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कोयले के अवैध खनन के दौरान होने वाली मौत के लिए कोल कंपनियां पर उठे सवाल, फरवरी में हुई चार दुर्घटनाएं

विस्थापित नेता काशीनाथ केवट ने बताया की अवैध उत्खनन पूरे कोयलांचल की समस्या है. कोल कंपनियों की लापरवाही की वजह से हजारों लोगों की जान अबतक अवैध उत्खनन के दौरान जा चुकी है.

झारखंड के धनबाद जिले में फरवरी माह में एक के बाद एक चाल धंसने की चार घटनाएं हुईं हैं, जिनमें अबतक 18-19 लोगों के मारे जाने की खबर है, हालांकि अधिकारिक पुष्टि 7 लोगों के मारे जाने की हुई है. हालिया घटना आठ फरवरी की है जब जिले के महुदा थाना क्षेत्र में अवैध खनन करते हुए दो मजदूर रोशनी कुमारी (14) और विनोद महतो (28) की मौत हो गयी.

महुदा की बंद पड़ी जामडीहा इंक्लाइन में अवैध खनन

जानकारी के अनुसार सुबह के वक्त कुछ लोग महुदा की बंद पड़ी जामडीहा इंक्लाइन में अवैध खनन कर रहे थे, उसी वक्त चाल घंस गयी. घटना की सूचना मिलने पर बीसीसीएल ने जेसीबी मशीन मंगाकर खुदाई करवाया, जिसमें दो लोग घायल अवस्था में मिले जिन्हें अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया.

निरसा में 16 लोगों की हुई मौत

इससे पहले एक फरवरी को धनबाद के निरसा क्षेत्र में चाल घंसने की तीन घटना हुई जिसमें 16 लोगों के मारे जाने की सूचना स्थानीय लोगों ने दी जबकि अधिकारिक पुष्टि सिर्फ पांच लोगों के मारे जाने की हुई. एक फरवरी को निरसा की गोपीनाथपुर, कापासारा एवं दहीबाड़ी आउटसोर्सिंग में बंद पड़ी खदानों में दुर्घटना हुई थी. धनबाद में 23 बंद खदाने हैं जिनमें अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं.

कोल कंपनियां इन दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार

विस्थापित नेता काशीनाथ केवट ने बताया की अवैध उत्खनन पूरे कोयलांचल की समस्या है. कोल कंपनियों की लापरवाही की वजह से हजारों लोगों की जान अबतक अवैध उत्खनन के दौरान जा चुकी है. जमीन धंसने की घटनाएं इंक्लाइन यानी भूमिगत कोयला खदानों में होती है.

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सक्रिय हैं कोल माफिया

दरअसल होता यह है कि कोल कंपनियां जिनमें सीसीएल, बीसीसीए और ईसीएल शामिल है, वे कई जगहों पर कोयला खदान को छोड़ चुकी हैं, यानी वैसे खदान जहां कोयले की मात्रा कम है और उससे निकालने का खर्च ज्यादा हो उसे छोड़ दिया जाता है. ऐसे में कोल माफिया सक्रिय हो जाते हैं. स्थानीय गरीब मजदूरों के जरिये इन खदानों में अवैध खनन करवाते हैं और वहां से प्रतिदिन के हिसाब से दो से तीन ट्रक कोयला निकलवाते हैं. बदले में इन मजदूरों को प्रतिदिन के हिसाब से 400 से 800 रुपये की कमाई होती है. ये मजदूर 300 मीटर से 350 मीटर तक अंदर जाकर कोयला काटते हैं और उसे निकालते हैं.

जान को खतरे में डालकर करते हैं अवैध खुदाई

इस काम में जान का जोखिम हैं बावजूद इसके कोयला मजदूर कोयले की खुदाई इन खदानों में करते हैं और कोयला निकालकर उसे एक निर्धारित जगह तक पहुंचाते हैं जहां से ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और साइकिल के जरिये कोयले की ढुलाई की जाती है. धनबाद में कोल माफिया सक्रिय हैं जो इन कोयले से लाखों की कमाई कर रहे हैं लेकिन मजदूर बेमौत मर रहा है. ये माफिया बंगाल से भी गरीब मजदूरों को लाते हैं और उनसे कोयला निकालवाते हैं और उनके जरिये बंगाल में कोयला बेचते भी हैं.

अवैध खनन के दौरान सुरक्षा का नहीं रखा जाता ख्याल

किसी भी भूमिगत कोल माइंस में जब कोयले का खनन किया जाता है तो कोल कंपनियां सुरक्षा का ध्यान रखती हैं, ताकि कोयला मजदूरों को कोई खतरा ना हो. वे खुदाई के दौरान जरूरत के हिसाब से सुरक्षा के इंतजाम करते हैं जिसमें लकड़ी का सपोर्ट भी दिया जाता है, लेकिन अवैध खनन में लगे लोग इन सुरक्षा मानकों का कोई ध्यान नहीं रखते हैं और खनन करते हैं, जिसकी वजह से दुर्घटनाएं होती हैं. अकसर लोगों की जान जाती है. इलाके में कई लोग कोक इंडस्ट्रीज का लाइसेंस लेकर भी इस अवैध काम में जुटे हैं.

गरीबी की वजह से मजदूर करते हैं कोयले का अवैध खनन

स्थानीय लोगों में गरीबी बहुत ज्यादा है और यही वजह है कि वे जान जोखिम में डालकर भी कोयले का अवैध खनन करते हैं. चूंकि वे अवैध खनन के काम में जुटे हैं, इसलिए उनकी जान पर खतरा तो है ही साथ ही जब दुर्घटना होती है तो वे मुआवजे की मांग भी नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें पुलिस केस का डर होता है. कई बार तो दुर्घटना के बाद अगर संभव हुआ तो वे लाश उठाकर भी भाग जाते हैं ताकि कोई घटना के बारे में जान ना सके. बात जब बड़ी हो जाती है तो उसके बारे में सभी को जानकारी मिल जाती है.

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अवैध खनन से राज्य सरकारों को होती है राजस्व की हानि

खदानों में जो कोयला है वह कोल कंपनियों की संपत्ति है. लेकिन वे इनको लेकर लापरवाह है. वे बंद खदानों को यूं ही छोड़ देते हैं जिसकी वजह से कोल माफिया सक्रिय हो जाते हैं और कोयले की चोरी होती है. इस बात से पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह वाकिफ है लेकिन वे इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. बीसीसीएल की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के सुरक्षाकर्मी भी इस गोरखधंधे में संलिप्त बताये जाते हैं.

छोटे बच्चे और महिलाएं भी अवैध खनन में शामिल

अवैध खनन के इस काम में छोटे बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. वे खदान में 300 मीटर तक अंदर जाकर खुदाई करते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा तो है ही उन्हें श्वसन संबंधी कई बीमारियां भी हो रही हैं.

अवैध खनन का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

अवैध खनन को रोकने के लिए बियाडा के पूर्व अध्यक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है और कहा है कि प्रति वर्ष 10 मिलियन टन कोयले की चोरी धनबाद से हो रही है और सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है जिसे रोका जाना चाहिए.

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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