएं. स्प्रे करने के आधे घंटे बाद कमरे में प्रवेश करें. इसे बच्चों से दूर रखना चाहिए.
मोबाइल एप्स और डिवाइस : आजकल अधिकांश लोगों के पास स्मार्टफोन है. गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे एप्स हैं, जो मच्छरों को भगाने में कारगर हैं. ये एप्स हाइ फ्रीक्वेंसी के साउंड निकालते हैं, जिससे मच्छर दूर भागते हैं. कई ऐसे डिवाइस भी हैं, जो अल्ट्रासॉनिक वेव्स बनाते हैं. इससे मच्छर भागते हैं. ये डिवाइस 150 से 500 रुपये तक में आसानी से मिल जाते हैं
बातचीत व आलेख : कुलदीप तोमर
होमियोपैथी में चिकनगुनिया का कारगर इलाज
बेलाडोना : रोगी को तेज बुखार हो, प्यास नहीं लगे, चेहरा तमतमाया हो तथा लाल दिखता हो, आंखें लाल, आंखों में दर्द तथा प्रकाश बरदाश्त न हो, सिरदर्द, बदन पर लाल रंग की फुंसियां हों, तब इस औषधि की छह शक्ति में दो-दो घंटे के अंतराल पर चार बूंद लेने से लाभ मिलता है.
रसटक्स : रोगी को बुखार के साथ बेचैनी होती है जीभ सुखी रहती है. ठंड के साथ रुक-रुक कर बुखार आये, हाथ-पैरों में ऐंठन के साथ दर्द हो, तो इस औषधि की 30 शक्ति में चार बूंद सुबह, दोपहर, शाम, रात लेना चाहिए.
जेलसेनियम : रोगी को ऐसा लगे कि बुखार में ताप एवं ठंड दोनों एक के बाद एक आता हो. शरीर में काफी थकावट हो एवं प्यास का अभाव रहता हो, पीठ और पैरों की मांसपेशियों में दर्द रहता हो, तो इस औषधि की 3 एक्स शक्ति में पांच-पांच बूंद पानी के साथ तीन-तीन घंटे की अंतराल पर दें. ध्यान रहे होमियोपैथी दवाएं लक्षणों के आधार पर दी जाती हैं. किसी रोग विशेष की दवा नहीं है.
(होमियोपैथी विशेषज्ञ डॉ राजीव वर्मा से बातचीत)
आयुर्वेद में डेंगू का उपचार
डेंगू बुखार होने पर आप आयुर्वेदिक डॉक्टर से पूछ कर ये दवाएं भी ले सकते हैं-सुदर्शन चूर्ण, त्रिभुवन कीर्ति रस, अमरुथारिस्ता, गिलोय घनवटी आदि. इन्हें डेंगू के लक्षण कंट्रोल होने तक लेना आवश्यक है. आयुर्वेद के हिसाब से कुछ घरेलू उपायों को अपनाने से टेंपरेचर कंट्रोल करने, शरीर दर्द में आराम पहुंचाने और ब्लड प्लेटलेट्स और रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है-
– तुलसी की पत्ते, काली मिर्च, सौंठ, इलायची और थोड़ा गुड़ पानी मे उबाल कर तैयार काढ़ा पीएं.
– लौंग और इलायची का काढ़ा पीएं.
– मेथी के पत्ते या बीज को पानी में कम-से-कम एक घंटा भिगो कर काढ़ा बना कर पीएं.
– अमृता या गिलोय का काढ़ा गुड़ मिला कर पीना भी फायदेमंद है.
– पपीते के पत्तों का दो-तीन चम्मच रस दिन में दो-तीन बार पीएं.
– किशमिश को भिगो कर पीसने पर तैयार जूस दिन में एक-दो बार लें.
– अदरक और आंवला का रस पीएं.
– ठंडे दूध के साथ चुटकी भर हल्दी मिला कर पीएं.
– चिकनगुनिया में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर एक कप गरम पानी में मिला कर पीएं.
– रोज सुबह खाली पेट लहसुन की एक फांक खाएं.
पीसीआर टेस्ट : इसे जीनोमिक टेस्ट कहते हैं. यह चिकनगुनिया या डेंगू होने के छह-सात दिन के अंदर कराया जाता है.एंटीबॉडीज टेस्ट : चिकनगुनिया के मरीज में वायरस से लड़ने के लिए शरीर एंटीबॉडीज बनाता है. इन्हें आइजीएम और आइजीजी कहते हैं. आइजीएम सात-आठ दिन बाद, जबकि आइजीजी चार-पांच दिन बाद बनने शुरू हो जाते हैं. टेस्ट के आधार पर डॉक्टर बता देते हैं कि बुखार कितने दिनों से है. यह टेस्ट इम्यूनोलॉजी और एलिसा, दो तरीकों से किया जाता है. इस टेस्ट से डेंगू कीपुष्टि भी की जाती है.
वायरस आइसोलेशन टेस्ट : यह टेस्ट शुरू के पांच दिनों में डेंगू और चिकनगुनिया की पुष्टि करता है.
सीबीसी : इसे चिकनगुनिया होने के पहले दो दिनों में किया जाता है. इस टेस्ट में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या का पता चलता है, जिससे डॉक्टर चिकनगुनिया की आंशका का पता लगाते हैं. चूंकि चिकनगुनिया का वायरस तीन से चार दिनों में शरीर में नजर आता है, इसलिए प्रारंभिक तौर पर इस टेस्ट को किया जाता है.
बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके
-घर की खिड़की के पास तुलसी का पौधा लगाएं. मच्छर घर में नहीं आयेंगे.
-दो-तीन दिन में एक बार नीम के सूखे पत्ते और कपूर को जला कर धुएं को घर में घुमाएं. इससे मच्छर मर जायेंगे.
-पूरे शरीर को ढकनेवाले कपड़े पहनें.
-सोते समय मच्छरदानी प्रयोग जरूर करें.
-कूलर, एसी, फ्रिज के ट्रे में पानी इकट्ठा न होने दें.
-जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें.
-खुली नालियों में 50-100 एमएल पेट्रोल प्रतिदिन डालें.
-लहसुन को पानी में उबालें. इस पानी का आंगन, दरवाजों, खिड़कियों पर छिड़काव करें.
-नीम का तेल भी शरीर पर लगा सकते हैं. इसका साइड इफेक्ट नहीं होता.
दांतों व मसूड़ों के लिए लाभकारी है शीतकारी प्राणायाम
शीतली प्राणायाम की तरह शीतकारी प्राणायाम भी व्यक्ति के शरीर को शीतलता प्रदान करता है. इसके अलावा यह प्राणायाम दांतों के लिए भी लाभदायक है और पायरिया को भी दूर करने में मदद करता है.
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