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अब ‘भारत’ ब्रांड के नाम से बिकेंगी उर्वरक, जानें क्या है PMBJP योजना का मुख्य उद्देश्य

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना की शुरुआत केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा किया गया था. इसका उद्देश्य किसानों के बीच सस्ती और किफायती यूरिया और दवाइंया उपलब्ध कराना है.

यूरिया और डीएपी जैसे सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों की बिक्री सरकार अक्टूबर से ‘भारत’ नाम के एकल ब्रांड के तहत करेगी. उर्वरकों को समय पर किसानों को उपलब्ध कराने और मालढुलाई सब्सिडी की लागत घटाने के लिए सरकार ऐसा करने जा रही है. सरकार ने दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ पहल की शुरुआत करते हुए इसकी घोषणा की थी.

जानें क्या है पीएमबीजेपी

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना की शुरुआत केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा किया गया था. इसका उद्देश्य किसानों के बीच सस्ती और किफायती यूरिया और दवाइंया उपलब्ध कराना है. बता दें कि मौजूदा उर्वरक सब्सिडी अब पीएमबीजेपी योजना के अंतर्गत आती है. इससे पहले, पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) को यूरिया (एन), फॉस्फोरस (पी) और पोटाश (के) के तहत वर्गीकृत किया गया था. हालांकि सरकार ने एनबीएस की सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं किया है.

2 अक्टूबर को योजना की होगी शुरूआत

केंद्र सरकार ने पीएमबीजेपी योजना को 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती केो शुरू करने का फैसला किया है, क्योंकि देश को उर्वरक में आत्मनिर्भर बनाया जा सके. मालूम हो कि रबी सीजन की बुवाई अक्टूबर से शुरू हो जाती है और उर्वरकों की खरीद भी पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है.

कंपनियों को दिसंबर तक का मिला समय

भले ही यह व्यवस्था अक्टूबर से शुरू हो जाएगी लेकिन उर्वरक कंपनियों को अपना मौजूदा स्टॉक बेचने के लिए दिसंबर के अंत तक का समय दिया गया है. सरकार ने पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 1.62 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी थी. पिछले पांच-महीनों में उर्वरकों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने से चालू वित्त वर्ष में सरकार पर उर्वरक सब्सिडी का बोझ बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये हो जाने की आशंका जताई गई है.

इस कदम के पीछे सरकार का तर्क

केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने भारत ब्रांड के तहत सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों की बिक्री किए जाने के पीछे की वजह बताते हुए कहा, सरकार यूरिया के खुदरा मूल्य के 80 प्रतिशत की सब्सिडी देती है. इसी तरह डीएपी की कीमत का 65 प्रतिशत, एनपीके की कीमत का 55 प्रतिशत और पोटाश की कीमत का 31 प्रतिशत सरकार सब्सिडी के तौर पर देती है.

किसानों की समस्याओं को देखते हुए लिया फैसला

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि फिलहाल कंपनियां अलग-अलग नाम से ये उर्वरक बेचती हैं लेकिन इन्हें एक से दूसरे राज्य में भेजने पर न सिर्फ ढुलाई लागत बढ़ती है बल्कि किसानों को समय पर उपलब्ध कराने में भी समस्या आती है. इसी परेशानी को दूर करने के लिए अब एक ब्रांड के तहत सब्सिडी वाली उर्वरक बनाई जाएगी.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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