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Success का रास्ता बंद कर रहे हैं इंडियन पैरेंट्स, जानिए 5 आम गलतियां जो बच्चों की तरक्की रोकती हैं

Parenting Tips: जानिए इंडियन पैरेंट्स की 5 आम गलतियां, बच्चों की परवरिश को प्रभावित करती हैं. इसके अलावा यह बच्चों की सफलता पर असर डालती हैं. इस लेख में जानें सही पैरेंटिंग टिप्स, बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के उपाय.

Parenting Tips: भारतीय परिवारों में बच्चों की परवरिश हमेशा से ही माता-पिता के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी रही है. हर मां बाप चाहते हैं कि उसका बच्चा सफल, आत्मनिर्भर और खुशहाल बने. लेकिन कई बार छोटी-छोटी गलतियां बच्चों की क्षमता और आत्मविश्वास को प्रभावित कर देती हैं. आइए जानें इंडियन पैरेंट्स की 5 आम गलतियां और उनके प्रभाव के साथ सही उपाय.

बच्चों के फैसलों में हस्तक्षेप करना

अधिकतर भारतीय पैरेंट्स अपने बच्चों के फैसलों में बार-बार दखल देते हैं. चाहे कैरियर का चुनाव हो, हॉबी हो या दोस्त बनाने का मामला, माता-पिता अक्सर अपने अनुभव के आधार पर बच्चों की पसंद को नियंत्रित कर देते हैं. परिणाम ये होता है कि इससे बच्चे निर्णय लेने की क्षमता विकसित नहीं कर पाते और हमेशा दूसरों की राय पर निर्भर रहते हैं। यह स्वतंत्र सोच और आत्मविश्वास को कम कर देता है.

क्या करें

  • बच्चों को छोटे फैसले लेने दें.
  • उनके फैसलों के सकारात्मक और नकारात्मक परिणामों पर चर्चा करें.
  • उन्हें यह समझाएं कि गलतियां भी सीखने का हिस्सा हैं.

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फेल्योर को डर के रूप में पेश करना

“अगर तुम फेल हुए तो क्या होगा, ये सोच लेना? तुम्हारे साथ रहने वाले बच्चे आगे बढ़ जाएंगे और तुम पीछे ” ये कुछ ऐसा बातें हैं जो अक्सर भारतीय घरों में सुनने को मिलती हैं. माता-पिता का उद्देश्य बचाव और सुरक्षा का होता है, लेकिन इससे बच्चों में डर और संकोच की भावना पैदा होती है. नतीजा ये होता है कि वह रिस्क लेने से डरते हैं, अपनी क्रिएटिविटी और कुछ नये सीखने की क्षमता खो देते हैं. भविष्य में वे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी निर्णय लेने में असफल हो सकते हैं.

क्या करें

  • बच्चों को फेल्योर को सिखने का अवसर बताएं.
  • उनके प्रयासों की सराहना करें, न कि केवल परिणाम की.
  • उन्हें छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स में फेल होने का अनुभव दें ताकि सीखने की आदत बने.

तुलना करना

“तेरे भाई की तरह बनो” या “तुम्हारे दोस्त इतने अच्छे स्कोर कर रहे हैं, तुम क्यों नहीं कर पा रहे हो” जैसी बातें बच्चों में असुरक्षा और आत्म-संदेह पैदा करती हैं. इंडियन समाज में यह बहुत आम है, लेकिन यह बच्चों की प्रगति को रोकता है. नतीजा ये होता है कि बच्चे हमेशा खुद को दूसरों के स्तर पर आंकते हैं और अपनी खुद की क्षमताओं को पहचान नहीं पाते.

क्या करें

  • बच्चों की प्रगति की तुलना केवल उनके पूर्व प्रदर्शन से करें.
  • हर बच्चे की अलग गति और क्षमता होती है उसे समझें.
  • उपलब्धियों की व्यक्तिगत सराहना करें.

भावनाओं की अनदेखी करना

भारतीय घरों में अक्सर बच्चों की भावनाओं को अनदेखा किया जाता है. “रो मत” या “तुम बहुत संवेदनशील हो” जैसी बातें बच्चों को अपनी भावनाओं को दबाने के लिए मजबूर करती हैं. परिणाम ये होता है कि बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, जिससे इमोशनल इंटेलिजेंस और सामाजिक क्षमता प्रभावित होती है.

क्या करें

  • बच्चों की भावनाओं को सुनें और समझें.
  • उन्हें बताएं कि भावनाएं व्यक्त करना गलत नहीं है.
  • सकारात्मक तरीके से भावनाओं को मैनेज करना सिखाएं.

लगातार दबाव और अपेक्षाएं रखना

अत्याधिक एकेडमिक और करियर दबाव बच्चों में तनाव, चिंता और असफलता का डर पैदा करता है. भारतीय माता-पिता अक्सर बच्चों से लगातार सुपर परफॉर्मेंस की अपेक्षा रखते हैं. नतीजा ये होता है कि बच्चे खुद पर भरोसा करना छोड़ देते हैं वे जीवन में जोखिम लेने से डरते हैं. मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है.

क्या करें

  • बच्चों के लिए संतुलित लक्ष्य निर्धारित करें.
  • खेल, हॉबी और आराम के लिए समय दें.
  • छोटे-छोटे उपलब्धियों का जश्न मनाएँ और उन्हें प्रोत्साहित करें.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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