14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ता है सायटिका का खतरा

प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को सायटिका के दर्द का सामना करना पड़ता है. यह दर्द रीढ़ की हड्डी से जुड़ा हुआ है. दर्द कमर से शुरू होकर पैरों तक जाता है. यह समस्या कमर में दबाव के कारण होती है. क्या है सायटिका सायटिका नर्व लोअर बैक से निकलती है, जो पैरों में नीचे […]

प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को सायटिका के दर्द का सामना करना पड़ता है. यह दर्द रीढ़ की हड्डी से जुड़ा हुआ है. दर्द कमर से शुरू होकर पैरों तक जाता है. यह समस्या कमर में दबाव के कारण होती है.
क्या है सायटिका
सायटिका नर्व लोअर बैक से निकलती है, जो पैरों में नीचे की ओर जाती है. पैर के निचले हिस्से तक पहुंचते-पहुंचते यह कई शाखाओं में बंट जाती है. सायटिका नर्व के जरिये ही पैरों में उत्तेजना और मांसपेशियों में हलचल महसूस की जाती है. सायटिका के दर्द की असली वजह पीठ पर पड़ रहा दबाव होता है. इस दबाव के कारण ही सायटिका नर्व में तेज दर्द होता है. इसके अलावा कई बार कमजोरी के कारण भी सायटिका की समस्या देखने को मिलती है. दर्द कमर से शुरू होकर पैर तक पहुंचता है. गर्भावस्था में भी रीढ़ और सायटिका पर दबाव बढ़ने के कारण ही इसका दर्द होता है.
गर्भावस्था में सायटिका
प्रेग्नेंसी के दौरान पेल्विक और कमर में दर्द होना आम बात है. इनके लक्षण भी सायटिका जैसे ही नजर आते हैं. सायटिका स्लिप डिस्क के कारण होता है. स्पाइन में सूजन के कारण सायटिका हो सकता है. कई बार घंटों बैठे रहने के कारण भी सायटिका हो सकता है. अत: गर्भावस्था के दौरान एक ही पोजिशन में घंटों कतई न बैठें और सक्रिय बने रहें. इससे आप दर्द से बची रह सकेंगी.
लक्षण : यदि कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द का एहसास हो, साथ ही जांघ व पैरों के निचले हिस्से में भी दर्द बना रहता हो और बिजली के झटके के जैसा महसूस हो, तो यह सायटिका का दर्द हो सकता है. कभी-कभी दर्द नितंब तक पहुंच जाता है और काफी बढ़ जाता है. पैरों में सिहरन के साथ-साथ पिन चुभने जैसा एहसास भी हो सकता है.
सायटिका का समाधान
अगर बताये गये लक्षणों जैसा दर्द हो, तो फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करें. फिजियोथेरेपिस्ट पेल्विक फ्लोर, टमी मशल्स और पीठ को मजबूत बनाने के लिए कुछ एक्सरसाइज की जानकारी दे सकते हैं. वे बैठने के लिए सही पोश्चर की भी जानकारी देते हैं. इस दौरान नर्व के फंक्शन पर विशेष ध्यान दिया जाता है. अधिकतर लोगों में समस्या दस से बारह दिनों में ठीक होने लगती है. इसे पूरी तरह ठीक होने में चार से 12 सप्ताह तक लग सकते हैं.
सायटिका के दर्द से राहत के लिए पैरासिटामॉल लिया जा सकता है. ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करें. गर्भावस्था के दौरान आइबुप्रोफेन लेने की सख्त मनाही होती है. खास कर यदि आप अपने पहले तिमाही से गुजर रही हैं. इस दर्द से आराम पहुंचाने के लिये महिलाओं को कुछ एक्सरसाइज बताये जाते हैं, जिससे उन्हें आराम मिलता है, जैसे-थाइ स्ट्रेच, बैक स्ट्रेच, चेस्ट स्ट्रेच, स्टैंडिंग काफ स्ट्रेच, चाइल्ड पोज, टेबल स्ट्रेच आदि. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से सायटिका पेन से आराम काफी हद तक आराम मिलता है.
बातचीत : विनीता झा
खास टिप्स
दर्दवाली जगह पर गरम पानी से सिंकाई करें ताकि दर्द का एहसास कुछ कम हो सके. सक्रिय बने रहें. यह आपके गर्भावस्था के लिए भी फायदेमंद है. अपने पोस्चर पर हमेशा ध्यान रखें. बैठने के दौरान छोटे से कुशन का इस्तेमाल करें. इससे दर्द कम होने लगता है. भारी वजन न उठाएं. यह दर्द को और बढ़ा सकता है. कोई सामान उठाना हो, तो सीधे झुकने के बजाय घुटने के बल बैठ कर कमर सीधी रख कर उठाएं, ताकि पीठ पर अतिरिक्त दबाव न पड़ सके. सोते समय घुटनों के बीच में कुशन रखें, ताकि पैरों को आराम मिल सके. इसके अलावा कोई अन्य समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें