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Friday, March 29, 2024

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Weather Report : अल-नीनो के प्रभाव से भारत में इस साल सूखा पड़ने के आसार, खेती-बाड़ी होगी प्रभावित

विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार तीन बार ‘ला-नीना’ के प्रभाव के बाद इस साल वायुमंडल में ‘अल-नीनो’ की स्थिति बनेगी. वायुमंडल में ‘ला-नीना’ की स्थिति ‘अल-नीनो’ से विपरीत होती है. उनका कहना है कि ‘ला-नीना’ की स्थिति के दौरान आमतौर पर मॉनसून के मौसम में अच्छी बारिश होती है.

नई दिल्ली : भारत में लगातार पिछले तीन सालों से मॉनसून में सामान्य बारिश होने के बाद इस साल सूखा पड़ने के आसार हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से जाहिर की गई आशंकाओं में कहा गया है कि लगातार पिछले तीन साल मॉनसून के दौरान ‘ला-नीना’ की वजह से सामान्य बारिश हुई थी, लेकिन इस साल वायुमंडल में ‘अल-नीनो’ का प्रभाव अधिक रहेगा. आईएमडी अनुमान के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि वायुमंडल में ‘ला-नीना’ के बाद ‘अल-नीनो’ के प्रभाव से इस साल के मॉनसून में बारिश में खासी कमी हो सकती है.

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से बारिश उम्मीद

विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार तीन बार ‘ला-नीना’ के प्रभाव के बाद इस साल वायुमंडल में ‘अल-नीनो’ की स्थिति बनेगी. वायुमंडल में ‘ला-नीना’ की स्थिति ‘अल-नीनो’ से विपरीत होती है. उनका कहना है कि ‘ला-नीना’ की स्थिति के दौरान आमतौर पर मॉनसून के मौसम में अच्छी बारिश होती है. आईएमडी ने अपने अनुमान में कहा था कि ‘अल-नीनो’ की स्थिति बनने के बावजूद भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. ऐसी स्थिति से कृषि क्षेत्र को खासी राहत मिलेगी.

सामान्य से कम बारिश होने के आसार

हालांकि, मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली प्राइवेट एजेंसी ‘स्काईमेट वेदर’ ने मॉनसून के दौरान भारत में ‘सामान्य से कम’ बारिश होने का अनुमान जताया है. आईआईटी बंबई और मैरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने कहा था कि 60 फीसदी ‘अल-नीनो’ साल में जून-सितंबर के दौरान ‘सामान्य से कम’ बारिश दर्ज की गई है, लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि ‘ला-नीना’ साल के बाद आने वाले ‘अल नीनो’ साल में मॉनसून के दौरान बारिश की कमी की प्रवृत्ति रहती है.

जुलाई के आसपास प्रभावी होगा अल-नीनो

आईएमडी के अनुसार, ‘अल-नीनो’ की स्थिति के जुलाई के आसपास विकसित होने की उम्मीद है और इसका प्रभाव मॉनसूनी मौसम के दूसरे हिस्से में महसूस किया जा सकता है. आईएमडी ने कहा था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) की स्थिति उत्पन्न होने की उम्मीद है और उत्तरी गोलार्द्ध तथा यूरेशिया पर बर्फ का आवरण भी दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक सामान्य से कम था.

60 फीसदी अल-नीनो से बारिश कम

आईओडी को अफ्रीका के पास हिंद महासागर के पश्चिमी भागों और इंडोनेशिया के पास महासागर के पूर्वी भागों के बीच समुद्र की सतह के तापमान में अंतर से परिभाषित किया गया है. एक सकारात्मक आईओडी भारतीय मॉनसून के लिए अच्छा माना जाता है. इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के शोध निदेशक अंजल प्रकाश ने कहा कि 40 फीसदी ‘अल-नीनो’ वर्षों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 60 फीसदी साल में कम बारिश दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि हम उन बड़े रुझानों को समझने के बजाय छोटे मूल्यों पर क्यों गौर करते हैं, जो दिखाते हैं कि अल-नीनो का मॉनसून की बारिश की पद्धति (पैटर्न) पर प्रभाव पड़ता है.

भारत में 52 फीसदी कृषि क्षेत्र बारिश पर निर्भर

भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है, क्योंकि खेती वाले क्षेत्र का 52 फीसदी इसी पर निर्भर है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों में जल के भंडारण के लिए भी जरूरी है. भारत के कुल खाद्य उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का हिस्सा लगभग 40 फीसदी है, जिससे यह भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है.

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87 सेमी बारिश सामान्य

आईएमडी के मुताबिक, 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच 50 साल के औसत 87 सेमी की बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है. दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 फीसदी से कम वर्षा को ‘कमी’, 90 से 95 फीसदी के बीच ‘सामान्य से कम’, 105 से 110 फीसदी के बीच ‘सामान्य से अधिक’ और 100 फीसदी से अधिक वर्षा को ‘अधिक’ वर्षा माना जाता है.

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