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Zero Discrimination Day 2022: आज मनाया जा रहा है शून्य भेदभाव दिवस, जानें इस दिन का महत्व

Zero Discrimination Day 2022: आज शून्य भेदभाव दिवस मनाया जा रहा है. शून्य भेदभाव दिवस की शुरुआत 1 मार्च 2014 को UNAIDS के कार्यकारी निदेशक द्वारा की गई थी.

1 मार्च को विश्व स्तर पर शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को महिलाओं और लड़कियों द्वारा भेदभाव और असमानता को चुनौती देने के लिए मनाया गया. इसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उनके सशक्तीकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है.

Zero Discrimination Day 2022: ऐसे शुरु हुई थी इस दिन की शुरूआत

शून्य भेदभाव दिवस की शुरुआत 1 मार्च 2014 को UNAIDS के कार्यकारी निदेशक द्वारा की गई, लेकिन इसके मनाए जाने की घोषणा UNAIDS द्वारा दिसंबर 2013 में विश्व एड्स दिवस पर अपने शून्य भेदभाव अभियान कार्यक्रम के बाद की गई थी.

जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है (Zero Discrimination Day)

विश्व में हर तीन महिलाओं में से एक महिला हिंसा के किसी न किसी रूप का सामना कर रही है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में 50 फीसदी से अधिक महिलाओं ने उनके खिलाफ होने वाली हिंसा की रिपोर्ट की है. इसलिए, जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस महत्वपूर्ण है. शून्य भेदभाव दिवस सभी के अधिकारों को प्रोत्साहित करने और उन्हें चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है, चाहे फिर वो उम्र, लिंग, सेक्सुअलिटी, राष्ट्रीयता, जातीयता और रंग किसी भी आधार पर हो. इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य बगैर किसी विकल्प के महिलाओं व लड़कियों को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में बराबरी के अवसर के लिए आवाज उठाना है.

Zero Discrimination Day 2022: शून्य भेदभाव दिवस का महत्व

विश्व में तीन महिलाओं में से एक महिला हिंसा के किसी न किसी रूप का सामना कर रही है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में 50% से अधिक महिलाओं ने उनके खिलाफ होने वाली हिंसा की रिपोर्ट की है. इसलिए, जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस महत्वपूर्ण है.

Zero Discrimination Day 2022: शून्य भेदभाव दिवस की महत्वपूर्ण बातें

यह दिवस पहली बार 1 मार्च 2016 को मनाया गया था, और इसे उस वर्ष के 28 फरवरी को बीजिंग में एक प्रमुख कार्यक्रम के साथ UNAIDS के कार्यकारी निदेशक मिशेल सिदीबे द्वारा शुरू किया गया था.

UNAIDS के अनुसार, दुनिया भर में प्रत्येक 3 में से 1 महिला को अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की हिंसा का अनुभव करना पड़ा है. इसमें किशोर लड़कियों के साथ अपने साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा की दर व्यस्क महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा से अधिक पाई गिया गई हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में 50% से अधिक महिलाओं ने उनके खिलाफ होने वाली हिंसा की रिपोर्ट की है. इसलिए, जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस महत्वपूर्ण है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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