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Health: सर्दियों में अटैक व स्ट्रोक का होता है ज्यादा खतरा, समय रहते हो जाएं सावधान, ऐसे लगाएं पता

सर्दियों के मौसम की अनेक खूबियां हैं, तो कुछ खामियां भी. इस ऋतु में जरा-सी लापरवाही बरतना उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रोक (मष्तिस्काघात या लकवा) जैसी गंभीर समस्याओं के खतरों को बढ़ा देता है.

डॉ सोनिया लाल गुप्ता, न्यूरोलॉजिस्ट 

डॉ संजय के जैन, फिजिशियन

सर्दियों के मौसम की अनेक खूबियां हैं, तो कुछ खामियां भी. इस ऋतु में जरा-सी लापरवाही बरतना उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रोक (मष्तिस्काघात या लकवा) जैसी गंभीर समस्याओं के खतरों को बढ़ा देता है. बावजूद इसके कुछ सावधानियां बरतकर आप स्वस्थ रह सकते हैं और इस मौसम का लुत्फ उठा सकते हैं. जानें कैसे आप सर्दियों में अपने दिल व दिमाग को रखें दुरुस्त.

सर्दियों में रक्त में कहीं ज्यादा गाढ़ापन

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, आमतौर पर सर्दियों में अन्य मौसमों की तुलना में रक्त में कहीं ज्यादा गाढ़ापन आ जाता है, जिससे रक्त में थक्का बनने लगता है. हार्ट अटैक और स्ट्रोक के ज्यादातर मामले रक्त के थक्कों के बनने से होते हैं. ऐसे थक्के हृदय व मस्तिष्क की धमनियों के मार्ग को बाधित करते हैं, जो कालांतर में दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बनते हैं. इसके अलावा, तापमान में गिरावट का दुष्प्रभाव हृदय की धमनियों पर भी पड़ता है, जिस कारण वे सिकुड़ जाती हैं. ऐसे में रक्त संचार प्रक्रिया के दौरान धमनियों की आंतरिक दीवारों पर रक्त का दबाव ज्यादा पड़ता है, यह स्थिति उच्च रक्तचाप को बढ़ाती है.

उच्च रक्तचाप है प्रमुख कारण

इंडियन हार्ट एसोसिएशन और इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, उच्च रक्तचाप, हार्टअटैक व स्ट्रोक का सबसे प्रमुख कारण है. आंकड़े के मुताबिक, अन्य मौसम की तुलना में सर्दियों में दिल के दौरों के मामले लगभग 26 प्रतिशत, वहीं स्ट्रोक के मामले 32 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाते हैं. जब धमनियों की आंतरिक दीवार पर रक्त संचार का दवाब 140/90 के पार पहुंच जाता है, तो यह स्थिति उच्च रक्तचाप कहलाती है.

ये लक्षण दिखे तो हो जाएं सचेत

– सीने में भारीपन या दर्द महसूस होना

– बेचैनी होना, चक्कर आना

– पसीना आना

– सांस तेज लेना या फिर सांस फूलना

– सिर भारी होना या सिरदर्द

उच्च रक्तचाप को यूं करें नियंत्रित

वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली व अक्सर तनावग्रस्त रहना उच्च रक्तचाप को बुलावा देना है.

– असहज महसूस करने पर ब्लड प्रेशर चेक करें. अपने ब्लड प्रेशर को 120/80 रखने का प्रयास करें. इस संबंध में डॉक्टर के परामर्श पर अमल करें.

– जंक फूड्स से परहेज करें. आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन अपने भोजन में विभिन्न खाद्य पदार्थों के जरिये 5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. इस बात को इग्नोर न करें.

– दिनचर्या में योगासन, प्राणायाम, व्यायाम और शारीरिक श्रम से संबंधित अन्य गतिविधियों को शामिल करें.

