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झारखंड के इस गांव में दीवारों पर होती है पढ़ाई, एक टीचर की पहल के अधिकारी से लेकर सीएम हेमंत सोरेन तक कायल

तस्वीर में आपको दिख रहा है कि घरों की दीवारों पर कई ब्लैकबोर्ड बने हुए हैं. ये ब्लैकबोर्ड बनाये गये हैं, ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो. शिक्षकों और अभिभावकों के संयुक्त पहल से सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए बच्चों को उनके घर के पास ही शिक्षा दी जा रही है. यह पहल की है एक टीचर ने. डॉ सपन कुमार नाम के इस शिक्षक की आज सभी तारीफ कर रहे हैं. जब सारे स्कूल बंद हैं, तो इस टीचर ने खुद ही बच्चों के घर तक जाकर स्कूल लगाना शुरू किया. गांव की दीवारों को ब्लैकबोर्ड में तब्दील कर दिया और एक लाउडस्पीकर के जरिये बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. दुमका जिला की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने जरमुंडी ब्लॉक स्थित डुमरथर गांव में चल रहे इस अभिनव प्रयोग के बारे में ट्वीट करके जानकारी दी.

रांची : तस्वीर में आपको दिख रहा है कि घरों की दीवारों पर कई ब्लैकबोर्ड बने हुए हैं. ये ब्लैकबोर्ड बनाये गये हैं, ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो. शिक्षकों और अभिभावकों के संयुक्त पहल से सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए बच्चों को उनके घर के पास ही शिक्षा दी जा रही है. यह पहल की है एक टीचर ने. डॉ सपन कुमार नाम के इस शिक्षक की आज सभी तारीफ कर रहे हैं.

कोरोना संकट के बीच जब देश भर के स्कूलों में ऑनलाइन क्लास को बढ़ावा दिया जा रहा है, झारखंड के टीचर डॉ सपन कुमार ने महसूस किया कि गांवों में ऑनलाइन क्लास चलाना नामुमकिन नहीं, तो मुश्किल जरूर है. सो उन्होंने तय किया कि बच्चों को ऑनलाइन क्लास और टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क के भरोसे छोड़ने की बजाय अभिभावकों की मदद से बच्चों की पढ़ाई का वैकल्पिक रास्ता तलाशेंगे.

इसलिए जब सारे स्कूल बंद हैं, तो इस टीचर ने खुद ही बच्चों के घर तक जाकर स्कूल लगाना शुरू किया. गांव की दीवारों को ब्लैकबोर्ड में तब्दील कर दिया और एक लाउडस्पीकर के जरिये बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. दुमका जिला की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने जरमुंडी ब्लॉक स्थित डुमरथर गांव में चल रहे इस अभिनव प्रयोग के बारे में ट्वीट करके जानकारी दी.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद डॉ सपन कुमार की सराहना की. मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, ‘डॉ सपन कुमार जैसे शिक्षकों एवं अभिवावकों की लगन और कर्मठता कोरोना के इस विकट संक्रमण काल में भी गरीब बच्चों तक शिक्षा पहुंच रही है. सभी को मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं एवं जोहार.’

उपायुक्त ने बताया कि गांव की दीवारों को ब्लैकबोर्ड में तब्दील कर दिया गया है. जरमुंडी प्रखंड के डुमरथर में एक शिक्षक ने बच्चों की शिक्षा रुक न जाये, इसलिए उनके घर जाकर पढ़ाने का निश्चय किया. अभिभावकों और शिक्षकों ने मिलकर तय किया कि उनके बच्चों की पढ़ाई रुकनी चाहिए. उपायुक्त ने लिखा है कि शिक्षकों और अभिभावकों की इस समझदारी ने उन्हें काफी प्रेरित किया है.

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उपायुक्त ने कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं. इसमें दिख रहा है कि डॉ सपन कुमार माइक से बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उपायुक्त ने लिखा है कि सोशल मीडिया पर कंटेंट शेयर किया जाता है. यह कंटेंट हर बच्चे तक नहीं पहुंच सकता, क्योंकि सुदूर गांवों में नेटवर्क की समस्या होती है. ऐसे में डॉ सपन कुमार ने शिक्षा के प्रति जो समर्पण दिखाया है, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
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