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Bihar: कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को देगा कई तोहफे, किसान भाई रेडियो से हो रही दिक्कतों का पा सकेंगे समाधान

Agriculture: किसान अब घर बैठे खेती-बाड़ी, पशुपालन व डेयरी फार्मिंग से जुड़ी समस्याओं का निराकरण किसान रेडियो स्टेशन से जुड़कर कर सकेंगे.

गया. मानपुर कृषि विश्वविद्यालय सबौर (भागलपुर) के अधीनस्थ कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर इस साल की समाप्ति तक किसानों को बड़ा तोहफा देने जा रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र में 18 करोड़ रुपये की लागत से एक ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है, जिसमें एक साथ 500 किसानों को बैठा कर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी. इसके अलावा रेडियो स्टेशन का निर्माण अंतिम चरण में है. जिले के किसान घर बैठे खेती-बाड़ी, पशुपालन व डेयरी फार्मिंग से जुड़ी समस्याओं का निराकरण किसान रेडियो स्टेशन से जुड़कर कर सकेंगे. पिछले साल कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों के प्रगतिशील किसानों को उन्नत तकनीक प्रयोग के अलावा बदलते मौसम पर आधारित फसल प्रत्यक्षण करा कर लाभ दिया. साथ ही दक्षिण बिहार के जलवायु को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा शोध भी किया गया.

किन-किन फसलों पर हुए शोध

इस केंद्र के सहयोग से धान, गेहूं, मक्का व चने की खेती भी बड़े पैमाने पर की जा रही है. वर्तमान में यहां प्रधान वैज्ञानिक समेत पांच वैज्ञानिक हैं. प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव ने बताया कि केंद्र में अभी तीन वैज्ञानिकों का पद खाली है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय सबौर (भागलपुर) के द्वारा शोध किया गया. धान प्रजाति का बीज सबौर अर्धजल, सबौर हर्षित, सबौर दीप अतीक, सबौर, गया व मगध की जलवायु के लिए काफी उपयुक्त साबित हुआ. इसके साथ रबी (गेहूं फसल) प्रजाति में शोध किया गया सबौर संपन, सबौर श्रेष्ठ, सबौर समृद्धि के साथ दलहनी फसल चना में सबौर चना वन, सबौर चना टू व तेलहनी फसल में तीसी सबौर तीसी वन काफी उपज दे रही है.

केंद्र में क्या है व्यवस्था

इधर, किसानों को कम लागत व कम मेहनत पर धान व गेहूं की परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक तकनीक से खेती करायी जा रही है. इसमें नगर प्रखंड के रसलपुर तकिया व रहीम बिगहा, मानपुर प्रखंड के रसलपुर ,रूपसपुर व गंगटी गांव में मौसम के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन करते हुए पंक्ति प्रदर्शन का आयोजन किया गया. सफल उत्पादन व लागत कम आने पर इन सभी प्रजाति के बीज को जिला कृषि पदाधिकारी दो समर्पित कर दिया गया है. जिले के किसानों को प्रशिक्षण व तकनीकी जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के अंदर बायोचार उत्पादन इकाई, आइजोला उत्पादन इकाई, वर्मी कंपोस्ट इकाई, पोषण वाटिका, प्राकृतिक खेती, बकरी पालन गृह व निर्माणाधीन डेरी फार्म इकाई व बागवानी कृषि उपलब्ध है.

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किसानों के हितों के लिए अग्रसर

केंद्र प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर (मगध प्रक्षेत्र) के किसानों के लिए एक नयी नजीर पेश कर रहा है. पिछले कई सालों के निरंतर प्रयास के बाद भागते भूजल स्तर, खरपतवार नियंत्रण, आधुनिक तकनीक प्रयोग, ग्लोबल वार्मिंग के साथ किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा दिलायाा गया. आधुनिक मशीनों से किसानों के उत्पादन में वृद्धि की गयी. वेदर स्टेशन से किसानों को समय से पहले वर्षा की जानकारी दी जा रही है. वर्षा मापी यंत्र लग जाने से जिले में वर्षा की मात्रा भी मापी जा रही है. केंद्र निरंतर किसानों के हितों के लिए अग्रसर है.

किसानी से लेकर बागवानी तक का देते हैं प्रशिक्षण

कृषि वैज्ञानिक किसानों को बागवानी, मछली पालन ,बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, फूल व फलों की खेती के अलावा सब्जी की खेती के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण देकर प्रेरित कर रहे है. किसानों को अपने खेतों में बचे फसल अवशेष को नहीं जलाकर स्ट्रॉबेलर मशीन से खरपतवार एकत्रित कर बायोचार इकाई में जलाकर कंपोस्ट तैयार करने पर भी लोगों को जागरूक किया गया है. इसके अलावा धान की फसल काटने के बाद खेत की बिना जुताई के हैप्पी सीडर व जीरो टिलेज मशीन से सीधी बुवाई करने के बारे में भी बताया गया है. इससे लागत के साथ-साथ समय की भी बचत होगी.

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