रांची : त्योहारी मौसम में शॉपिंग हर किसी को पसंद है. युवा हों या बुजुर्ग, सभी अपने परिवार के लिए शॉपिंग करने में जुटे हैं. बदलते जमाने के साथ शॉपिंग करने का ट्रेंड भी बदला है. लोग अब शॉपिंग मॉल में जाकर सामानों की खरीदारी करने के बजाये घर बैठे ही ऑनलाइन मनपसंद सामानों की तलाश कर रहे हैं, उसकी कीमत को अलग-अलग वेबसाइट पर सर्च कर रहे हैं और दुकान में मिल रहे ऑफर से उसकी तुलना कर रहे हैं. जहां मॉल में हजारों रुपये में उनके मनपसंद ब्रांड के जूते-कपड़े मिल रहे हैं, ऑनलाइन में उसी ब्रांड के सामान की कीमत में भारी छूट मिल रहा है. वे दुकानों में जाकर अपने मनपसंद सामानों का ब्रांड व स्टिकर देख कर उसे नोट कर लेते हैं, दुकान से बाहर निकल कर ऑनलाइन सर्च करते हैं. जहां सस्ता मिला, उसे बुक भी कर दे रहे हैं. त्योहारी सीजन में ऑनलाइन खरीदारी के इसी ट्रेंड पर अभिषेक रॉय की रिपोर्ट.
युवा सामान का मॉडल नंबर व कीमत देख रहे
एंड्रॉयड फोन के जमाने में युवा अब बार्गेनिंग (कीमत का मोल-भाव करना) करने में विश्वास नहीं करते. ऑनलाइन शॉपिंग के विकल्प ने इन्हें सामान की सही कीमत पहचानने का विकल्प दिया है. शॉपिंग करने जा पहुंच रहे युवा बार्गेनिंग की जगह शोरूम में सामान की कीमत और मॉडल नंबर देख ले रहे हैं. ऑनलाइन मार्केट में उसी मॉडल नंबर को डाल कर प्रोडक्ट सर्च कर रहे हैं. इससे युवाओं को एक ही प्रोडक्ट के अलग-अलग दाम का पता चल जाता है. जिस शॉपिंग वेबसाइट या एप पर उन्हें कम कीमत पर अपना फेवरेट सामान मिलता है, वे तुरंत ऑर्डर कर देते हैं.
ब्रांडेड शोरूम में खरीदारी कम, देखनेवाले अधिक
ऑनलाइन शॉपिंग के बाजार के बढ़ते रेंज ने ब्रांडेड शोरूम का धंधा मंदा कर दिया है. शोरूम में खरीदारी करनेवाले लोगों की संख्या कम है, डिस्प्ले में लगे सामानों को देखने के लिए अधिक लोग पहुंच रहे हैं. सर्कुलर रोड स्थित एक ब्रांडेड शोरूम के मालिक ने बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग ने रिटेल मार्केट को काफी नुकसान पहुंचाया है. लोग अब पहले की तरह खरीदारी नहीं करते. फेस्टिव सीजन और सेल के सीजन में भी दिनभर में आनेवाले ग्राहकों की संख्या कम ही है. इनमें भी दो तरह के लोग हैं, ज्यादातर सामानों को देखते व उसकी कीमत ही पूछते हैं, कुछ लोग ही खरीदारी करने आ रहे हैं. पहले लोगों के पास ऑनलाइन मार्केट का विकल्प नहीं था, तब दुकान में आनेवाले ग्राहकों की संख्या ज्यादा होती थी.
केस-1
वर्द्धमान कंपाउंड में रहनेवाले रजत ने कुछ दिन पहले ही ऑनलाइन कपड़ों की शॉपिंग की है. वे कहते हैं कि कपड़े खरीदने से पहले वह मेन रोड स्थित एक ब्रांडेड शोरूम में गये. वहां एक ब्रांड के कपड़े को देखा, उसे ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर सर्च किया. ऑनलाइन उसी कपड़े की कीमत शोरूम से 1500 रुपये कम थी. मैंने ऑनलाइन ऑर्डर बुक कर दिया.
केस-1
कोकर स्थित हैदर अली रोड के निवासी रोहन सिंह ने हाल ही में एक ब्रांडेड जूते की खरीदारी की है. वह भी पहले शोरूम में गये, वहां जूते की कीमत 3,799 रुपये बतायी गयी. उन्होंने जूते के मॉडल नंबर को नोट कर लिया, उसे ऑनलाइन शॉपिंग एप व वेबसाइट पर सर्च किया, तीन अलग-अलग वेबसाइट में उसी मॉडल नंबर के जूते की अलग-अलग कीमत देखने को मिली. एक वेबसाइट पर सेम मॉडल नंबर का जूता 2499 में मिला, उन्होंने ऑर्डर कंफर्म कर दिया.
केस-3
देवी मंडप, रातू रोड स्थित के निवासी प्रभाकर कुमार गुप्ता ने भी मॉडल नंबर देख ऑनलाइन स्पीकर ऑर्डर किया. रांची के शोरूम में मिल रहे स्पीकर से सस्ते दर पर उन्हें ऑनलाइन मिल गया. उन्होंने तत्काल ऑर्डर बुक कर दिया. कुछ ही दिनों में स्पीकर घर भी आ गया.
