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कानपुर अग्निकांड के बाद भी नहीं चेत रहे प्राधिकरण के अफसर, कमाऊपूत के चहेते अनुभवहीन ठेकेदार को दिया टेंडर

यूपीः कानपुर के बांसमंडी स्थित हमराज कॉम्प्लेक्स समेत 6 टावरों में हुए अग्निकांड के बाद भी केडीए के अफ़सर अपनी आंख को बंद किए हुए हैं. वर्तमान केडीए उपाध्यक्ष ने प्राधिकरण को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया हुआ है. जिसका जीता जागता उदाहरण है.

यूपीः कानपुर के बांसमंडी स्थित हमराज कॉम्प्लेक्स समेत 6 टावरों में हुए अग्निकांड के बाद भी केडीए के अफ़सर अपनी आंख को बंद किए हुए हैं. वर्तमान केडीए उपाध्यक्ष ने प्राधिकरण को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया हुआ है. जिसका जीतता जागता उदाहरण है. केडीए में हो रहे भ्रष्टाचार की. दास्तां यहां के सरकारी अभिलेख खुद बयां कर रहे हैं. दरअसल जिस प्राधिकरण में एक अधिशासी अभियंता पर एक पीसीएस अधिकारी ने गंभीर आरोप लगाएं हो. उससे अपनी जान का खतरा बताया हो. जिसके बाद अधिशासी अभियंता का शासन से ट्रांसफर भी कर दिया गया. लेकिन, उसे प्राधिकरण से रिलीव न दिया गया. इसके साथ उसी अधिशासी अभियंता ने कथित अनुभव प्रमाण पत्र बनवाकर अपने चहेते का टेंडर पास करवा दिया. यहीं नहीं टेंडर पास होने के सभी कागज भी सबूत के तौर पर केडीए वीसी को मिल जाने के बाद भी उस पर कार्रवाई न करना ही साफ तौर पर दर्शाता है कि किस तरह से प्राधिकरण भ्रष्टाचार का अड्डा बना है.

पीसीएस अफसर को अभियंता से जान का खतरा

बताते चलें कि अभी हाल ही में केडीए में विशेष कार्य अधिकारी के पद पर तैनात PCS भैर पाल सिंह ने प्राधिकरण में कार्यरत सिविल अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय पर लिखित शिकायत में गंभीर आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचारी बताया था. जिसके बाद केडीए में अफरा तफरी मच गई थी.

इतना ही नहीं पीसीएस अधिकारी ने जान का खतरा बताते हुए कहा था कि मेरी मनोज उपाध्यय हत्या करवा सकते हैं. घर आते जाते समय रेकी करवाते हैं. इतने गंभीर आरोप पीसीएस अधिकारी द्वारा लगाने की जानकारी जब केडीए के मुखिया अरविंद सिंह को पत्र के जरिए भेजी गई हो. यहीं नहीं उस पत्र में ये भी लिखा गया कि मनोज उपाध्याय ने भ्रष्टाचार कर धन अर्जित किया है. जिसकी जांच एक सक्षम एजेंसी से कराई जा सकती है. उसके बाद भी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करने वाले केडीए उपाध्यक्ष ने मामले की जांच करवाना तो दूर उसको देखना भी उचित नहीं समझा.

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कथित प्रमाण पत्र पर दिया कार्य

बता दें कि जिस PCS अफसर ने अधिशासी अभियंता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा है कि मनोज उपाध्याय ने माया बिल्डर्स नाम की कंपनी को कथित (फर्जी) अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर रामगंगा एनक्लेव समेत अन्य योजना के अग्निशमन प्रबंधन का काम दिया है.

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आईटीआई में हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

प्राधिकरण में तैनात अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय ने जिस माया बिल्डर्स फार्म को अग्निशमन प्रबंधन का कार्य अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर जारी किया था. उस अनुभव प्रमाण पत्र का सत्यापन कराने के लिए जब कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता जोन 2 ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण विभाग को पत्र लिखा. तो विभाग ने जवाब देते हुए बताया कि माया बिल्डर्स का कोई भी अनुभव प्रमाण पत्र विभाग के द्वारा जारी नहीं किया गया है. वहीं बीते दिनों कानपुर में हुए भीषण अग्निकांड के बाद भी केडीए वीसी अरविंद सिंह न सीख नहीं ली है. एक अनुभवहीन कंपनी को काम देकर हजारों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ खेल दिया है.

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बता दें कि केडीए में कार्यरत अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी प्राधिकरण में तैनात है. हाल ही में शासन स्तर पर उनका ट्रांसफर अलीगढ़ कर दिया गया है. कार्यमुक्त करने के लिए केडीए वीसी को पत्र भी भेजा गया है. लेकिन आज तक पत्र पर जारी किए गए. अनुपालन निर्देश का केडीए वीसी ने अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करते हुए मनोज उपाध्याय को रिलीव नहीं दिया.अब देखना होगा कि आखिर शासन के आदेश का वीसी पालन करते हैं कि नहीं.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

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