Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा झटका देते हुए आयातित वाहनों और उनके घटकों पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है. यह फैसला 3 अप्रैल से लागू होगा. ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन वैश्विक सप्लाई चेन पर निर्भर ऑटो इंडस्ट्री को जबरदस्त झटका लग सकता है.
वाहनों की कीमतें आसमान पर, उपभोक्ताओं की जेब पर मार
व्हाइट हाउस के मुताबिक, इस नए टैक्स से सरकार को हर साल 100 अरब डॉलर का राजस्व मिलेगा, लेकिन इसकी असली कीमत उपभोक्ताओं को चुकानी पड़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कारों की कीमतों में भारी इजाफा होगा. नई कारें खरीदना आम अमेरिकियों के लिए और मुश्किल हो जाएगा.
अर्थशास्त्री मैरी लवली ने चेतावनी दी है,
“डोनाल्ड ट्रंप के इस शुल्क से कारों की कीमतें इतनी बढ़ सकती हैं कि मध्यम वर्ग नई गाड़ियां खरीदने के काबिल नहीं रहेगा.”
अनुमान है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को आयातित वाहनों के लिए औसतन 12,500 डॉलर ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं.
दुनियाभर में मचा हड़कंप, कनाडा-यूरोप से विरोध के सुर
ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ दुनियाभर में गुस्सा बढ़ रहा है. कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इसे “प्रत्यक्ष हमला” करार दिया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी. यूरोपीय संघ ने भी इसे अनुचित बताते हुए व्यापार युद्ध की आशंका जताई.
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा,
“यह फैसला कारोबार के लिए नुकसानदेह और उपभोक्ताओं के लिए भयावह है.”
भारत को तगड़ा झटका या सुनहरा मौका?
भारत के लिए यह फैसला दोधारी तलवार है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मोटर वाहन उद्योग पर इस नए टैक्स का सीमित प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यह घरेलू निर्यातकों के लिए नया अवसर भी खोल सकता है.
भारत से अमेरिका को वाहन निर्यात के आंकड़े
- 2024 में अमेरिका को सिर्फ 83 लाख डॉलर मूल्य की यात्री कारें निर्यात हुईं—जो बेहद मामूली आंकड़ा है.
- भारत से अमेरिका को ट्रक निर्यात मात्र 1.25 करोड़ डॉलर रहा.
- वाहन कलपुर्जों का निर्यात बड़ा है. 2024 में 2.2 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जो भारत के कुल वाहन घटक निर्यात का 29.1% है.
भारत कैसे उठा सकता है फायदा?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत इस मौके का इस्तेमाल कर सकता है. अमेरिका में चीन और मैक्सिको के मुकाबले भारत की बाजार हिस्सेदारी अभी बहुत कम है. ट्रंप का यह फैसला भारतीय ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री के लिए अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर बन सकता है.
GTRI के अजय श्रीवास्तव के मुताबिक,
“भारत को जवाबी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है. इसके बजाय, हमें अमेरिका में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए.”
क्या भारत को डरने की जरूरत है?
हालांकि, भारतीय वाहन निर्माताओं को अपने इंजन वाले चेसिस एक्सपोर्ट पर थोड़ी चिंता हो सकती है, क्योंकि इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 11.4% है. लेकिन, कुल मिलाकर भारत के लिए यह फैसला तटस्थ या मामूली रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है.
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ट्रंप की टैरिफ पॉलिटिक्स दुनिया के लिए नई मुसीबत
ट्रंप के इस फैसले ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल मचा दी है. जहां एक तरफ यह वैश्विक बाजार के लिए बुरी खबर है, वहीं भारत जैसे देशों के लिए यह एक नया अवसर भी बन सकता है. सवाल यही है कि क्या यह फैसला अमेरिकी कार इंडस्ट्री को मजबूत करेगा या महंगी कारों की वजह से आम उपभोक्ताओं को और दबाव में डाल देगा?
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