Parenting Tips: आजकल के बच्चों को सिर्फ बोलना ही नहीं, ध्यान से सुनना भी सिखाना बेहद जरूरी है. यह आदत उन्हें न केवल दूसरों की बात समझने और सम्मान देने में मदद करती है, बल्कि सही जवाब देने की क्षमता भी बढ़ाती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि रोजाना 5 मिनट बच्चों को कहानी सुनाकर और उसके बाद उनसे सवाल पूछकर यह आदत डाली जा सकती है. बातचीत के दौरान बच्चों की आंखों में देखकर बात करना और बीच-बीच में उनकी प्रतिक्रिया सुनना उन्हें एक्टिव लिसनिंग सिखाने का सबसे आसान तरीका है.
कहानी सुनाकर ध्यान केंद्रित करना सिखाएं
हर दिन बच्चों को कोई छोटी कहानी सुनाएं. कहानी खत्म होने के बाद उनसे पूछें, “कौन-कौन से किरदार थे?” या “कहानी का कौन सा हिस्सा तुम्हें पसंद आया?” इससे बच्चे सुनते समय ध्यान केंद्रित करना सीखते हैं.
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बातचीत के दौरान आंखों में देखें
बच्चों से बात करते समय उन्हें कहें कि सामने देखकर ध्यान से सुने. खुद भी मोबाइल या टीवी से ध्यान न हटाएं. इससे बच्चा समझेगा कि बात सुनना भी सम्मान का हिस्सा है.
सुनने’ को खेल बनाएं
जब बच्चा कुछ कह रहा हो, उसे बीच में न रोकें. अपनी बारी आने पर बोलें. फिर बच्चे को भी यही सिखाएं कि दूसरों की बात बीच में न काटें. यही एक्टिव लिसनिंग की मूल कला है.
शब्दों के बजाय हाव-भाव पर ध्यान दें
बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि किसी की बात सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि टोन और चेहरे के एक्सप्रेशन से भी समझी जाती है. छोटे-छोटे खेल खेलें, जैसे “मैं गुस्से में हूं” को हंसते हुए कहकर पूछें कि सही लगा या नहीं. एक्टिव लिसनिंग सिर्फ स्कूल में बेहतर प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि जीवन में रिश्ते निभाने और खुद को बेहतर समझने की भी कुंजी है. अगर इन आसान तरीकों को रोज़मर्रा की जिंदगी में अपनाया जाए, तो आपका बच्चा सिर्फ अच्छा बोलने वाला नहीं, बल्कि एक समझदार और जिम्मेदार लिसनर भी बनेगा.