स्ट्रोक के इलाज में न करें देरी

स्ट्रोक के बाद लगभग साढ़े चार घंटे के अंदर समुचित उपचार शुरू होने को गोल्डन ऑवर कहते हैं. सीटी स्कैन व एमआरआइ आदि जांचों के बाद स्ट्रोक से पीड़ित मरीज के इलाज की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है. मरीज की स्थिति के अनुसार, मस्तिष्क में संचित थक्कों को दूर करने के लिए दवाएं देते हैं.

क्यों होता है हार्ट अटैक

हृदय में तीन प्रमुख धमनियां होती हैं. जब इन तीनों में से किसी एक में या फिर अन्य में कई कारणों, जैसे- धमनियों की आंतरिक दीवारों पर रक्त का थक्का जमना, जिसके कारण धमनियों में अवरोध की समस्या उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में अचानक रक्त संचार रुक जाता है, तो इस स्थिति में दिल को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और उसकी कार्य प्रणाली ठप होने लगती है. इसी तरह एक अर्से तक अत्याधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थ ग्रहण करने से धमनियों की आंतरिक दीवारों पर प्लाक (एक प्रकार की वसा) संचित हो जाता है. इसके कारण भी धमनियां अवरुद्ध हो जाती हैं और दिल को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. यह स्थिति दिल का दौरा या हार्ट अटैक कहलाती है.

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जांचें : इसीजी, इकोकार्डियोग्राफी, टीएमटी, एंजियोग्राफी, लिपिड प्रोफाइल व रक्त परीक्षण से संभावित खतरे का पता लगाया जा सकता है.

लक्षण : सीने में तेज दर्द होना, जो कंधे, बाजू और पीठ के पीछे तक जा सकता है. असहनीय बेचैनी होना और पसीना आना आदि.

इलाज : धमनियों के अवरोध को दूर करने के लिए इंजेक्शन लगाये जाते हैं. इसके अलावा अगर तीनों धमनियों में अवरोध 70 प्रतिशत से कम है, तो एंजियोप्लास्टी की जा सकती है और कुछ मरीजों में जरूरत पड़ने पर बाइपास सर्जरी भी. प्रत्येक मरीज की स्थिति के अनुसार, उसके इलाज की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है.

स्ट्रोक क्या है

यूरोपियन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, इस्केमिक और हेमोरेजिक स्ट्रोक होने का एक प्रमुख कारण उच्च रक्तचाप है, जो अस्वास्थ्यकर जीवनशैली का दुष्परिणाम है. जब मस्तिष्क को हृदय से होने वाली रक्त की आपूर्ति अचानक बाधित हो जाती है या फिर उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क के आंतरिक भाग में रक्त नलिका (धमनी) फट जाती है, तो उस स्थिति में मस्तिष्क की कार्य प्रणाली ठप हो जाती है. ऐसी स्थिति में मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं. इस आपातकालीन मेडिकल कंडीशन को स्ट्रोक (पक्षाघात या लकवा) कहा जाता है.

स्ट्रोक के लक्षण और ‘बी फास्ट’

बी फास्ट (BE FAST) से स्ट्रोक के लक्षणों को समझने में आसानी होती है.

B का आशय बैलेंस से है. स्ट्रोक की स्थिति में शरीर के संतुलन के बिगड़ने के लक्षण सामने आते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति स्वत: समुचित रूप से खड़ा और बैठ नहीं पाता.

E का आशय आइज से है. स्ट्रोक की स्थिति में आंखों में धुंधलापन या कुछ सेकेंड के लिए अंधेरापन छाने लगता है.

F का आशय फेस यानी चेहरे से है. में तिरछापन आ सकता है या फिर चेहरा टेढ़ा हो जाता है.

A का आशय आर्म्स से है. इस स्थिति में बाजुओं में कमजोरी आ जाती है.

S से आशय स्पीच या बोलना. पीड़ित व्यक्ति को शब्द उच्चारण करने या बोलने में दिक्कत महसूस होती है.

T से आशय टाइम है यानी समय महत्वपूर्ण है. शीघ्र ही पीड़ित को स्ट्रोक के इलाज की समुचित व्यवस्थाओं से युक्त अस्पताल ले जाएं. इसके अलावा सिरदर्द व उल्टी जैसी समस्याएं संभव हैं.

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