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बजट प्रतिक्रिया : जलवायु चुनौतियों पर कार्रवाई के लिए राज्य-निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी

बजट पर दी गई प्रतिक्रिया में प्राइमस पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक समीर जैन ने कहा कि जलवायु चुनौतियों पर कार्रवाई के लिए भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता राज्यों और निजी क्षेत्रों के लिए भागीदारी हस्तांतरण पर अत्यधिक निर्भर है.

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश का दूसरा पेपरलेस केंद्रीय बजट 2022 पेश कर दिया है. अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि समावेशी विकास, उत्पादकता वृद्धि, ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कदम विकास के चार स्तंभ हैं. उन्होंने कहा कि पीएम गति शक्ति मास्टर योजना वृद्धि के सात इंजन पर आधारित है. बजट में जलवायु परिर्वन की चुनौतियों को विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ बनाने पर यह बात सामने आ रही है कि इसके लिए राज्यों और निजी क्षेत्र के लिए भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है.

भागीदारी हस्तांतरण पर कार्रवाई निर्भर

बजट पर दी गई प्रतिक्रिया में प्राइमस पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक समीर जैन ने कहा कि जलवायु चुनौतियों पर कार्रवाई के लिए भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता राज्यों और निजी क्षेत्रों के लिए भागीदारी हस्तांतरण पर अत्यधिक निर्भर है. इसके लिए प्रौद्योगिकी में निवेश, हरित पूंजी तक पहुंच और सबसे महत्वपूर्ण कठोर नीति को लागू की आवश्यकता होगी. हरित वित्त तक पहुंच को आसान बनाने के संबंध में बजट में सही कदम उठाया गया है.

संस्थागत व्यवस्था के बिना प्रगति धीमी

हालांकि, राज्य स्तर पर समन्वित प्रयास और कार्रवाई की निगरानी के लिए संस्थागत व्यवस्था के बिना प्रगति धीमी होगी. उन्होंने कहा कि एवीजीसी उद्योग के 2019-24 में 13.5 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर 2024 तक लगभग 3,07,000 करोड़ रुपये ( 43.93 अरब डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है. टास्क फोर्स की घोषणा के साथ इस क्षेत्र की स्वीकृति भारत के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है.

वैश्विक बाजार की हिस्सेदारी लक्ष्य को हासिल करना जरूरी

उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी का कम से कम 5 फीसदी के लक्ष्य को हासिल करना होगा. हालांकि, इस समय वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में 2024 तक सालाना 1.5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा करने की क्षमता है. कार्यबल को नीति, शिक्षा और कौशल, स्टार्टअप, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सही है कि भारत धीमी गति से 1.25 फीसदी सीएजीआर पर शहरीकरण कर रहा है और शहर देश के सकल घरेलू उत्पाद में 65 फीसदी से अधिक का योगदान करते हैं. भारत के आर्थिक विकास की वास्तविक और गुप्त क्षमता इस बात पर अत्यधिक निर्भर है कि शहर कैसे बदलते हैं.

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शहरी विकास के लिए बजट बेहतर कड़ी

उन्होंने कहा कि पिछले 7 वर्षों में भारत ने अमृत महोत्सव, स्मार्ट शहरों, स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ के साथ एक बहुत ही केंद्रित शहरी एजेंडा देखा है. उनके प्रदर्शन पर एक नजदीकी नजर क्षमता अंतराल की ओर इशारा करेगी. क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने वाला बजट उच्च शहरी दर (ब्रिक्स देशों की तुलना में) प्राप्त करने और बहुत जल्द समृद्ध होने के लिए बहुत आवश्यक कड़ी है.

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