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EXCLUSIVE : ‘ग्रहण’ 84 दंगों की नहीं पिता बेटी की कहानी है- जोया हुसैन

EXCLUSIVE Grahan is not about Sikh riots but story of father daughter says Zoya Hussain bud : मुक्काबाज़ और लाल कप्तान जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए सराही गयी अभिनेत्री जोया हुसैन जल्द ही हॉटस्टार की वेब सीरीज ग्रहण में नज़र आनेवाली हैं. यह ओटीटी प्लेटफॉर्म में जोया की शुरुआत है. इस वेब सीरीज और दूसरे पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत...

Zoya Hussain EXCLUSIVE : मुक्काबाज़ और लाल कप्तान जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए सराही गयी अभिनेत्री जोया हुसैन जल्द ही डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज ग्रहण में नज़र आनेवाली हैं. यह ओटीटी प्लेटफॉर्म में जोया की शुरुआत है. इस वेब सीरीज और दूसरे पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…

यह आपकी पहली वेब सीरीज है,शो को हां कहने की क्या वजह थी?

इस शो के निर्देशक रंजन चंदेल को मैं मुक्काबाज़ के समय से जानती हूं. हमने साथ में काम किया था. उसकी लेखनी मुझे पसंद है. जिस तरह से वो शब्दों से खेलता है वो खास है. जब उसने मुझे ग्रहण की कहानी बतायी. मेरे किरदार अमृता के बारे में बताया तो मैंने तुरंत हां कह दिया.

सीरीज में आप आईपीएस की भूमिका में हैं कितनी तैयारी करनी पड़ी?

काफी मेहनत करनी पड़ी. हम कैरिकेचर टाइप की आईपीएस नहीं बनाना चाहते थे जो स्ट्रांग हो. मर्दों की तरह हाव भाव रखती हो हम इसे लड़की की तरह ही दिखाना चाहते थे हां बॉडी लैंग्वेज पर काम करना था. हमने वर्कशॉप की. पूजा स्वरूप वर्कशॉप कॉर्डिनेटर थी. उन्होंने बॉडी लैंग्वेज पर काम करवाया. संवाद अदायगी पर. अमृता अपने पिता के साथ कैसे होगी. अपने ऑफिस में कैसे होगी. सब पहलुओं पर बारीकी से हमने काम किया.

यह सीरीज किताब चौरासी पर आधारित है क्या आपने वो पढ़ी है?

किताब में बहुत कहानियां थी रंजन को कोई एक कहानी पसंद आयी थी और उसकी कुछ लाइन्स. यह सीरीज किताब से प्रभावित है लेकिन पूरी तरह से उस पर आधारित नहीं है. किरदार के साथ न्याय करने के लिए फिक्शन जोड़ा गया है.

सीरीज की कहानी झारखंड पर आधारित है लेकिन शूटिंग लखनऊ में हुई है कितना सही इसको कहेंगी?

कहानी के साथ न्याय करना अच्छी बात है लेकिन इसकी शूटिंग पिछले साल हुई थी जब महामारी से पूरा देश गुज़र रहा था. लखनऊ शूटिंग फ्रेंडली था. वहां लगातार शूटिंग होती रहती है तो सबकुछ सुरक्षित था. उस वक़्त सबसे ज़्यादा अहमियत कास्ट एंड क्रू की सुरक्षा की थी.

यह सीरीज 84 के दंगों पर आधारित है, क्या विवादों को तूल दे सकती है

इस पर मैं बस यही कहूंगी कि यह सीरीज दंगों पर है ही नहीं ये पिता बेटी की कहानी है

यह आपकी पहली वेब सीरीज है शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?

जब मैंने शुरू किया था तो मुझे नहीं लगा था कि ये इतना अलग होगा लेकिन काफी अलग था. ऐसा लग रहा था कि तीन फिल्मों की शूटिंग हो रही है. किरदार का ग्राफ बहुत ही डिटेल में था. छोटी छोटी बातों पर गौर करना पड़ा.

ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़ने के बाद आपको अपने लुक और पोशाक पर सबसे ज्यादा ध्यान देना पड़ता है,इस बात का आपको प्रेशर होता है?

सबको ग्लैमरस बनना है लेकिन मुङो नहीं. मुङो लगता है कि ग्लैमर बनने के चक्कर में आपकी खुद की पर्सनालिटी खो जाती है. मैं अपनी पर्सनालिटी खोना नहीं चाहती हूं.

कास्टिंग काउच इंडस्ट्री का स्याह पक्ष है क्या कभी आप इससे गुजरी हैं?

मेरे साथ नहीं हुआ है सीधे तौर पर तो नहीं. हां घुमाकर लोग आपको जरुर अपनी इच्छा जाहिर करते हैं. देर रात को मैसेज करते हैं कि अभी मैं फ्री हुआ हूं. क्या आप मुङो मेरे घर पर मिल सकती हैं. मैं ऐसे लोगों को जवाब ही नहीं देती थी. हां सुबह जवाब देती थी कि मैं वर्कटाइम पर आपके ऑफिस आ सकती हूं. मैने हमेशा ही प्रोफेशनली बर्ताव रखा है. मेरे माता पिता ने हमेशा मुङो ये सीखाया है कि जिस तरह से आप खुद को प्रस्तुत करेंगे. वैसे ही लोग आपके साथ बर्ताव करेंगे. मैंने अपने आत्म सम्मान का हमेशा ख्याल रखा है.

आपकी स्किन टोन या लुक की वजह से क्या आपको कभी रिजेक्शन झेलना पड़ा है.

हमारा भारतीय समाज अभी भी गुलामी से आजाद नहीं हुआ है. यही वजह है कि गोरी चमड़ी ही सभी को चाहिए जबकि हम इंडियन सांवले होते हैं. वैसे स्किन टोन की वजह से मुङो कभी परेशानी नहीं हुई हां कई लोग ये कहते थे कि मुझे अपनी नाक की सजर्री करवा लेनी चाहिए तो कभी लिप्स की तो कभी बूब्स की.मैं इन बातों पर ध्यान नहीं देती हूं.

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