इलेक्ट्रॉनिक सामान में 20 से 25 प्रतिशत मुनाफा
ऑनलाइन शॉपिंग में युवाओं की पसंद इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट भी प्रायोरिटी में हैं. इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कीमत का फर्क रिटेल व ऑनलाइन बाजार में काफी ज्यादा है. कई बार यह मुनाफा ग्राहक को 20 से 25 फीसदी तक दिखता है. उदाहरण के तौर पर किसी मोबाइल की कीमत यदि बाजार में 19,999 रुपये है. वही मोबाइल ऑनलाइन मार्केट में 15,999 में आसानी से मिल रहे हैं. फ्रिज, वाॅशिंग मशीन, टीवी, डीटीएच में भी कीमत में अंतर का लाभ लोगों को मिल रहा है.
ऑनलाइन फैशन प्रोडक्ट भी सस्ती दर पर खरीद रहे हैं
ब्रांडेड कपड़े या अन्य एसेसरीज को ऑनलाइन खोजना आसान है. ब्रांडेड सामान में मॉडल नंबर होने से इन्हें ऑनलाइन खोजा जा सकता है. युवा अब इन मॉडल नंबर से सामान के फ्रेश अराइवल और स्टॉक कलेक्शन के बीच के फर्क को भी समझ रहे हैं. ऑनलाइन प्रोडक्ट में डिलिवरी चार्ज समेत अन्य टैक्स जोड़े जाते हैं. बावजूद इसके यह रिटेल मार्केट से सस्ती होती है. रिटेल मार्केट तक सामान के पहुंचने और लोगों के खरीदारी करने तक उसमें विभिन्न टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन आदि खर्च जोड़ दिये जाते हैं. यही कारण है कि अब लोग फैशन प्रोडक्ट भी ऑनलाइन सस्ती दर पर खरीदना पसंद कर रहे हैं.
ऑनलाइन शॉपिंग के फायदे मिलता है क्रेडिट स्कोर और कूपन
ऑनलाइन शॉपिंग एप से खरीदारी करने के लिए ग्राहक को लॉग-इन आइडी और पासवर्ड बनाना पड़ता है. इसमें मोबाइल नंबर या ई-मेल को रजिस्टर किया जाता है. एप के नोटिफिकेशन में नियमित रूप से खरीदारी का अपडेट मैसेज भी आता है. इसमें ऑफर व आपके पसंदीदा सामानों की लिस्ट की सूचना भी दी जाती है. ऑनलाइन लगने वाले सेल की जानकारी भी नोटिफिकेशन मैसेज के जरिये दी जाती है. वहीं, ऑनलाइन शॉपिंग करने पर ग्राहक को क्रेडिट स्कोर या कूपन (खरीदारी के दौरान डिस्काउंट में उपयोगी) दिया जाता है. इसका इस्तेमाल भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान करते हैं और फायदा उठाते हैं.
रिटर्न पॉलिसी का भी मिल रहा फायदा
बाजार में मौजूद ऑनलाइल शॉपिंग वेबसाइट या एप पर रिटर्न पॉलिसी भी है. इसका भी युवा व लोगाें को फायदा मिल रहा है. कई बार ऐसा होता है कि मॉडल नंबर या एप पर दी गयी फोटो को देख कर की गयी शॉपिंग के बाद जब सामान घर पर आता है, तो वह कलर या फ्रैब्रिक या डिजाइन के हिसाब से अलग होता है. ऐसे में रिटर्न पॉलिसी के तहत ग्राहकों के पास उन सामानों को रिटर्न करने का ऑप्शन होता है. रिटर्न करने के बाद सामान को घर से ले जाने के कुछ समय बाद ही ग्राहक के अकाउंट में पैसे भी आ जाते हैं. उन्हें कहीं नहीं जाना पड़ता. इस खासियत के कारण भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
ऑनलाइन शॉपिंग के नुकसान भी हैं
धुर्वा सेक्टर टू की रहनेवाली अनिता कुमारी कहती हैं कि उन्होंने कुछ दिनों पहले एक ऑनलाइन वेबसाइट से कुर्ती ऑर्डर किया था. सात दिनों बाद घर पर कुर्ती की डिलिवरी की गयी. पैकेट को खोला तो उसमें कुर्ती की जगह गर्ल्स टॉप निकला. जिसके कपड़े की क्वालिटी काफी खराब थी. इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं तो जांच-परख भी जरूरी है.
इन बातों पर रखें ध्यान
मॉडल नंबर मिलाने के बाद भी सामान की रेटिंग जरूर देखें.
पूर्व में जिन्होंने यह सामान खरीदा है, उनका रिव्यू अवश्य पढ़ें.
किसी प्रोडक्ट में तीन स्टार या इससे ज्यादा है, तभी ऑर्डर कंफर्म करें.
पेमेंट ऑप्शन में सीओडी (कैश ऑन डिलेवरी) को ही पहला विकल्प के रूप में रखें.
सामान के डिलिवरी के समय पेमेंट करने के तुरंत बाद ही उसकी जांच कर लें. संभव हो तो डिलिवरी ब्वॉय के सामने ही पैकेट खोल कर देख लें, इससे सामान में खराबी होने पर उसे रिटर्न करना आसान हो जायेगा.