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झारखंड में ऑल इज वेल! जानिए क्या कहता है स्वास्थ्य मंत्रालय का नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे

स्वास्थ्य के मामले में झारखंड में ‘सब कुछ ठीकठाक’ है. फिर भी, राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करनेवाले कई स्वयंसेवी संगठन इन आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठा रहे हैं.

रांची : स्वास्थ्य मंत्रालय के वर्ष 2020-21 नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-5 की रिपोर्ट जारी कर दी गयी है. इसमें महिला स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, संस्थागत प्रसव, नियमित टीकाकरण, नॉन कॉम्युनिकेबल डिजीज और परिवार नियोजन आदि को शामिल किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य के ज्यादातर क्षेत्रों में झारखंड के लिए अविश्वसनीय आंकड़े जारी किये गये हैं.

यानी स्वास्थ्य के मामले में झारखंड में ‘सब कुछ ठीकठाक’ है. फिर भी, राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करनेवाले कई स्वयंसेवी संगठन इन आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठा रहे हैं. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट बताती है कि बीते पांच साल के दौरान झारखंड में संस्थागत प्रसव की स्थिति सुधरी है. वहीं, बच्चों के टीकाकरण और परिवार नियोजन को लेकर राज्य के लोग काफी जागरूक हो गये हैं.

राज्य की महिलाओं ने प्रसव के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों को चुना है. इस वजह से संस्थागत प्रसव दर में 14% की बढ़ाेतरी हुई है. राज्य में बच्चों के नियमित टीकाकरण की स्थिति में सुधार हुआ है. परिवार नियोजन के मामले में भी राज्य की स्थिति बेहतर हुई है. एनएफएचएस-4 के मुकाबले एनएफएचएस-5 में इसमें 21.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.

संस्थागत प्रसव में प्रोत्साहन राशि का है प्रावधान

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सभी गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच के साथ-साथ प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्र में 1,400 रुपये और शहरी क्षेत्र में 1,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. जननी सुरक्षा के तहत नि:शुल्क दवा, भोजन, ब्लड और नि:शुल्क परिवहन की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. झारखंड में गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में सुविधा है, जिसमें बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2015-16 में प्रसव पूर्व जांच का आंकड़ा 30% था जो 2020-21 बढ़ कर 38.6% हो गया है.

शैक्षणिक दर

महिला पुरुष

61.7% 81.3%

स्कूल जानेवाले (10 साल से ऊपर)

बच्चियां बच्चे

33.2% 46.6%

इंटरनेट का प्रयोग

महिला पुरुष

31.4% 58%

कहती है रिपोर्ट

झारखंड में सुरक्षित प्रसव के प्रति जागरूक हुए लोग, प्रसव के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में दिखाई रुचि

संस्थागत प्रसव की दर 14% और हेल्थ वर्कर की देखरेख में घर में प्रसव की दर में 15% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी

परिवार नियोजन की दर में 41.3 फीसदी की बढ़ोतरी, गांव और शहरों की महिलाएं समान रूप से करा रहीं बंध्याकरण

वर्ष 2015-16 और मौजूदा सर्वे रिपोर्ट की तुलना

आंकड़ों से समझें राज्य की स्थिति

महिला-पुरुष लिंग अनुपात

शहर- 1000 पुरुषों के मुकाबले 989 महिलाएं

गांव- 1000 पुरुषों के मुकाबले 1070 महिलाएं

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar News Desk
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