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टीवी इस वजह से नहीं कर रहा हूं- रोनित रॉय

अभिनेता रोनित रॉय इनदिनों वूट सिलेक्ट की वेब सीरीज कैंडी में नज़र आ रहे हैं. टीवी, फिल्मों और ओटीटी माध्यम का हिस्सा रहे रोनित कहते हैं कि उनके लिए माध्यम मायने नहीं रखता है. उनके लिए बस उनका अभिनय मायने रखता था. जिसमें वो अपना 200 प्रतिशत देना चाहते हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत...

अभिनेता रोनित रॉय इनदिनों वूट सिलेक्ट की वेब सीरीज कैंडी में नज़र आ रहे हैं. टीवी, फिल्मों और ओटीटी माध्यम का हिस्सा रहे रोनित कहते हैं कि उनके लिए माध्यम मायने नहीं रखता है. उनके लिए बस उनका अभिनय मायने रखता था. जिसमें वो अपना 200 प्रतिशत देना चाहते हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…

कैंडी को हां कहना कितना आसान था

बहुत आसान था. मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे हर किरदार इस सीरीज का बहुत खास लगा. कई बार लगा कि मुझे ये किरदार करना चाहिए था. वैसे ढाई साल पहले मैंने कैंडी की स्क्रिप्ट पढ़ी थी. उस वक़्त किसी कारण से ये शो नहीं बन पाया. बीते साल अगस्त सितंबर में हमने तय किया कि चलो करते हैं. स्क्रिप्ट थोड़ा अलग पहले से था फिर हमने बैठकर स्क्रिप्ट पर थोड़ा और काम किया .

जयंत के किरदार के लिए आपकी क्या तैयारी थी

हमने 40 से 45 दिन इसकी तैयारी की थी. नवंबर पूरा और आधा दिसंबर हमने साथ में वर्कशॉप की . साथ में बैठकर हर चीज़ को डिस्कस किया. इस वेब सीरीज की कास्ट भी काफी अलग है. एक तरफ अनुभवी लोग हैं तो दूसरी तरफ युवा लोग. जब आप युवा टीम के साथ काम करते हैं तो एक टीचर एक गाइड वाली फीलिंग आ ही जाती है. कम से कम मुझे तो आ ही जाती है.

इस सीरीज में आप टीचर हैं रियल लाइफ में आप किसके टीचर हैं?

अपने बच्चों आदोर और अगस्त्य का. जहां तक बात युवा अभिनेताओं की है तो मैं देख रहा हूं जो नयी पीढ़ी आयी है एक्टर्स की. वे काफी तैयार होकर आए हैं. हमको उस उम्र में कुछ पता नहीं था. इन्हें हर चीज़ की जानकारी होती है. ऐसे में अगर वो मुझसे सवाल पूछते हैं तो मैं अपनी राय और अनुभव शेयर करता हूं फिर उनपर है कि वो किस तरह से गांठ बांधते हैं.

एक एक्टर के तौर पर आप खुद को किस तरह अपग्रेड करते हैं?

एक व्यक्ति अगर अपने आंख,कान और जेहन को खुला रखे तो ज़िन्दगी और आसपास के लोगों से बहुत कुछ सीखने को है.

पीछे मुड़कर क्या अपने संघर्ष को याद करते हैं क्योंकि संघर्ष ज़्यादा मोटिवेट करता है.

मैं पीछे मुड़कर नहीं देखता हूं.हरिवंश राय जी की एक कविता है।. जो बीत गयी वो बात गयी. मैंने भी बहुत सी गलतियां की है लेकिन मेरी खासियत है कि मैं अपनी गलतियों को सुधारता हूं फिर आगे बढ़ता हूं तो फिर उन गलतियों को याद करने का क्या फायदा।उन्हें मैंने सुधार जो लिया.

एक एक्टर के तौर पर अब आपकी क्या ख्वाहिश है?

मैं वही चाहता हूं. जो मैं 15 -20 साल पहले चाहता था। अच्छा, इज़्ज़तवाला और चुनौतीपूर्ण काम मिलता रहे.लोग मुझ पर भरोसा करें।ऐसे लोगों से मिलूं जो मुझसे ज़्यादा जानते हो. उनके साथ काम करूं उनसे कुछ सीखूं. यही चाहत है तारों को छूने की चाहत नहीं है. दर्शकों का प्यार बढ़ता रहे बस.

आपको टेलीविज़न का अमिताभ बच्चन कहा जाता रहा है,क्या ओटीटी और फिल्मों की वजह से आप उस माध्यम से दूर हैं?

टीवी नहीं करने की सिर्फ एक वजह है कि जिस तरह का काम मैं करना चाहता हूं. वो मुझे ओटीटी और फिल्में ही दे रही हैं. सन 2000 में मैंने टीवी करना शुरू किया. बालाजी के साथ मैंने 15 साल काम किया. इसके अलावा मैंने रियलिटी शोज किए. मैंने अदालत किया. आखिरी बार मैं शक्ति में नज़र आया था. जैसा मैंने सोचा था वैसा वो किरदार बन नहीं पाया था इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया.

कोरोना की वजह से आपका सिक्योरिटी बिजनेस काफी प्रभावित हुआ है?

धीरे धीरे काम शुरू हुआ है. अभी भी वैसा नहीं है. जैसे पहले था. इकोनॉमी जैसे जैसे खुलेगी वैसे वैसे वृद्धि होगी. मैं अमिताभ बच्चन जी,अक्षय कुमार जी का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूंगा जो इस मुश्किल के वक़्त मेरा साथ दिया.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स

विजय देवरकोंडा की फ़िल्म लीगेर की शूटिंग अगले महीने से शुरू होगी.

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