Parenting Tips: तेजी से बढ़ता डिजिटल दुनिया का असर बच्चों पर भी पड़ा है. परिणाम ये हो रहा है कम उम्र से ही उनकी दोस्ती मोबाइल के स्क्रीन से हो गयी है. इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्म प्रभाव पड़ रहा है. लेकिन अगर हम बच्चों के स्क्रीन टाइम को उसके सीखने और क्रिएटिविटी के लिए इस्तेमाल करें तो वह उसके लिए प्रोडक्टिव बन सकता है.
सही एजुकेशनल ऐप्स को डाउनलोड कराना
आज के बच्चों को मोबाइल या टैबलेट दूर रखना मुश्किल है. इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के लिए केवल ऐसे ऐप्स चुनें जो उनकी पढ़ाई, भाषा और सोचने की क्षमता को बढ़ाएं. खान एकेडमी किड्स और ओके प्ले जैसी कुछ एप्स हैं जो उन्हें खेल खेल में सीखने के अवसर देने के साथ साथ उनकी क्रियेटिविटी भी बढ़ाती है.
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समय सीमा तय करें
बच्चों को मोबाइल की स्क्रीन से दूर रखना भले ही मुश्किल हो लेकिन उनके लिए एक टाइम फिक्स कर दें तो बेहतर होगा. कोशिश करें उसका स्क्रीन टाइम 2-3 घंटे से ज्यादा का न हो. उन्हें बताएं कि अधिक टाइम स्क्रीन पर बीताने से क्या क्या कम उम्र में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सीखने को खेल में बदलें
स्क्रीन टाइम को मजेदार और सीखने वाला बनाना चाहिए.पजल गेम्स, क्विज और इंटरैक्टिव वीडियो बच्चों की सोचने और समस्या सुलझाने की क्षमता को बढ़ाते हैं.
बच्चों के साथ बैठकर वीडियोज देखें
बच्चे क्या देख रहे हैं, इसका ध्यान रखें. उनके साथ बैठकर चीजों को समझें. जब भी वह कोई वीडियोज देख रहे हों तो उन्हें बताएं कि उस वीडियो से क्या शिक्षा मिलती है. साथ ही उन्हें सही और गलत कंटेंट वाले वीडियोज में फर्क समझा दें.
रियल वर्ल्ड एक्टिविटी से जोड़ें
स्क्रीन पर देखा गया ज्ञान केवल तभी असरदार होता है जब उसे असली जिंदगी में प्रयोग किया जाए. इसलिए मोबाइल जो भी अच्छे वीडियोज दिखे उसे बच्चों को प्रोजेक्ट्स से जोड़ें. इसके अलावा छोटे-छोटे मगर क्रिएटिव प्रयोग को उसकी एक्टिविटी से जोड़ें.

